लखनऊ। दीपोत्सव का पर्व इस बार छह दिनों तक चलेगा। त्योहारों की यह शृंखला कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी यानी धनतेरस से शुरू होकर भ्रातृ द्वितीया तक पांच दिन चलती है। मगर इस बार यह महापर्व 29 अक्तूबर से तीन नवंबर तक मनाया जाएगा। प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी तिथि में धनतेरस का पर्व 29 अक्तूबर को, छोटी दीपावली 30 को, और दीपावली 31 को मनायी जाएगी। पं. बिन्द्रेस दुबे ने बताया इस दिन शुभ मुहूर्त में खरीदारी शुभफल दायक है। धनतेरस के दिन इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, वाहन, सोना, चांदी, रत्न, आभूषण और बर्तन आदि की खरीदारी कर घर लाना अति शुभफल दायक होता है। मान्यता है कि आयुर्वेद के प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि का जन्म इसी कार्तिक कृष्ण पक्ष त्रयोदशी तिथि यानी धनतेरस के दिन प्रदोष काल में हुआ था। इसी कारण प्रदोष व्यापिनी त्रयोदशी में ही धनतेरस का पवित्र पर्व मनाया जाता है। स्थिर लग्न अथवा प्रदोष कालीन स्थिर लग्न में बर्तन आदि समेत कोई भी धातु खरीदना शुभफल दायक होता है। विशेषकर इस मुहूर्त में धातु या मिट्टी का कलश अवश्य खरीदना चाहिए।
अमावस्या तिथि कब से कब तक है
पंचाग के अनुसार कार्तिक अमावस्या गुरुवार 31 अक्टूबर 2024 को दोपहर 3 बजकर 52 मिनट पर शुरू हो रही है और अमावस्या तिथि का समापन शुक्रवार 1 नवंबर 2024 शाम 06 बजकर 16 मिनट पर होगा। अब दो स्थिति बनी की लक्ष्मी पूजन अमावस्या के प्रदोष में होता है, तो 31 अक्टूबर को प्रदोष काल मिल रहा है। वहीं उदया तिथि के अनुसार दिवाली 1 नवंबर की मनानी चाहिए। ऐसे में काशी और राजस्थान के ज्योतिषियों ने बैठकर कर 31 अक्टूबर को दिवाली मनाना शास्त्रसम्मत शुभ बताया है। क्योंकि इस दिन अमावस्या तिथि पर प्रदोष काल मिल रहा है। प्रदोष काल में पूजन शुभ माना जाता है, अगले दिन प्रदोष काल नहीं मिल रहा है। ज्योतिर्विद पंडित दिवाकर त्रिपाठी के अनुसार भी दिवाली 31 अक्टूबर को मनाना शुभ है, उनके अनुसार कार्तिक कृष्ण पक्ष उदय कालिक अमावस्या तिथि 1 नवंबर 2024 दिन शुक्रवार को होगा इस दिन स्नान दान सहित पितरों के तर्पण के लिए विशेष कार्य किए जाएंगे। इस दिन महावीर स्वामी निर्वाण दिवस भी है। इस कारण से जैन परंपरा को मानने वाले लोगों के लिए 1 नवंबर का दिन विशेष होगा। सभी सनातन धर्मियों को 31 अक्तूबर 2024 दिन गुरुवार को प्रदोषकाल से मध्यरात्रि व्यापिनी कार्तिक अमावस्या को लक्ष्मी पूजन करना शास्त्रसम्मत होगा।
महालक्ष्मी पूजा 2024
दृग पंचांग के अनुसार इस साल महालक्ष्मी पूजा 31 अक्टूबर, गुरुवार को है। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन महालक्ष्मी पूजा होती है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है।
दिवाली 2024 कैलेंडर-
छोटी दिवाली 2024
धनतेरस के बाद छोटी दिवाली, जिसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं मनाई जाती है। इस दिन हनुमान जी की पूजा करने का विधान है। इस साल छोटी दिवाली 30 अक्टूबर की है।
गोवर्धन पूजा 2024
इस साल 2 नवंबर, शनिवार को गोवर्धन पूजा है। इसे देश के कुछ हिस्सों में अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। गोवर्धन पूजा के दिन कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठा लिया था।
भाई दूज 2024
इस साल 3 नवंबर, रविवार को भाई दूज है। भैया दूज पर बहनें अपने भाई के टीका करती हैं, और बदले में भाई अपनी बहन को गिफ्ट देते हैं।
दिवाली पर शनि-गुरु की वक्री चाल करेगी कमाल
लखनऊ। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक ग्रह एक निश्चित अवधि पूरा करने के बाद अपनी राशि परिवर्तन करते हैं और उसके राशि परिवर्तन करने का असर राशि चक्र के 12 राशि समेत मानव जीवन पर किसी न किसी तरह से देखने को मिलता है. सभी ग्रहों की अपेक्षा शनि देव और गुरु को बेहद महत्वपूर्ण ग्रह ज्योतिष शास्त्र में माना जाता है. इन दोनों ग्रहों को धीमी गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है. कहा जाता है कि जिसके कारण इनका असर 12 राशि के जातकों पर काफी लंबे समय तक रहता है. ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस समय गुरु वृषभ राशि में तथा शनि देव कुंभ राशि में वक्री अवस्था में विराजमान हैं, जो दीपावली में इसी अवस्था में रहने वाले हैं. गुरु और शनि की उल्टी चाल चलने से 12 राशि के जातकों पर इसका प्रभाव देखने को मिलेगा.ज्योतिषीय गणना के अनुसार देवगुरु बृहस्पति और शनि देव कुंभ अथवा वृषभ राशि में वक्री अवस्था में विराजमान हैं और दीपावली में भी यह दोनों ग्रह इसी अवस्था में रहेंगे. जिसका प्रभाव कुछ राशि के जातकों पर अधिक देखने को मिलेगा. जिसमें वृषभ, कुंभ और धनु राशि के जातक शामिल हैं।
वृषभ राशि:
इन राशि के जातकों पर गुरु और शनि की विशेष नजर रहेगी. परिस्थितियां अनुकूल होंगी. नौकरी की तलाश पूरी होगी. कार्य स्थल में चल रही समस्या से निजात मिलेगा. व्यापार में लाभ होगा.
