लखनऊ। निकायों में तबादले के बाद इंजीनियर व अधिकारियों का कुर्सी मोह नहीं छूट रहा है। लखनऊ समेत प्रदेश के कई निकायों में एसएफआई व इंजीनियरों का तबादला दूसरे निकायों में हो चुका है इसके बाद वह जमे हुए हैं, उनका वेतन भी वहीं से निकाला जा रहा है। इसे निदेशालय ने गंभीरता से लिया है। तबादले के बाद भी संबंधित का वेतन निकालने वाले अधिकारियों के खिलाफ अब निलंबन की कार्रवाई की जाएगी। नई तैनाती स्थल पर न जाने वालों का वेतन रोकने के निर्देश दिए गए हैं। स्थानीय निकाय निदेशक डा. नितिन बंसल ने इस संबंध में निकायों को निर्देश भेज दिया है।
निकायों से सूचना मांगी गई है कि उनके यहां कितनों का स्थानांतरण हुआ और कार्यमुक्त कितने हुए हैं। बताया जा रहा है कि लखनऊ नगर निगम में कई अभियंता व सफाई एवं खाद्य निरीक्षक स्थानांतरण के बाद भी जमे हुए हैं। इसकी शिकायत आला अधिकारियों से की गई। इसके बाद ही यह आदेश किया गया है। राज्य सरकार ने तबादला नीति जारी करते हुए जिले में तीन साल और मंडल में सात साल तक रहने वालों को स्थानांतरित करने का आदेश दिया था। इसके आधार पर निकायों में केंद्रीयत सेवा के अधिकारियों, अभियंताओं और कर्मचारियों का स्थानांतरण किया गया है।
स्थानांतरित होने वालों से एक सप्ताह में नई तैनाती स्थल पर कार्यभार ग्रहण करने का आदेश दिया गया। निकायों में भी इसके आधार पर तबादले किए गए हैं। इसके बाद भी तबादला रुकवाने का खेल चल रहा है। स्थानीय निकाय निदेशक ने सभी निकायों को इस संबंध में पत्र लिखते हुए कहा है कि जो भी स्थानांतरित हुए हैं उन्हें तत्काल कार्यमुक्त किया जाए। इसकी सूचना निदेशालय को भी देने को कहा गया था। इसके बाद भी सूचना न देना अत्यंत खेदजनक है।
उन्होंने कहा है कि इनको तत्काल कार्यमुक्त किया जाए और उनका वेतन नई तैनाती स्थल से ही निकाला जाए। किसी भी स्थानांतरित कार्मिक का वेतन पूर्व तैनाती स्थल से निकाला जाता है तो इसके लिए जिम्मेदार पर कार्रवाई की जाएगी। लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, मेरठ में तैनाती पाने वाले अभियंता, सहायक नगर आयुक्त व सफाई एवं खाद्य निरीक्षक तबादला होने के बाद भी कार्यमुक्त नहीं होते हैं। ऊंची सिफारिश के बलबूते अपने को निदेशालय से संबद्ध करा लेते हैं और वेतन पुराने स्थान से निकलता रहता है। शासन से लेकर निदेशालय में इसकी शिकायत की गई है। इसी के बाद ही यह आदेश जारी किया गया है जिससे पूरे खेल पर अंकुश लग सके।