हिंदू नववर्ष 30 से, 100 साल बाद बन रहा दुर्लभ संयोग

लखनऊ। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिन्दू नव वर्ष विक्रम संवत 2082 की शुरूआत हो रही है, जो एक नई शुरूआत और आशाओं का प्रतीक है. हिन्दू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है, क्योंकि मान्यता है कि इसी दिन भगवान ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की थी। इस दिन ब्रह्मांड में नए मंत्रिमंडल का गठन भी होता है, जो पूरे वर्ष के घटनाक्रमों को प्रभावित करता है। इस वर्ष, विक्रम संवत 2082, 30 मार्च से शुरू हो रहा है और इसके राजा और मंत्री दोनों ही सूर्य देव हैं।

सात दिन और 12 माह का प्रचलन :
इसी कैलेंडर से 12 माह और 7 दिवस बने हैं। 12 माह का एक वर्ष और 7 दिन का एक सप्ताह रखने का प्रचलन विक्रम संवत से ही शुरू हुआ। महीने का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की गति पर रखा जाता है। विक्रम कैलेंडर की इस धारणा को यूनानियों के माध्यम से अरब और अंग्रेजों ने अपनाया। बाद में भारत के अन्य प्रांतों ने अपने-अपने कैलेंडर इसी के आधार पर विकसित किए।

चैत्र माह है प्रथम माह :
प्राचीनकाल से ही यह परंपरा है कि इसी माह से देश दुनिया में पुराने कामकाज को समेटकर नए कामकाज की रूपरेखा तय की जाती रही है, क्योंकि यह माह वसंत के आगम का माह और इस माह से ही प्रकृति फिर से नई होने लगती है। आज भी भारत में चैत्र माह में बहिखाते नए किए जाते हैं। दुनिया के अन्य देशों में भी इसी माह में यह कार्य होता आ रहा है। यानी की मार्च माह में बदलाव होता है। दुनियाभर के समाज, धर्म और देशों में अलग-अलग समय में नववर्ष मनाया जाता है। अधिकतर कैलेंडर में नववर्ष मार्च से अप्रैल के बीच आता है और दूसरे दिन की शुरूआत सूर्योदय से होती है। मार्च में बदलने वाले कैलेंडर को ही प्रकृति और विज्ञान सम्मत माना जाता है जिसके कई कारण है।

प्राकृति का नववर्ष :
मार्च में प्रकृति और धरती का एक चक्र पूरा होता है। जनवरी में प्रकृति का चक्र पूरा नहीं होता। धरती के अपनी धूरी पर घुमने और धरती के सूर्य का एक चक्कर लगाने लेने के बाद जब दूसरा चक्र प्रारंभ होता है असल में वही नववर्ष होता है। नववर्ष में नए सिरे से प्रकृति में जीवन की शुरूआत होती है। वसंत की बहार आती है। चैत्र माह अंग्रेजी कैलेंडर के मार्च और अप्रैल के मध्य होता है। 21 मार्च को पृथ्वी सूर्य का एक चक्कर पूरा कर लेती है, उस वक्त दिन और रात बराबर होते हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि इसी दिन से धरती प्राकृतिक नववर्ष प्रारंभ होता है।

सूर्योदस से शुरू होता है नववर्ष प्रारंभ :
रात्रि के अंधकार में नववर्ष का स्वागत नहीं होता। नया वर्ष सूरज की पहली किरण का स्वागत करके मनाया जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार रात 12 बजे ही नववर्ष प्रारंभ मान लिया जाता है जो कि वैज्ञानिक नहीं है। दिन और रात को मिलाकर ही एक दिवस पूर्ण होता है। दिवस का प्रारंभ सूर्योदय से होता है और अगले सूर्योदय तक यह चलता है। सूर्यास्त को दिन और रात का संधिकाल मना जाता है।

