खाद बिक्री में बिचौलियों पर अंकुश लगायेगी सरकार

लखनऊ। धान खरीद में कीर्तिमान स्थापित करने के बाद कृषि क्षेत्र में ऐतिहासिक परिवर्तन लाने वाली उत्तर प्रदेश सरकार किसानों को खाद उपलब्ध कराने की व्यवस्था को पारदर्शी बनाने जा रही है। बिचौलियों पर अंकुश लगाने के लिए उसने नयी कार्ययोजना तैयार की है। खाद बिक्री केंद्रों की मॉनीटरिंग पर जोर दिया जायेगा। मुख्यमंत्री योगी ने सभी बिक्री केंद्रों पर उपलब्ध खाद का स्टॉक चेक करने और सभी खाद बिक्री केंद्रों को अपना स्टाक आईएफएमएस पोर्टल पर प्रदर्शित करने के आवश्यक निर्देश जारी किये हैं।

 

सरकार की मंशा शुरूआत से ही किसानों को ज्यादा से ज्यादा लाभ उनके घर, गांव और खेत के करीब तक पहुंचाने की रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव देवेश चतुवेर्दी ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों, मंडलायुक्तों और कृषि निदेशकों को इस कार्य में तेजी से जुटने के लिए कहा है। खाद बिक्री में होने वाले घोटालों और बिचौलियों के बढ़ते हस्तक्षेप को देखते हुए सरकार ने यह महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार का मानना है कि प्रदेश के सर्वांगीण विकास की नींव कृषि क्षेत्र है। इसलिए किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने, उनको रोजगार के अवसर देने के भी प्रयास किये जा रहे हैं।

 

किसानों की हितों की रक्षा करने वाली राज्य सरकार ने तय किया है कि 15 से 25 सितंबर के बीच विशेष अभियान चलाकर खाद दुकानों के स्टॉक को चेक किया जायेगा। व्यवस्था को पारदर्शी बनाने के लिए नये निदेर्शों के तहत अब थोक और फुटकर खाद विक्रेताओं को उपलब्ध स्टॉक की जानकारी भी देनी होगी। जिससे किसानों को किसी प्रकार का नुकसान न हो । इसके लिए जिले स्तर पर अफसरों की टीम बनाकर खाद गोदामों का स्टॉक चेक कराने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं। बता दें कि मोदी सरकार ने किसानों को राहत देने के लिए इस साल जून में डीएपी पर दी जाने वाली सब्सिडी को 700 रुपये बढ़ा दिया दिया है। अभी तक किसानों को 500 रुपये प्रति बैग की सब्सिडी मिलती थी। केंद्र सरकार के निर्णय के बाद किसानों को 1,200 रुपये प्रति बैग के हिसाब से सब्सिडी मिल रही है। किसानों को डीएपी खाद पहले की तरह ही 1200 रुपये पर मिल रही है और कंपनियों की तरफ से बढ़ाई गयी कीमत का उन पर कोई असर नहीं हुआ।

 

इसके पहले तक केंद्र सरकार डीएपी पर 500 रुपये प्रति बैग के हिसाब से सब्सिडी देती थी, जबकि डीएपी की कीमत 1,700 रुपये प्रति बैग थी। इसे बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल महंगा होने के चलते कंपनियों ने इसकी कीमत बढ़ाकर 2400 रुपये कर दी थी। इसकी वजह से किसानों को सब्सिडी के बाद भी 1,900 रुपये चुकाने पड़ रहे थे। इससे उन पर 700 रुपये का अतिरिक्त भार पड़ रहा था। सरकार ने सब्सिडी बढ़ाकर किसानों को इससे राहत दे दी है।

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