नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने भारतीय संस्कृति को विश्व संस्कृति बताते हुए कहा है कि सभी के कल्याण और सुख की कामना करने वाली संस्कृति में धर्म, जाति और लिंग या किसी अन्य आधार पर भेदभाव किसी भी राष्ट्रवादी के लिए स्वीकार्य नहीं है।
पुस्तक मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड
नायडू ने उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति के रूप में एक साल के कार्यकाल के अनुभवों पर आधारित अपनी पुस्तक मूविंग ऑन मूविंग फॉरवर्ड के विमोचन समारोह में कहा भारतीय संस्कृति विश्व की परम उत्कृष्ट संस्कृति है। इसको कायम रखना चाहिए। उन्होंने कहा वसुधैव कुटुंबकम भारतीय दर्शन की आत्मा है और इसमें सबका ख्याल रखने का संदेश निहित है।
सवा सौ करोड़ लोगों की जय की कामना
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एच डी देवगौड़ा, वित्त मंत्री अरूण जेटली और राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा के साथ नायडू द्वारा संकलित सचित्र पुस्तक का विमोचन किया। नायडू ने देश की विविधतापूर्ण सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण की जरूरत पर बल देते हुए कहा भारत माता की जय के उद्घोष का आशय जाति और पंथ को परे रखते हुए देश के सवा सौ करोड़ लोगों की जय की कामना करना है।
भेदभाव किसी भी राष्ट्रवादी के लिए स्वीकार्य नहीं
सामाजिक भेदभाव को इसके विरुद्घ बताते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा धर्म के आधार पर, जाति के आधार पर या लिंग के आधार पर, किसी भी तरह का भेदभाव किसी भी राष्ट्रवादी के लिए स्वीकार्य नहीं है। हममें से प्रत्येक की यही भावना होनी चाहिए और मुझे आशा है कि हम सब इसी दिशा में आगे बढेंगे, जिससे देश भी तेज गति से आगे बढ़ सके। इस दौरान नायडू ने संसदीय प्रणाली में उच्च सदन के महत्व का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका विस्तार संसद से राज्यों तक होना चाहिए। नायडू ने कहा सभी राज्यों की विधानसभाओं में उच्च सदन की जरूरत को देखते हुए एक राष्ट्रीय नीति बनाने पर फैसला करने का यह सही समय है।