नयी दिल्ली। सरकार ने अपने महत्वाकांक्षी विनिवेश कार्यक्रम को सुविधाजनक बनाने के लिए सार्वजनिक उद्यम विभाग (डीपीई) को वित्त मंत्रालय के तहत किया है। इससे पहले डीपीई भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय का हिस्सा था। वित्त मंत्रालय में अब छह विभाग होंगे, जबकि भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय का नाम बदलकर अब भारी उद्योग मंत्रालय कर दिया गया है। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय बनाए गए विनिवेश मंत्रालय को वित्त मंत्रालय में मिलाकर एक विभाग का रूप दे दिया गया था।
इसके साथ ही विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) को खत्म करके विदेशी निवेश का प्रशासन वित्त मंत्रालय को सौंप दिया गया था। कैबिनेट सचिवालय द्वारा छह जुलाई 2021 को जारी एक अधिसूचना के अनुसार, वित्त मंत्रालय में उप-शीर्षक (5) वित्तीय सेवा विभाग के बाद, निम्नलिखित उप-शीर्षक शामिल किया जाएगा- (6) लोक उद्यम विभाग। गजट अधिसूचना में कहा गया है कि इन नियमों को भारत सरकार (कार्य का आवंटन) तीन सौ इकसठवां संशोधन नियम, 2021 कहा जा सकता है।
इस तरह यह वित्त मंत्रालय के तहत छठा विभाग होगा। इस समय वित्त मंत्रालय में पांच विभाग हैं – आर्थिक मामलों का विभाग, राजस्व विभाग, व्यय विभाग, वित्तीय सेवा विभाग और निवेश तथा सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग। यह बदलाव आज शाम होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार से पहले किया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के अपने बजट में एक बड़े निजीकरण एजेंडे की घोषणा की थी, जिसमें दो सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण शामिल है।
इसके अलावा भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) का प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) लाने और आईडीबीआई बैंक में शेष हिस्सेदारी बेचने का भी प्रस्ताव है। सरकार ने 2021-22 के दौरान सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में हिस्सेदारी बिक्री से 1.75 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य तय किया है।