लखनऊ। सनातन धर्म में कार्तिक माह का खास महत्व है। यह महीना जगत के पालनहार भगवान विष्णु और देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। कार्तिक महीने के दौरान रोजाना गंगा स्नान कर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। वैदिक पंचांग की गणना अनुसार, कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरूआत 16 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 35 मिनट पर होगी। वहीं, 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशीा तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत और निशा काल की पूजा को छोड़कर अन्य सभी पर्वों पर सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इसके लिए शनिवार 17 अक्टूबर को रमा एकादशी मनाई जाएगी।
कार्तिक महीने में दीवाली, धनतेरस, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी और तुलसी विवाह समेत कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन रमा एकादशी मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। रमा एकादशी व्रत करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है।
रमा एकादशी पारण समय
शनिवार 17 अक्टूबर को रमा एकादशी का व्रत रखा जाएगा। वहीं, गुरुवार 18 अक्टूबर को रमा एकादशी का पारण किया जाएगा। 18 अक्टूबर को रमा एकादशी का पारण सुबह 06 बजकर 24 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 41 मिनट के मध्य किया जाएगा।
रमा एकादशी पर महासंयोग
इस साल रमा एकादशी के दिन महासंयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर आत्मा के कारक सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। सूर्य देव रमा एकादशी यानी 17 अक्टूबर को कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव के कन्या राशि में गोचर करने की तिथि पर तुला संक्रांति मनाई जाएगी। ।
पंचांग
सूर्योदय – सुबह 06 बजकर 23 मिनट पर
सूर्यास्त – शाम 05 बजकर 49 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 43 मिनट से 05 बजकर 33 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 01 मिनट से 02 बजकर 46 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त – शाम 05 बजकर 49 मिनट से 06 बजकर 14 मिनट तक
निशिता मुहूर्त – रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 32 मिनट तक
रमा एकादशी का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रमा एकादशी भगवान विष्णु के सभी प्रिय व्रतों में से एक मानी जाती है। कहा जाता है कि इस दिन पुण्य करनें से बहुत बड़े लाभ की प्राप्ति होती है। पुराणों में यह भी कहा गया है कि इस व्रत को करनें से बैकुण्ठ की प्राप्ति होती है। और सभी समस्याओं से मुक्ति भी मिलती है। इस दिन भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा करने से इसका महत्व और ज्यादा बढ़ जाता है। यह भी कहा जाता है कि इस व्रत को करने से सारे पापों से मुक्ति मिल जाती है।
रमा एकादशी पूजा-विधि
स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें। भगवान श्री हरि विष्णु का जलाभिषेक करें। प्रभु का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें। अब प्रभु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें। मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें। संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें। रमा एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। पूरी श्रद्धा के साथ भगवान श्री हरि विष्णु और लक्ष्मी जी की आरती करें। प्रभु को तुलसी सहित भोग लगाएं। अंत में क्षमा प्रार्थना करें।