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सामाजिक पैमानों पर सवाल खड़े करती है धनुष की ‘कुबेरा’

शेखर ने अपने किरदारों को गहराई से गढ़ा है
लखनऊ। बहुभाषी फिल्म ‘कुबेरा'(हिंदी, तमिल, तेलुगू) दर्शकों को एक बिल्कुल अलग दुनिया में ले जाती है, जहां कहानी का नायक धनुष खुद एक भिखारी है। एक्टर द्वारा निभाया गया यह किरदार, निर्देशक शेखर कम्मुला की कल्पना और संवेदना का बेहतरीन उदाहरण है। हिंदी सिनेमा में अक्सर अमीरी और गरीबी की खाई को नायक और खलनायक के प्रतीक रूप में दिखाया गया है। ये फिल्म नैतिकता और सामाजिक पैमानों पर सवाल खड़े करने वाली इस थ्रिलर को देखा जा सकता है।
लेकिन शायद पहली बार, एक भिखारी को ही नायक बनाकर पूंजीपतियों के भूख, लालच और समाज की व्यवस्था से टकराव को सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया गया है। बंगाल की खाड़ी के अथाह जल में, एक दुर्लभ तेल भंडार की गुप्त खोज नीरज मित्रा (जिम सर्भ) के लालच को और बढ़ा देती है। नीरज एक महत्वाकांक्षी उद्योगपति है, जो इस खजाने को धन, सत्ता और राजनीतिक दबदबे का जरिया बनाना चाहता है। अपने मंसूबों को अंजाम देने के लिए वह अपने पिता (दलीप ताहिल) और उच्च-स्तरीय नेताओं का समर्थन जुटाकर एक बेहद गोपनीय स्कैम तैयार करता है, ताकि उसके अथाह काले धन को सफेद किया जा सके। इस स्कैम में वह दीपक शर्मा (नागार्जुन) पर दांव लगाता है। दीपक कभी एक ईमानदार और बेखौफ सीबीआई अधिकारी हुआ करता था, लेकिन भ्रष्ट तंत्र के खिलाफ खड़ा होने की सजा के रूप में उसे जेल हो जाती है। न्याय व्यवस्था से विश्वास उठ जाने वाले दीपक के पास लौटने का कोई रास्ता नहीं, इसलिए वह अनिच्छा-पूर्वक नीरज के प्रस्ताव को स्वीकार कर लेता है। हालांकि इस घपले में वह लालच और अनैतिकता का विरोधी ही है। इस घोटाले को अंजाम देने के लिए वह देश के सबसे ज्यादा अनदेखे और तिरस्कृत तबके भिखारियों का सहारा लेता है। इन्हीं में से एक है देवा (धनुष), जो मासूम है और इस बात से अनजान कि उसे किसी षड्यंत्र में फंसाया जा रहा है। देवा के अन्य साथी भिखारियों को जब काम खत्म होने के बाद मौत के घाट उतार दिया जाता है, तब देवा अपनी जान बचा कर भागता है। इस भागा-दौड़ी में देवा की मुलाकात स्टेशन पर समीरा (रश्मिका मंदाना) से होती है, जो खुद अपने बॉयफ्रेंड राजू के लिए घर से भागी है, मगर राजू उसे धोखा दे गया है। ऐसे में बहादुर और संवेदनशील समीरा अनजाने में उसकी सहयोगी बन जाती है। इसके बाद ये दोनों ही एक ऐसी रोमांचक यात्रा पर निकल पड़ते हैं, जहां पर एक तरफ मौत खड़ी है, तो दूसरी तरफ विश्वास, शक्ति संघर्ष और अस्तित्व दांव पर लगा है।शेखर कम्मुला एक सेलिब्रेटेड ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय पुरस्कार समेत कई सम्मानों से नवाजे जा चुके निर्देशक हैं। यकीनन कहानी को एक नया प्रिमाइजेज देने के लिए उनकी तारीफ की जानी चाहिए। विषय को उन्होंने संवेदनशील और बोल्ड तरीके से हैंडल किया है। कहानी का बांधे रखने वाला तेज रफ्तार थ्रिलर आस्पेक्ट फिल्म का प्लस पॉइंट है। शेखर ने अपने किरदारों को गहराई से गढ़ा है। जैसे -जैसे स्टोरी आगे बढ़ती जाती है, परतें खुलती जाती है। यह सदियों से चली आ रही अमीरी और गरीबी की खाई पर करारा प्रहार भी करती है कि लालच और पावर में अंधे हो चुके लोग इंसानियत को कैसे कुचल देते हैं? डायरेक्टर ने अस्तित्व की जंग को शानदार ढंग से दशार्या है, मगर इसकी 3 घंटे और 4 मिनट की लंबाई खलती है। पहला भाग थ्रिलर का हाथ पकड़ कर तेज भागता है, मगर दूसरे भाग में कहानी कई जगहों पर हिचकोले खाती है, मगर फिर संभल भी जाती है। कुछ दृश्यों में दोहराव खटकता है। क्लाइमैक्स इमोशनल है, मगर और प्रभावी हो सकता था, क्योंकि कुछ सवाल अनुत्तरित रह जाते हैं। तकनीकी पक्ष की बात करें तो निकेत बॉमिरेड्डी की सिनेमैटोग्राफी में दम है। फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर जानदार है। पुष्पा फेम देवी श्री प्रसाद के संगीत में ‘जाके आना यारा रे’ गाना याद रह जाता है।एक्टिंग के मामले में यह फिल्म बाजी मार ले जाती है। ‘रांझणा’ जैसी फिल्म से हिंदी दर्शकों में लोकप्रियता पाने वाले राष्ट्रीय अवार्ड विजेता धनुष के लिए एक भिखारी के किरदार को निभाना यकीनन दुस्साहस भरा रहा होगा, मगर धनुष उन्नीस-बीस नहीं बल्कि इक्कीस साबित हुए हैं। उन्हें अगर फिल्म की रूह कहा जाए, तो गलत न होगा। जिस बालसुलभ और बेचारगी के साथ उन्होंने देवा का किरदार निभाया है, यह उनके करियर की बेस्ट परफॉर्मेंस मानी जा सकती है। नागार्जुन दीपक की ग्रे शेड वाली भूमिका के साथ पूरा न्याय करते हैं। नैतिक और भावनात्मक संघर्ष के बीच झूलता उनका किरदार प्रभावी है। समीरा के चरित्र में रश्मिका मन मोह लेती हैं। उनकी सहजता, सादगी और आश्चर्य किरदार को दर्शनीय बनाते हैं। पर्दे पर उनकी और धनुष की अनकही केमेस्ट्री खूब मनोरंजन करती है। नीरज मित्रा के रोल में जिम सर्भ खूब जमे हैं तो वहीं दलीप ताहिल और सयाजी शिंदे ने छोटी भूमिकाओं में अपनी मौजूदगी दर्शाई है।

ऐक्टर:धनुष,नागार्जुन,रश्मिका मंदाना
डायरेक्टर : सेखर कम्मुला
रेटिंग-3/5

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