नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि उनकी सरकार जितना संभव हो सके आसान तरीके से और भारतीय भाषाओं में कानून बनाने की दिशा में ईमानदारी से प्रयास कर रही है। मोदी ने यहां अंतरराष्ट्रीय अधिवक्ता सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए गलत उद्देश्यों के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता का इस्तेमाल करने के अलावा साइबर आतंकवाद और धन शोधन के बारे में भी चिंता जतायी।
उन्होंने कहा कि ये खतरे सीमाओं और अधिकार क्षेत्र को नहीं पहचानते और उन्होंने इनसे निपटने के लिए विभिन्न देशों की कानूनी रूपरेखा के बीच सहयोगात्मक प्रयासों का आह्वान किया। उन्होंने कहा, जब खतरा वैश्विक है तो उससे निपटने का तरीका भी वैश्विक होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने हवाई यात्रा सुनिश्चित करने के लिए सभी देशों की हवाई यातायात नियंत्रण प्रणालियों के बीच सहयोग का उदाहरण दिया और कहा कि इन खतरों से निपटने के लिए वैश्विक ढांचा तैयार करना किसी एक सरकार या देश का काम नहीं है।
भारत के प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, ब्रिटेन के न्याय संबंधी अधिकारी एलेक्स चॉक केसी, भारत के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, बार काउंसिल आॅफ इंडिया के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा और उच्चतम न्यायालय के कई न्यायाधीश समेत अन्य अधिकारी भी कार्यक्रम में उपस्थित रहे।
कानून प्रणाली पर मोदी ने कहा कि कानून लिखने और न्यायिक प्रक्रिया में जिस भाषा का इस्तेमाल किया जाता है, वह न्याय सुनिश्चित करने में एक बड़ी भूमिका निभाती है। उन्होंने विधि क्षेत्र के लोगों को संबोधित करते हुए कहा, भारत सरकार में हम लोग सोच रहे हैं कि कानून दो तरीकों से पेश किया जाना चाहिए। एक मसौदा उस भाषा में होगा जिसका आप इस्तेमाल करते हैं।
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