सूर्य, चंद्र और नक्षत्र :
हिन्दू कैलेंडर सौरमास, नक्षत्रमास, सावन माह और चंद्रमास पर आधारित है। मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क आदि सौरवर्ष के माह हैं। यह 365 दिनों का है। चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ आदि चंद्रवर्ष के माह हैं। चंद्र वर्ष 354 दिनों का होता है, जो चैत्र माह से शुरू होता है। सौरमास 365 दिन का और चंद्रमास 355 दिन का होने से प्रतिवर्ष 10 दिन का अंतर आ जाता है। इन दस दिनों को चंद्रमास ही माना जाता है। फिर भी ऐसे बढ़े हुए दिनों को मलमास या अधिमास कहते हैं। तीसरा नक्षत्रमाह होता है। लगभग 27 दिनों का एक नक्षत्रमास होता है। नक्षत्रमास चित्रा नक्षत्र से प्रारंभ होता है। चित्रा नक्षत्र चैत्र मास में प्रारंभ होता है। सावन वर्ष 360 दिनों का होता है। इसमें एक माह की अवधि पूरे तीस दिन की होती है।

क्यों कहते हैं नवसंवत्सर :
जैसे बारह माह होते हैं उसी तरह 60 संवत्सर होते हैं। संवत्सर अर्थात बारह महीने का कालविशेष। सूर्यसिद्धान्त अनुसार संवत्सर बृहस्पति ग्रह के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं। 60 संवत्सरों में 20-20-20 के तीन हिस्से हैं जिनको ब्रह्माविंशति (1-20), विष्णुविंशति (21-40) और शिवविंशति (41-60) कहते हैं। बृहस्पति की गति के अनुसार प्रभव आदि साठ वर्षों में बारह युग होते हैं तथा प्रत्येक युग में पांच-पांच वत्सर होते हैं। बारह युगों के नाम हैं। प्रजापति, धाता, वृष, व्यय, खर, दुर्मुख, प्लव, पराभव, रोधकृत, अनल, दुर्मति और क्षय। प्रत्येक युग के जो पांच वत्सर हैं, उनमें से प्रथम का नाम संवत्सर है। दूसरा परिवत्सर, तीसरा इद्वत्सर, चौथा अनुवत्सर और पांचवा युगवत्सर है। 12 वर्ष बृहस्पति वर्ष माना गया है। बृहस्पति के उदय और अस्त के क्रम से इस वर्ष की गणना की जाती है। इसमें 60 विभिन्न नामों के 361 दिन के वर्ष माने गए हैं। बृहस्पति के राशि बदलने से इसका आरंभ माना जाता है।

नव संवत्सर का राजा होंगे सूर्य

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को नया साल शुरू होगा, जिस दिन से ये तिथि शुरू होती है। उस दिन का अधिपति नव वर्ष यानी नव संवत्सर का राजा कहवाता है। इसकी शुरूआत भारतीय सम्राट विक्रमादित्य ने की थी. इसलिए इसे विक्रम संवत भी कहा जाता है। विक्रमादित्य ने विक्रम संवत की शुरूआत 57 ईसा पूर्व में की थी। इस दिन से चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ भी होता है। हिंदू नववर्ष के राजा और मंत्री कौन होंगे ये जानना महत्वपूर्ण होता है, क्योंति ज्योतिष के अनुसार इससे देश-दुनिया पर क्या असर पड़ेगा ये पता लगाया जा सकता है। अगले साल में हिंदू नववर्ष 30 मार्च 2025 से शुरू होगा. इसी दिन से विक्रम संवत 2082 और चैत्र नवरात्रि की शुरूआत भी होगी, चूंकि हिंदू नववर्ष 2025 रविवार के दिन से शुरू हो रहा है, ऐसे में 2025 के राजा सूर्य होंगे। सूर्य को ग्रहों का राजा माना जाता है।

