उत्तराखंड महोत्सव में लोकनृत्य से रोशन हुई शाम

दस दिवसीय उत्तराखण्ड महोत्सव का तृतीय दिवस
गोमती तट पर डांस उत्तराखण्ड डांस प्रतियोगिता ने मचाई धूम

लखनऊ। गोमा तट, भारत रत्न पं. गोविन्द बल्लभ पंत पर्वतीय सांस्कृतिक उपवन, बीरबल साहनी मार्ग पर चल रहे उत्तराखण्ड महोत्सव पर सुन्दर मंच निर्माण कुम्भ को दशार्ते हुए संयोजक हेम सिंह द्वारा किया गया है। भारतीय लोक संस्कृति की परम्पराओं, लोक कलाओं एवं लोक विधाओं का संगम उत्तराखण्ड महोत्सव में दिखाई दे रहा है। पावन गोमती तट पर सायं गुनगुनी ठण्डक के साथ सुहावना होता मौसम का मिजाज, लजीज खाने की खुशबू, सुन्दर मंच पर चल रहे विविध कार्यक्रम यहां आये दर्शकों को मंत्र मुग्ध कर देते हैं तथा दर्शकगण स्टालों में खरीददारी का लुत्फ भी उठा रहे हैं।
महोत्सव स्थल पर विविध स्टालों के साथ-साथ खान पान के स्टाल जिसमें अमेरिकन भुट्टा, चट्पटी चाट, भेलपुड़ी, फास्ट फूड छोला भटूरा, पाव भाजी, पापड़ भण्डार, उत्तराखंडी व्यंजनों आदि सामग्री खूब बिक रही है। ऊनी वस्त्र, खादी वस्त्र के साथ उत्तराखण्ड की टोपी तथा हिमाचली टोपी लोगों को खूब भा रही है।
तृतीय दिवस के अवसर पर सांय मुख्य अतिथि मेजर जनरल शरद बिक्रम सिंह प्रबन्ध निदेशक, उत्तर प्रदेश पूर्व सैनिक कल्याण निगम लिमिटेड, विशिष्ट अतिथि कर्नल सतेन्द्र सिंह नेगी द्वारा परम्परागत ढंग से दीप प्रज्वलन कर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारम्भ किया। महापरिषद के पदाधिकारियों ने अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ट भेंट कर स्वागत किया एवं पूर्व सैनिकों को सम्मानित भी किया गया।
महोत्सव में आज अपराह्न एकल नृत्य में विशिष्ट बालिका रिद्म सरकार ने नृत्य प्रस्तुत कर जन समूह का मन मोहा तथा उसे प्रथम पुरस्कार दिया गया यह प्रतियोगिता पुष्पा वैष्णव, सुनीता कनवाल, आशा बनौला, विद्या सिंह की देखरेख में सम्पन्न हुई।
छोलिया-नृत्य मीडिया प्रभारी राजेन्द्र सिंह कनवाल ने बताया कि यह युद्ध शैली का नृत्य है, युद्ध में विजय के बाद के उत्सव को दशार्ता है। सभी नर्तक पौराणिक शैली की वेश भूषा पहन कर तलवार से युद्ध का अभिनय तथा ढाल से अपना बचाव करते हैं, इसमें लोक वाद्य-ढोल, दमाऊ, रणसिंग, तुरही, मसकबीन का उपयोग होता है। गढ़वाल में इसे सर्रों कहते है। संस्कृति विभाग, देहरादून उत्तराखण्ड से आये उधान्चल कला केन्द्र अल्मोड़ा के कलाकारों द्वारा प्रत्येक दिन महोत्सव स्थल पर सुन्दर छोलिया नृत्य प्रस्तुत किया जा रहा है।
