सुनील कुमार वाजपेयी की चार कृतियों का विमोचन

यू.पी. प्रेस क्लब, हजरतगंज में हुआ कार्यक्रम
लखनऊ। इं. सुनील कुमार वाजपेयी जी की चार कृतियों, मैं शाश्वत सत्य सनातन हूँ, शाश्वत भाव प्रवाह, बीते तीन प्रहर, जो उमड़ा सो बरसा का लोकार्पण यू.पी. प्रेस क्लब, हजरतगंज में विधिवत सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित ने की। मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. विद्या विन्दु सिंह जी एवं विशिष्ट अतिथि प्रो. हरिशंकर मिश्र थे। श्रीमद्भगवद्गीता में परमात्मा को सनातन तो माना गया है। साथ ही जीवात्मा को भी सनातन धर्म के रूप में स्वीकार किया गया है। अर्थात कहने का तात्पर्य यह है कि सनातन धर्म में सभी चीजें सनातन हैं और यह अनादिकाल से हैं। कहा जाता है कि यतो धार्मस्ततो जय: अर्थात जहां धर्म हैं वहां विजय निश्चित है। इसलिए मनुष्य को धर्मनिष्ठ रहना चाहिए। ये बाते प्रो हरि शंकर मिश्र ने प्रेस क्लब में आयोजित पुस्तक लोकार्पण समारोह में कही, जहां इ सुनील कुमार वाजपेयी की चार पुस्तकों का लोकार्पण किया गया। मुख्य अतिथि पद्मश्री विद्या विंदु सिंह ने कहा कि सनातन का अर्थ है शाश्वत, सदा रहने वाला, अर्थात ऐसा धर्म जो अनादि और अनंत है। जिसके मूल में सर्व कल्याण की भावना व्याप्त है। वाजपेयी जी का लेखन इसी भावना से परिपूर्ण है। कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षित जी ने अपने वक्तव्य में सुनील कुमार वाजपेयी की रचना धर्मिता को रेखांकित करते हुए कहा कि सृजन का मुख्य उद्देश्य लोक मंगल के साथ सत्य, दया, क्षमा, परोपकार जैसे नैतिक व सांस्कृतिक मूल्यों की स्थापना है। जब इस उद्देश्य के निहितार्थ कोई रचना की जाती है तो वह स्थाई मूल्य की होती है। वाजपेयी जी की रचना धर्मिता इसी सकारात्मक उद्देश्य से परिपूर्ण दिखाई देती है। डॉ मृदुल शर्मा ने ‘शाश्वत भाव प्रवाह’ पर कहा शाश्वत भाव प्रवाह कवित्त संग्रह के छंदों की विषय वस्तु और शिल्प दोनों ही बहुत समृद्ध हैं। कविवर सुनील कुमार वाजपेयी ने देव स्तुति के साथ ही अनेक नगरों, ऋतुओं, पर्वों एवं सम-सामयिक समस्याओं एवं विचारणीय मुद्दों को अपने काव्य का कथ्य बनाया है जो उनकी विशद काव्य दृष्टि और व्यापक सोच का परिचायक है। श्री कृपाशंकर विश्वास जी ने मैं शाश्वत सत्य सनातन हूँ पर अपने विचार रखें और इस कृति को अद्भुद और संग्रहणीय कृति बताया। ‘जो उमड़ा सो बरसा’ पर अपने विचार व्यक्त करते हुये डॉ. गोपालनारायण श्रीवास्तव ने कृति की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उ.प्र. हिन्दी संस्थान की मुख्य संपादक डॉ. अमिता दुबे ने ‘बीते तीन प्रहर’ पर अपने विचार रखें और इं. सुनील कुमार वाजपेयी को परिवार के प्रति अत्यन्त संवेदनशील बताया। कार्यक्रम का आरंभ वीणापाणि सरस्वती के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर माल्यार्पण कर किया गया। वाणी वन्दना घनानन्द पाण्डेय ‘मेघ’ ने, स्वागत वक्तव्य संस्था के संरक्षक डॉ. दिनेश चन्द्र अवस्थी जी ने एवं धन्यवाद ज्ञापन उपाध्यक्ष सुशील चन्द्र श्रीवास्तव ने किया। कार्यक्रम का संचालन संस्था की महामंत्री डॉ. रश्मिशील ने व संयोजन आवारा नवीन एवं नवीन शुक्ल नवीन ने किया। कार्यक्रम में नगर के लगभग सभी साहित्यकार एवं पत्रकार बंधु सम्मिलित रहे।

RELATED ARTICLES

रथ पर विराजमान होकर आज नगर भ्रमण पर निकलेंगे श्री जगन्नाथ

लखनऊ। भगवान जगन्नाथ शुक्रवार 27 जून को बलभद्र और माता सुभद्रा के साथ शहर भ्रमण के लिए निकलेंगे। वैसे तो भक्त अमूमन दर्शन के...

शास्त्रीय गायन, वादन, कथक और भरतनाट्यम ने मंच पर समां बांधा

भातखंडे : प्रमाण पत्र वितरण समारोह में प्रतिभागियों नें दी मनमोहक प्रस्तुति लखनऊ। भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ मे चल रहे ग्रीष्मकालीन संगीत एवं कला अभिरुचि...

जगन्नाथ रथ यात्रा से पूर्व हुआ सामूहिक हवन यज्ञ

आज नगर भ्रमण पर निकलेंगे श्री जगन्नाथ, माता सुभद्रा, भाई बलदेव लखनऊ। डालीगंज श्री राधा माधव सेवा संस्थान के बैनर तले स्थित 64वा श्री माधव...

Latest Articles