5 ग्रहों की युति, कई राशियों के लिए शुभ


पं. बिन्द्रेस दुबे के अनुसार, यह नव वर्ष कुछ विशेष राशियों के लिए बेहद शुभ फलदायी सिद्ध होगा। क्योंकि 100 साल बाद इस दिन 5 ग्रहों की युति होने जा रही है। दरअसल, इस दिन चंद्रमा, शनि, बुध, राहु और सूर्य की मीन राशि में युति से बुधादित्य योग और मालव्य राजयोग का निर्माण होने जा रहा है। इन शुभ संयोगों के कारण विक्रम संवत कुछ राशियों के लिए बहुत ही शुभ माना जा रहा है, तो आइए जानते हैं, कौन सी हैं वे भाग्यशाली राशियां।

मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए हिन्दू नव वर्ष एक शुभ समाचार लेकर आ रहा है। इस वर्ष आपको मनचाही नौकरी मिलने की प्रबल संभावना है। आप जिस भी कार्य को करेंगे, उसमें सफलता निश्चित रूप से मिलेगी. लंबे समय से लंबित कोर्ट का कोई मामला भी इस वर्ष सुलझ सकता है, जिससे आपको बड़ा आर्थिक लाभ होने की संभावना है। कुल मिलाकर, मिथुन राशि वालों के लिए यह वर्ष सकारात्मक ऊर्जा और अवसरों से भरा रहेगा।

कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए यह नया साल नई खुशियों की सौगात लेकर आएगा। इस वर्ष आप अपनी पुरानी और रुकी हुई योजनाओं पर सफलतापूर्वक काम कर पाएंगे और उन्हें पूर्णता तक पहुंचाएंगे। माता लक्ष्मी की विशेष कृपा से आपके जीवन में धन की कमी नहीं रहेगी। यह वर्ष आपके आर्थिक जीवन को सुदृढ़ करने और खुशियों को बटोरने का वर्ष है।

मीन राशि
नव संवत्सर की शुरूआत में सूर्य और चंद्रमा दोनों ही मीन राशि में विराजमान रहेंगे, जो इस राशि के जातकों के लिए बेहद अनुकूल स्थिति है. मीन राशि वालों के लिए यह वर्ष अत्यंत शुभ फलदायी सिद्ध होगा। आपको जीवन में तरक्की के नए मार्ग मिलेंगे और समाज में आपकी मान-प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी. इसके अतिरिक्त, आपका दाम्पत्य जीवन भी सुखमय बना रहेगा। यह वर्ष मीन राशि वालों के लिए व्यक्तिगत और व्यावसायिक दोनों ही मोर्चों पर सफलता लेकर आएगा।

वृषभ राशि
आर्थिक दृष्टिकोण से वृषभ राशि के जातकों के लिए यह साल काफी अच्छा रहेगा। करियर में नई ऊंचाइयों को छूने का मौका मिलेगा और व्यापारियों को लाभ मिलने की संभावना है. पैसों के मामलों में कुछ बड़े फैसले भी लिए जा सकते हैं, जिससे सफलता के रास्ते खुलेंगे।

धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए यह साल करियर में बड़ी छलांग लगाने वाला है। उन्हें नई जिम्मेदारियां मिलेंगी, जिससे वे उच्च पदों पर पहुंच सकते हैं। साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी, जिससे वे धनवान बन सकते हैं।

मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए यह साल बहुत ही फलदायी साबित होगा. उनके करियर में उछाल आ सकता है, साथ ही उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी. इस साल उन्हें नए अवसर मिलेंगे, जिससे उन्हें अधिक धन और प्रसिद्धि मिल सकती है।

कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए यह समय अपने करियर में नई दिशा तय करने का है। उन्हें किसी बड़े प्रोजेक्ट से जुड़ने का मौका मिलेगा, जो उनके लिए फायदे का सौदा साबित होगा। आर्थिक स्थिति में भी सुधार आएगा और उन्हें इस साल अपनी मेहनत का अच्छा परिणाम मिल सकता है।

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