हैदराबाद। सड़क दुर्घटना में एक पैर गंवाने के बाद भी 29 वर्षीय मानसी जोशी के हौसले पस्त नहीं हुए और उन्होंने बैडमिंटन में अपना सपना साकार करने के लिये प्रयास जारी रखे और अब उनका लक्ष्य इंडोनेशिया में होने वाले पैरा एशियाई खेलों में पदक जीतना है।
मुंबई में जन्मी यह खिलाड़ी पिछले एक महीने से यहां पी गोपीचंद अकादमी में प्रशिक्षण ले रही है। वह जकार्ता में अक्तूबर में होने वाले पैरा एशियाई खेलों में अच्छा प्रदर्शन कने के प्रति आश्वस्त हैं। मानसी ने दिसंबर 2011 में सड़क दुर्घटना में एक पांव गंवा दिया था लेकिन इसके बावजूद उन्होंने खेलना जारी रखा।
उन्होंने कहा, मैं बचपन से बैडमिंटन खेल रही हूं और विकलांग होने के बाद भी मैंने फिर से यह खेल खेलना शुरू कर दिया। मानसी कृत्रिम पांव के सहारे खेलती है तथा अब तक कई बैडमिंटन टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुकी। वह 2015 से भारत का प्रतिनिधित्व कर रही है और पदक भी जीत चुकी हैं। मानसी ने बताया कि उन पर कृत्रिम पांव मुंबई में रिहैबिलिटेशन क्लिनिक में लगाया गया।
वह जिस कृत्रिम पांव का उपयोग करती हैं उसमें सेंसर लगे हुए हैं। मुख्य कोच पी गोपीचंद ने कहा कि मानसी सक्षम लोगों के लिये भी प्रेरणास्रोत है। गोपीचंद ने कहा, पैरा बैडमिंटन में पदक जीतने के काफी मौके होते हैं। मानसी काफी कड़ी मेहनत करती है। उसका जुझारूपन देखकर अच्छा लगता है। वह कई सक्षम लोगों के लिये भी प्रेरणा है। उम्मीद है कि वह अच्छा प्रदर्शन जारी रखेगी।
मानसी ने कहा कि वह जिस कृत्रिम पांव का उपयोग करती है वह काफी महंगा है और उन्हें उम्मीद है कि सरकार इसमें छूट देकर मदद करेगी। उन्होंने बताया कि कृत्रिम अंगों में हाल में पांच प्रतिशत का जीएसटी जोड़ा गया। मानसी ने कहा, कृत्रिम पांव की कीमत 20 लाख रूपये है और प्रत्येक पांच साल में इसे बदलना पड़ता है तथा यह निश्चित तौर पर एक बोझ है भले ही आप कितने भी धनी हों।