महोत्सव को सफल बनाने में के0एस0 चुफाल, महेश रौतेला, मदन सिंह, भुवन पटवाल, भुवन चन्द्र पाठक, अवधेश कोठारी, पूरन भदौला, सुरेश पाण्डेय, पंकज खर्कवाल, पूरन जोशी, देव सिंह घुघतियाल, केसर सिंह रावत, राजेन्द्र सिंह बिष्ट, मोहन पंत, अशोक असवाल, रमेश चन्द्र सिंह अधिकारी सुनील कुमार उप्रेती, लक्ष्मण सिंह मर्तोलिया आदि कार्यकर्ताओ की भूमिका महत्वपूर्ण है।
डांस उत्तराखण्ड डांस प्रतियोगिता को डांस इण्डिया डांस की तर्ज पर बनाया गया है। इसके साथ नाचेगा भारत कार्यक्रम को साकार रूप देने में पूरन सिंह जीना-उपाध्यक्ष, महेन्द्र सिंह गैलाकोटी-सांस्कृतिक सचिव ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। महिला कवि सम्मेलन में कवियत्रियों-प्रीति एम शाह, दीक्षा पाण्डेय, सोनम जायसवाल, प्रियंका, डा. करूणा पाण्डे, पूनम कनवाल के अपने काव्यपाठ से दर्शकों को गुदगुदाया तथा उनका ध्यान गम्भीर मुद्दो की ओर आकर्षित भी किया।
झोड़ा के 5 दलों की मनमोहक प्रस्तुति में सीमान्तनगर, कल्याणपुर नेतृत्व-दीपा बिष्ट, वसुन्धरापुरम, कल्याणपुर नेतृत्व-सुशीला नेगी, खरगापुर, गोमतीनगर नेतृत्व-ऊषा रावत, जन सरोकार सांस्कृतिक समिति, गोमती नगर नेतृत्व-हेमा वाणगी, विकास नगर नेतृत्व त्रिलोचनी रावत द्वारा पारम्परिक वेशभूषा में सुन्दर झोड़ो की प्रस्तुतियाँ देकर उत्तराखण्ड की लोक कला से जन समूह का परिचय कराया।
नाचेगा भारत के 4 दलों की प्रस्तुति में कुर्मान्चल नगर गु्रप नेतृत्व रेनू काण्डपाल, नृत्य डांस ग्रुप नेतृत्व शैलेन्द्र सिंह, जनकल्याण समिति विकास नगर नेतृत्व ममता रावत, डा0 श्रेया संगीत संस्थान, लखनऊ नेतृत्व डा. श्रेया के द्वारा प्रतियोगिता में डांस की मनमोहक प्रस्तुतियों से दर्शकों का ध्यानाकर्षण किया।
डांस उत्तराखण्ड डांस, सीजन-3 के 4 दलों की प्रस्तुति में आर्टस एंड कल्चरल ग्रुप- हेमा बिष्ट के नेतृत्व में, पंत डांस इवेन्ट कम्पनी खटीमा- कैलाश पन्त के नेतृत्व में, कुटुम्ब ग्रुप मायापुरी रश्मि रावत के नेतृत्व में, नई दिशाएं नैनीताल किशन लाल के नेतृत्व में चारों दलों ने एक से एक बेहतरीन नृत्य कला का प्रदर्शन कर प्रतियोगिता के अगले राउण्ड में जगह बनाने की पुरजोर कोशिश की तथा दर्शकों का मनोरंजन कर तालियाँ बटोरी। संस्कृति विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के सहयोग से प्रदीप सिंह भदौरिया के नेतृत्व मे झॉसी से आये महमान कलाकारों के द्वारा बुन्देली राई नृत्य की प्रस्तुति दी गयी। जिसके बोल ओरछा रामराज सरकार आ गए शरण में तुम्हारी-जब राजा महाराजा जंग जीत कर आते थे तो महिलाएं पूरे मैदान में फैल कर नृत्य करती हैं जैसे राई फैल जाती है और राजा महाराजा नृत्य का आनन्द लेते हैं।

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