नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंस्टाग्राम के ग्रुप ब्वॉयज लॉकर रूम मामले में पुलिस को अपनी जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया। इस ग्रुप में अभद्र संदेश और नाबालिग लड़कियों की तस्वीरें साझा की गई थी। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए उल्लेख किया कि दिल्ली पुलिस का साइबर अपराध प्रकोष्ठ पहले ही मामला दर्ज कर चुका है और जांच की जा रही है।
उच्च न्यायालय ने पुलिस को कानून के तहत जांच में तेजी लाने और संबंधित निचली अदालत के सामने अंतिम रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया। पुलिस की तरफ से दिल्ली सरकार के स्थाई वकील (फौजदारी) राहुल मेहरा और वकील चैतन्य गोसाईं पेश हुए। उच्च न्यायालय ने उस याचिका का निपटारा कर दिया जिसमें ब्वॉयज लॉकर रूम मामले में विशेष जांच टीम (एसआईटी) या केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने और दोषियों को गिरफ्तार करने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
याचिकाकर्ता देवाशीष दूबे ने उन लड़कियों और महिलाओं की सुरक्षा का भी अनुरोध किया था जिन्होंने मामले को उजागर किया। वकील दुष्यंत तिवारी और ओम प्रकाश परिहार के जरिए दाखिल याचिका में चैट ग्रुप के सभी सदस्यों को तुरंत गिरफ्तार करने के लिए निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था।
इससे पहले दोनों वकीलों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखकर मामले पर स्वत: संज्ञान लेने का अनुरोध किया था। दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ ने चैट ग्रुप के 18 वर्षीय एडमिन को गिरफ्तार किया था। वह इस साल 12 वीं की परीक्षा में बैठा था।