विशेष संवाददाता लखनऊ। सूबे में हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी के भाजपा में जाने के चर्चें हैं। कयास लगाएं जा रहे है कि जल्द ही चौधरी भाजपा के साथ मिल सकते है। सत्ता के गलियारें में कुछ वक्त से अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के रिश्तों में खटास की चचाएं हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव से ही दोनों दल साथ हैं, लेकिन ज्यादा सफलता नहीं मिल पाई।
2022 के विधानसभा चुनाव में दोनों दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा, लेकिन कोई बड़ी सफलता नहीं मिल पाई। फिर भी रिश्ते बहुत नहीं बिगड़े, लेकिन निकाय चुनाव में दोनों दलों के बीच समझौता नहीं हो सका। इसके बाद से ही अखिलेश और जयंत के बीच दूरियां बढ़ती गर्इं। फिर यह दूरी इतनी बढ़ गई कि जयंत चौधरी 23 जून को पटना में हुई मीटिंग में नहीं गए। उन्होंने कहा कि वह पहले से तय एक पारिवारिक कार्यक्रम में रहेंगे। यही नहीं 1 जुलाई को अखिलेश यादव के जन्मदिन पर जयंत चौधरी ने शुभकामनाएं देने के लिए एक ट्वीट तक नहीं किया।
वहीं मायावती और सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सपा नेता के लिए ट्वीट किया था। ऐसे में जयंत चौधरी के अगले कदम को लेकर फिर से चचाएं तेज हो गर्इं। आरएलडी के सूत्रों ने कहा कि आरएलडी के एक नेता के लिए राज्यसभा सीट देने के मसले पर दोनों में मतभेद हो गए थे। फिर इसी साल मई में शहरी निकाय के चुनाव में यह टकराव और बढ़ गया।
आरएलडी को थी नाराजगी-
आरएलडी को इस बात पर नाराजगी थी कि उसे एक भी मेयर सीट सपा की ओर से नहीं आॅफर की गई। खासतौर पर मेरठ की सीट को लेकर दोनों दलों के बीच तनाव था। यही वजह थी कि निकाय चुनाव में जब अखिलेश यादव प्रचार के लिए वेस्ट यूपी आए तो जयंत चौधरी साथ नहीं दिखे। कहा जा रहा है कि भाजपा की ओर से जयंत चौधरी को कुछ आॅफर दिए गए हैं, लेकिन अब तक कोई सहमति नहीं बनी है।
गौरतलब है कि पश्चिम यूपी में रालोद का जाटों और मुस्लिम वर्ग के बीच जनाधार रहा है। ऐसे में रालोद यदि भाजपा के साथ जाती है तो फिर उसे लोकसभा इलेक्शन में अच्छा फायदा मिलेगा। गाजियाबाद से लेकर सहारनपुर तक उसे कई सीटों पर बढ़त मिलेगी। रालोद के आने से भाजपा पश्चिम यूपी में और मजबूत हो जाएगी। इसके अलावा दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान में जाट मतदाताओं के बीच भी वह पैठ बना सकेगी।
राजनीतिक जानकारों का कहना है जिस तरह से महाराष्ट्र में एक साल बाद फिर से बड़ा खेल हुआ और विपक्ष के नेता रहे अजित पवार रविवार को डिप्टी सीएम बन गए। यही नहीं 8 और नेताओं को मंत्री बनवा दिया। इसके साथ ही उनका दावा है कि उनके साथ एनसीपी के 40 विधायक भी हैं, जो भाजपा सरकार को सपोर्ट कर रहे हैं। ऐसे में इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि यूपी में भी एक बड़ा उलटफेर हो सकता है। सीधा संकेत जयंत चौधरी का रविवार को दिल्ली में एक केंद्रीय मंत्री से मुलाकात है।
बताया जा रहा है कि चौधरी ने करीब दो घंटे तक बातचीत की। ऐसे में दावा किया जा रहा है कि चौधरी भाजपा में शामिल हो सकते है। यूपी आए केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने भी दावा किया कि जयंत चौधरी आने वाले दिनों में एनडीए में शामिल हो सकते हैं।