नहीं रहे जाने माने एक्टर-डायरेक्टर मनोज कुमार, पीएम मोदी ने भारतीय सिनेमा का बताया आदर्श

मुंबई। देशभक्ति पर आधारित शहीद, उपकार एवं पूरब और पश्चिम जैसी लोकप्रिय फिल्मों में अभिनय के बाद भारत कुमार के नाम से मशहूर-दिग्गज अभिनेता एवं फिल्मकार मनोज कुमार का शुक्रवार को तड़के मुंबई के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 87 वर्ष के थे। मनोज कुमार के पारिवारिक मित्र और फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने बताया कि कुमार पिछले कुछ समय से बीमार थे और उम्र संबंधी समस्याओं के कारण उनका कोकिलाबेन अंबानी अस्पताल में तड़के करीब साढ़े तीन बजे निधन हो गया।

कुमार की फिल्मों ने 1960 और 1970 के दशक में बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की। अस्पताल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और कार्यकारी निदेशक डॉ. संतोष शेट्टी ने एक बयान में कहा, वह (कुमार) पिछले कुछ सप्ताह से अस्पताल में भर्ती थे। मनोज कुमार के बेटे कुणाल गोस्वामी ने बताया कि उनके पिता स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं से पीड़ित थे और पिछले कुछ साल से बिस्तर पर थे। उन्होंने कहा, उन्हें पीड़ा से मुक्ति मिल गई। गोस्वामी ने बताया कि उनके पिता को पिछले कुछ समय में कई बार अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था और हाल में उन्हें निमोनिया के कारण भर्ती कराया गया था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मनोज कुमार को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भारतीय सिनेमा का आदर्श बताया। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, दिग्गज अभिनेता एवं फिल्म निर्माता मनोज कुमार जी के निधन से बहुत दुखी हूं। वह भारतीय सिनेमा के आदर्श थे जिन्हें देशभक्ति की उनकी भावना के लिए विशेष रूप से याद किया जाता था और यह उनकी फिल्मों में भी झलकता था। मोदी ने कहा कि कुमार की फिल्मों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को जगाया और ये आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेंगी।

फिल्म जगत में उल्लेखनीय योगदान के लिए दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित कुमार को दो बदन, हरियाली और रास्ता तथा गुमनाम जैसी सफल फिल्मों के लिए भी जाना जाता था। अविभाजित भारत के एबटाबाद शहर (अब पाकिस्तान) में एक पंजाबी हिंदू परिवार में जन्मे कुमार का जन्म का नाम हरिकृष्ण गोस्वामी था। उनका परिवार बाद में दिल्ली आ गया और कुमार ने हिंदू कॉलेज से स्नातक की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वह फिल्मों में करियर बनाने के लिए मुंबई आ गए।

कुमार ने 2021 में एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें शबनम फिल्म में दिलीप कुमार द्वारा निभाया गया मनोज का किरदार इतना पसंद आया था कि उन्होंने अपना नाम बदलकर मनोज रखने का फैसला कर लिया। उन्होंने कहा, मुझे वह समय याद है जब मैं 1949 में रिलीज हुई फिल्म शबनम में दिलीप कुमार साहब को देखने गया था। उनकी वजह से ही मैं सिनेमा का प्रशंसक बना। मुझे फिल्म में उनके किरदार से प्यार हो गया था। इस किरदार का नाम मनोज था। उस समय मेरी उम्र 11 साल रही होगी लेकिन मैंने तुरंत फैसला कर लिया कि अगर मैं कभी अभिनेता बना तो अपना नाम मनोज कुमार ही रखूंगा।

उसके कई साल बाद दिलीप कुमार ने मनोज कुमार की फिल्म क्रांति में भूमिका निभाने के लिए हामी भरी। कुमार ने कहा कि दिलीप कुमार के क्रांति में अभिनय के लिए हामी भरने से उन्हें बहुत खुशी हुई थी। मनोज कुमार को पहली बड़ी सफलता 1962 में रिलीज हुई फिल्म हरियाली और रास्ता से मिली जिसमें माला सिन्हा अभिनेत्री थीं। इसके बाद वो कौन थी? को भी भारी सफलता मिली और उसका गीत लग जा गले बहुत लोकप्रिय हुआ। उनकी 1965 में भगत सिंह के जीवन पर आधारित फिल्म शहीद रिलीज हुई जो काफी सफल रही और इसने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का भी ध्यान खींचा था।

शास्त्री के साथ बातचीत के दौरान कुमार के मन में उनके लोकप्रिय नारे जय जवान, जय किसान से प्रेरणा लेकर फिल्म बनाने का विचार आया जिसके बाद उन्होंने उपकार फिल्म बनाई। यह उनके निर्देशन में बनी पहली फिल्म थी। यह फिल्म बेहद सफल रही और इसका गीत मेरे देश की धरती अत्यंत लोकप्रिय हुआ। देशभक्ति से भरपूर फिल्मों के अलावा कुमार ने हिमालय की गोद में , दो बदन , सावन की घटा और गुमनाम जैसी फिल्मों में रोमांटिक किरदार भी निभाए।

उन्होंने पूर्व और पश्चिम के बीच सांस्कृतिक अंतर के विषय पर 1970 में पूरब और पश्चिम फिल्म बनाई। इस फिल्म ने भी बड़ी सफलता हासिल की। देशभक्ति और सामाजिक विषयों पर आधारित फिल्मों के प्रति उनके झुकाव के कारण वह भारत कुमार के नाम से लोकप्रिय हुए। उनकी सफल फिल्में रोटी कपड़ा और मकान तथा क्रांति भी इन्हीं विषयों पर आधारित थीं।

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