चंडीगढ़ । पंजाब में बुधवार को बाढ़ की स्थिति और गंभीर हो गई। लगातार बारिश और नदियों के उफान के कारण कई जिलों में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। अमृतसर जिले के अजनाला क्षेत्र में रावी नदी का बांध टूटने से आसपास के गांव जलमग्न हो गए।
बुधवार सुबह रावी नदी में पानी का स्तर 4.60 लाख क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया। इसके चलते अमृतसर के अलावा गुरदासपुर और पठानकोट जिलों में भी कई इलाकों में बाढ़ आ गई।
रणजीत सागर डैम में पानी खतरनाक स्तर 527.91 मीटर से ऊपर चला गया है। मंगलवार को डैम से करीब 1.95 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया, और आज भी नियंत्रित रूप से और पानी छोड़ा जाएगा। इसी तरह भाखड़ा और पोंग डैम से भी नियंत्रित तरीके से पानी छोड़ा जा रहा है।
स्थिति केवल रावी तक सीमित नहीं है। ब्यास और सतलुज नदियों के उफान से होशियारपुर, कपूरथला, तरनतारन, फिरोजपुर और फाजिल्का जिले भी गंभीर रूप से प्रभावित हैं।

बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्य सरकार ने 30 अगस्त तक सभी स्कूल बंद रखने के आदेश दिए हैं। नदियों के किनारे बसे गांवों को सतर्क रहने की चेतावनी दी गई है। प्रशासन ने प्रभावित इलाकों में राहत शिविर स्थापित किए हैं। सेना, पुलिस और राज्य आपदा राहत बल को राहत और बचाव कार्यों में लगाया गया है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान बुधवार को पठानकोट और गुरदासपुर का दौरा करेंगे और राहत कार्यों की समीक्षा करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने जलंधर में केंद्रीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष की स्थापना और बाढ़ प्रबंधन समिति का गठन किया है।
राज्य मंत्रियों को जिलों की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह, गुरमीत सिंह खुडिया और बरिंदर कुमार गोयल राज्य भर की स्थिति की निगरानी करेंगे। वहीं महिंदर भगत और हरदीप सिंह मुंडियां कपूरथला जिले में रहेंगे। ललजीत सिंह भुल्लर और हरभजन सिंह ईटीओ तरनतारन की स्थिति पर नजर रखेंगे। फाजिल्का जिले का जिम्मा डॉ. बलजीत कौर और तरुणप्रीत सिंह सोंध को सौंपा गया है।