नयी दिल्ली। चालू वित्त वर्ष (2023-24) के लिए देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अग्रिम अनुमान की गणना में विसंगतियां 2.59 लाख करोड़ रुपये रही हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने यह जानकारी दी है। वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी गणना में विसंगति (-) 3.80 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 में (-) 4.47 लाख करोड़ रुपये थी।
एनएसओ ने गत शुक्रवार को राष्ट्रीय खातों का अपना पहला अग्रिम अनुमान जारी किया। इसमें दर्शाया गया है कि 2023-24 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) या भारतीय अर्थव्यवस्था 7.3 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। जीडीपी की वृद्धि दर 2022-23 में 7.2 प्रतिशत रही थी। आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 के (-) 3.80 लाख करोड़ रुपये और 2021-22 के (-) 4.47 लाख करोड़ रुपये के मुकाबले 2023-24 में जीडीपी की गणना में विसंगति 2.59 लाख करोड़ रुपये थी। जीडीपी आंकड़ों में विसंगतियां उत्पादन पद्धति और व्यय पद्धति के तहत राष्ट्रीय आय में अंतर को संदर्भित करती हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, राज्य सरकारों सहित विभिन्न एजेंसियों द्वारा सूचना देने में देरी के कारण राष्ट्रीय खातों में हमेशा कुछ विसंगतियां रहेंगी। चालू वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय खातों के आंकड़ों में उच्चस्तर की विसंगतियों के बारे में विशेषज्ञों का मानना है कि आंकड़ों को यथासंभव सटीक रूप से दिखाने के लिए विसंगतियों को दर्शाया जाता है। हालांकि, उनका कहना है कि सरकार विसंगतियों को कम करने के लिए हरसंभव प्रयास करती है। राष्ट्रीय आय की गणना की तीन विधियां हैं, उत्पादन, व्यय और आय।
चालू वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय खातों के एनएसओ के पहले अनुमान से यह भी पता चला है कि देश का सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2023-24 में 6.9 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा, जो 2022-23 के सात प्रतिशत से कम है।हालांकि, इस वित्त वर्ष में जीडीपी की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो 2022-23 में 7.2 प्रतिशत थी। सकल घरेलू उत्पाद (सकल घरेलू उत्पाद) जीवीए और करों का शुद्ध योग है। देश में साक्ष्य आधारित नीति निर्माण की दृष्टि से राष्ट्रीय खातों की गणना महत्वपूर्ण हो जाती है।