नई दिल्ली। सरकार ने निजी-सरकारी भागीदारी में आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र की ढांचागत परियोजनाओं को निवेश की दृष्टि से व्यावहारिक बनाने के लिए संशोधित व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण (वीजीएफ) योजना को मंजूरी दे दी। इस योजना के लिए 8,100 करोड़ रुपये का आवंटन भी मंजूर किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति की बैठक में अद्यतन की गई नई वीजीएफ को मंजूरी दी गई। वीजीएफ योजना के तहत सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) में बनने वाली ऐसी ढांचागत परियोजनाओं को सरकार की ओर वित्तीय समर्थन दिया जाता है जो उसके बिना व्यावसायिक नजरिए से व्यावहारिक नहीं दिखती। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यहां संवाददाताओं को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि ढांचागत क्षेत्र की पीपीपी योजनाओं को वित्तीय समर्थन देने वाली संशोधित वीजीएफ योजना को 2024-25 तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
योजना के तहत 2024-25 तक ढांचागत क्षेत्र की पीपीपी परियोजनाओं को वित्तीय समर्थन दिया जाता रहेगा। मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि संशोधित वीजीएफ परियोजना के तहत कुल 8,100 करोड़ रुपये की राशि आवंटित कि गई है। इसमें से 6,000 करोड़ रुपये आर्थिक ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं को समर्थन देने के लिए होंगे जबकि शेष 2,100 करोड़ रुपये सामाजिक अवसंरचना परियोजनाओं के लिए रखे गए हैं।
इससे पहले वीजीएफ योजना को आर्थिक क्षेत्र से जुड़ी ढांचागत परियोजनाओं तक ही सीमित रखा गया था। विज्ञप्ति में कहा गया है कि संशोधित वीजीएफ योजना से स्वास्थ्य, शिक्षा, दूषित जल, ठोस कचरा प्रबंधन और जलापूति सहित सामाजिक क्षेत्र की विभिन्न पीपीपी परियोजनाओं में अधिक निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा।
इसमें कहा गया है कि नए अस्पताल और स्कूल खुलने से रोजगार सृजन के कई नए अवसर पैदा होंगे। नई संशोधित वीजीएफ के तहत केन्द्र सरकार कुल परियोजना लागत (टीपीसी) का अधिकतम 30 प्रतिशत तक व्यवहार्यता अंतर वित्तपोषण उपलब्ध कराएगी। वहीं राज्य सरकार, प्रायोजक केन्द्रीय मंत्रालय अथवा सांविधिक इकाई कुल परियोजना लागत का अतिरिक्त 30 प्रतिशत तक समर्थन उपलब्ध करा सकेगी।