धनु राशि:
धनु राशि के जातकों के लिए यह समय बहुत अच्छा रहेगा. हर क्षेत्र में सफलता मिलेगी. तरक्की के मार्ग प्रशस्त होंगे. करियर में लाभ मिलेगा. समाज में मान सम्मान की वृद्धि होगी. धार्मिक यात्रा पर जा सकते हैं.
कुंभ राशि:
कुंभ राशि के जातकों के लिए गुरु और शनि का वक्री होना बहुत अच्छा माना जा रहा है. धन का लाभ होगा. रुका हुआ कार्य पूरा होगा. परिवार के साथ अच्छा समय बीतेगा. समाज में मान सम्मान की वृद्धि होगी. व्यापार में वृद्धि होगी. रुका हुआ धन वापस मिलेगा. दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी.
धनतेरस 29 को, बन रहा त्रिपुष्कर योग
खरीददारी करने के लिए 1 घंटा 41 मिनट है शुभ

लखनऊ। धनतेरस का त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इसे धन त्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है। इसी तिथि पर देवताओं के वैद्य धन्वंतरि समुद्र मंथन से प्रकट हुए थे, इसलिए धनतेरस को धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन प्रदोष व्रत भी रखा जाता है, जिसमें शाम के समय भगवान शिव की पूजा की जाती है। इस बार धनतेरस पर त्रिपुष्कर योग बन रहा है। इस योग में आप जो भी काम करेंगे, उसका तीन गुना फल मिलेगा। इस साल धनतेरस पर आपको 1 घंटा 41 मिनट का शुभ मुहूर्त मिलेगा। पंचांग के अनुसार इस वर्ष धनतेरस के लिए आवश्यक कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर मंगलवार को सुबह 10:31 बजे शुरू होगी। यह तिथि 30 अक्टूबर को दोपहर 1:15 बजे समाप्त होगी। इस वर्ष धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर मंगलवार को है। इस बार धनतेरस के दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है। उस दिन सुबह 6:31 बजे से त्रिपुष्कर योग है, जो सुबह 10:31 बजे तक रहेगा। इसके अलावा धनतेरस पर सुबह 7:48 बजे तक इंद्र योग रहेगा, उसके बाद वैधृति योग रहेगा। उस दिन शाम 6:34 बजे तक उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र रहेगा, उसके बाद हस्त नक्षत्र रहेगा।
धनतेरस के दिन क्या खरीदें
धनतेरस के दिन लोग सोना, चांदी, आभूषण, वाहन, मकान, दुकान आदि खरीदते हैं, जिनके पास कम पैसे होते हैं, वे धनिया, झाड़ू, नमक, पीतल के बर्तन आदि खरीदते हैं।
धनतेरस का महत्व
धनतेरस के दिन देवी लक्ष्मी, कुबेर और धन्वंतरि की पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी और कुबेर की कृपा से धन और समृद्धि बढ़ती है। सुख-समृद्धि बढ़ती है। धन्वंतरि की पूजा करने से व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। परिवार के सदस्य स्वस्थ रहते हैं।
धनतेरस की पूजा विधि
धनतेरस के दिन सुबह साफ सफाई के बाद सूर्योदय से पूर्व स्नान कर साफ या नए वस्त्र पहनें। मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। अपने कार्यस्थल, दुकान की भी सफाई करें। वंदनवार लगाएं, लक्ष्मी जी के पद् चिन्ह् बनाएं। भगवान धन्वंतरि को कृष्णा तुलसी, गाय का दूध और उससे बने मक्खन का भोग लगाना चाहिए। पीतल की वस्तु खरीदी हो तो जरुर उन्हें भेंट करें। धनवंतरी स्तोत्र का पाठ करें। धन के देवता कुबेर और मां लक्ष्मी की षोडोपचार विधि से पूजा करें। कुमकुम, हल्दी, अक्षत, भोग अर्पित करें। उत्तर दिशा में देवताओं की पूजा करें। शुभ मुहूर्त में खरीदारी करें, जो भी खरीदें उसे पहले धनतेरस की पूजा में मां लक्ष्मी को अर्पित करें फिर इस्तेमाल करना चाहिए। शाम को आटे से चौमुखा दीपक बनाना चाहिए, उसमें सरसों या तिल का तेल डालकर घर के बाहर दक्षिण दिशा में या दहलीज पर रखना चाहिए।