योगिनी एकादशी 21 को, भक्त करेंगे श्रीहरि की आराधना

योगिनी एकादशी का उपवास रखा जाएगा
लखनऊ। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का बहुत ज्यादा महत्व है। यह भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। हर महीने में एकादशी दो बार मनाई जाती है। एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष में। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को ‘योगिनी एकादशी’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस एकादशी का उपवास करने से पापों से मुक्ति मिलती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 21 जून को सुबह 07 बजकर 18 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसकी समाप्ति 22 जून को सुबह 04 बजकर 27 मिनट पर होगी। हिंदू धर्म में उदया तिथि के अनुसार, तीज-त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए 21 जून को योगिनी एकादशी का उपवास रखा जाएगा।

योगिनी एकादशी का धार्मिक महत्व
योगिनी एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि जो साधक इस कठिन उपवास का पालन करते हैं, उन्हें आरोग्य और सुख-समृद्धि का वरदान मिलता है। ऐसे में इस पावन दिन उपवास जरूर करें।

योगिनी एकादशी 2025 मुहूर्त
21 जून को योगिनी एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:04 ए एम से 04:44 ए एम तक है, वहीं उस दिन का शुभ मुहूर्त यानि अभिजीत मुहूर्त 11:55 ए एम से दोपहर 12:51 पी एम तक है. वहीं शुभ-उत्तम मुहूर्त 07:09 ए एम से 08:53 ए एम तक है। योगिनी एकादशी पर अतिगण्ड योग बनेगा, जो प्रात:काल से लेकर रात 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगा, उसके बाद से सुकर्मा योग का निर्माण होगा। उस दिन अश्विनी नक्षत्र प्रात:काल से लेकर शाम 07 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. फिर भरणी नक्षत्र है।

योगिनी एकादशी 2025 पारण समय
जो लोग 21 जून को योगिनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे पारण 22 जून रविवार को करेंगे. उस दिन पारण का समय दोपहर 01 बजकर 47 मिनट से शाम 04 बजकर 35 मिनट तक है, वहीं जो लोग 22 जून को एकादशी व्रत होंगे, वे पारण 23 जून को सुबह 05 बजकर 24 मिनट से सुबह 08 बजकर 12 मिनट के बीच कर सकते हैं. 22 जून को द्वादशी ति​थि का समापन सूर्योदय से पहले ही हो जा रहा है।

योगिनी एकादशी 2025 भद्रा का समय
21 जून को योगिनी एकादशी के दिन भद्रा का साया है, लेकिन इससे परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह पाताल की भद्रा होगी। भद्रा का प्रारंभ सुबह में 05 बजकर 24 मिनट से होगा, जो सुबह 07 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। पाताल और स्वर्ग की भद्रा का प्रभाव धरती पर नहीं माना जाता है। ऐसे में आप कोई भी शुभ काम कर सकते हैं।

योगिनी एकादशी की पूजा विधि
योगिनी एकादशी पर सुबह जल्दी उठें और स्नान करें। श्री हरि के सामने व्रत का संकल्प लें। भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें पीले फूल, फल, पंचांमृत, पंजीरी, मिठाई और तुलसी दल अर्पित करें। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें। योगिनी एकादशी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें। अंत में भाव के साथ आरती करें। अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण भगवान विष्णु के प्रसाद से करें। व्रत के दौरान तामसिक चीजों से दूर रहें।

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