कोयला क्षेत्र में खत्म होगा सरकार का एकाधिकार : सीतारमण

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को लगातार चौथे दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस की और 8 सेक्टरों में होने वाले ढांचागत सुधारों के बारे में बताया। ये 8 सेक्टर हैं- कोयला, मिनरल्स, डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग, एयर स्पेस मैनेजमेंट-एयरपोर्ट्स और मेनटेनेंस एंड ओवरहॉल, पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनियां, सोशल इन्फ्रास्ट्रक्चर, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा।

इनमें से 3 सेक्टर कोयला, मिनरल्स और स्पेस को सरकार ने निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया है। कोयला सेक्टर में अब सरकार कमर्शियल माइनिंग की इजाजत देगी। इससे कॉम्पीटिशन बढ़ेगी। पारदर्शिता आएगी। कोई भी कोल ब्लॉक के लिए बोली लगा सकेगा और बाद में कोयला ओपन मार्केट में बेच सकेगा। इससे निजी कंपनियों को फायदा मिलेगा। सरकार की मोनोपॉली खत्म होगी।

50 कोल ब्लॉक निजी सेक्टर के लिए खोले जाएंगे। कोयले की खदानों से मीथेन निकालने की भी नीलामी होगी। 50 हजार करोड़ रुपए इसके इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च होंगे। इस सेक्टर में निजी कंपनियों की एंट्री के लिए नियम आसान किए जाएंगे। कंपनियों को प्रति टन एक फिक्स रेट पर पैसा देने की बजाय सिर्फ रेवेन्यू सरकार से साझा करना होगा।

अगर कोयले को गैस में बदलने की सुविधा भी होती है तो इंसेंटिव मिलेगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे 2023-24 तक कमर्शियल माइनिंग के जरिए 1 अरब टन कोयला उत्पादन हो सकेगा। 500 माइनिंग ब्लॉक्स को नीलामी के जरिए निजी कंपनियों के लिए खोला जाएगा। कैप्टिव और नॉन कैप्टिव खदानों के बीच फर्क खत्म हो जाएगा।

कैप्टिव खदानें यानी जहां कंपनियां कोयला खनन करती हैं और उसका अपने ही लिए इस्तेमाल करती हैं। नॉन कैप्टिव खदानों में कोयला दूसरी कंपनियों को भी बेचा जा सकता है। इससे निजी कंपनियों को फायदा मिलेगा, जो माइनिंग ब्लॉक्स में निवेश करना चाहती हैं। बॉक्साइट और कोल मिनरल के ब्लॉक्स की जॉइंट आक्शनिंग होगी। इससे एल्युमिनियम इंडस्ट्री को फायदा मिलेगा।

उनकी इलेक्ट्रिसिटी की लागत कम होगी। कैप्टिव-नॉन कैप्टिव का फर्क खत्म होने पर कंपनियां सरप्लस मिनरल्स की बिक्री कर सकेंगी।
सीतारमण ने निजी क्षेत्र को उपग्रहों, प्रक्षेपणों और अंतरिक्ष-आधारित सेवा कारोबार जैसे भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में भूमिका देने की भी घोषणा की।

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी भागीदारी को बढ़ाने के लिये सरकार उपग्रहों, प्रक्षेपणों और अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं में निजी कंपनियों के लिये बराबर के मौके प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार निजी कंपनियों के लिये विश्वसनीय नीति और विनियम बनायेगी।

उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र को अपनी क्षमता में सुधार करने के लिये इसरो की सुविधाओं और अन्य प्रासंगिक संपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति दी जायेगी। ग्रहों की खोज और अंतरिक्ष पर्यटन की भविष्य की परियोजनाएं निजी क्षेत्र के लिये भी खुली होंगी। उन्होंने कहा कि एक उदार भू-स्थानिक डेटा नीति बनायी जाएगी। उसके तहत तकनीक पर केंद्रित उद्यमियों को दूरस्थ संवेदी डेटा सुलभ हो सकेगा।

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत चिकित्सकीय समस्थानिक (मेडिकल आइसोटोप) के उत्पादन के लिये पीपीपी मॉडल पर अनुसंधान केंद्रित रियेक्टर (नाभिकीय संयंत्र) स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि यह चिकित्सकीय समस्थानिक का उत्पादन करेगा और कैंसर एवं अन्य बीमारियों के लिये किफायती उपचार उपलब्ध करायेगा।

खास बातें…….

  • कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों को वाणिज्यिक खनन शुरू करने के लिए करीब 50 ब्लाक पेश किए जाएंगे। सरकार का एकाधिकार समाप्त होगा।
  • कोयला क्षेत्र में वाणिज्यिक खनन के लिए प्रति टन शुल्क की व्यवस्था के बजाय राजस्व-भागीदारी व्यवस्था पेश की जायेगी।
  • खनिज क्षेत्र में खोज-खनन-उत्पादन एक समग्र अनुमति की व्यवस्था की शुरुआत की जाएगी। 500 ब्लॉकों की नीलामी होगी।
  • कुछ हथियारों के आयात पर रोक लगेगी, ऐसे हथियार और साजो सामान की खरीद सिर्फ भारत से की जा सकेगी।
  • रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में स्वत: मंजूरी मार्ग से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 49 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत की जायेगी।
  • यात्री उड़ानों के लिये भारतीय वायु मार्गों पर लगी पाबंदियों में ढील दी जायेगी, इससे विमानन क्षेत्र को एक हजार करोड़ का लाभ होगा।
  • खदानों से निकाले गये कोयले के उठाव की बुनियादी सुविधाओं पर सरकार 50 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी।
  • केन्द्र शासित प्रदेशों में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) का निजीकरण किया जायेगा।
  • उपग्रहों, प्रक्षेपणों और अंतरिक्ष-आधारित सेवाओं समेत भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में निजी कंपनियों को भगीदारी के अवसर मिलेंगे।
  • कैंसर एवं अन्य बीमारियों के किफायती उपचार के लिये पीपीपी आधार पर अनुसंधान नाभिकीय संयंत्र बनाये जायेंगे।

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