गोपूजा और गोसेवा के लिए अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है
लखनऊ। कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस बार यह 30 अक्तूबर को है। इस दिन भगवान वासुदेव ने गोचारण की सेवा प्रारंभ की थी। इसके पूर्व वे केवल बछड़ों की देखभाल करते थे। कथा है कि बालक कृष्ण पहले केवल बछड़ों को चराने जाते थे और उन्हें अधिक दूर जाने की भी अनुमति नहीं थी। एक दिन कृष्ण ने मां यशोदा से गायों की सेवा करने की इच्छा व्यक्त की और कहा कि मां मुझे गाय चराने की अनुमति चाहिए। उनके अनुग्रह पर नंद बाबा और यशोदा मैया ने शांडिल्य ऋषि से अच्छा समय देखकर मुहूर्त निकालने के लिए कहा। ऋषि ने गाय चराने ले जाने के लिए जो समय निकाला, वह गोपाष्टमी का शुभ दिन था। सनातन परंपरा में कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की अष्टमी तिथि को गोपाष्टमी के नाम से जाना जाता है। यह दिन गोपूजा और गोसेवा के लिए अत्यंत ही शुभ और पुण्यदायी माना गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार जिस गोमाता के शरीर में 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है, उसकी पूजा गोपाष्टमी पर्व के दिन करने पर इंसान के सारे कष्ट दूर और कामनाएं पूरी होती हैं।
गोपाष्टमी 2025 शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर रवि और शिववास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन योग में भगवान कृष्ण और गौमाता की पूजा करने से घर की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आएगी।
गोपाष्टमी 2025 का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का 29 अक्टूबर 2025, बुधवार को प्रात:काल 09 बजकर 23 मिनट पर प्रारंभ होकर 30 अक्टूबर, गुरुवार के दिन प्रात:काल 10 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी। इस तरह उदया तिथि को आधार मानते हुए इस साल गोपाष्टमी का पावन पर्व 30 अक्टूबर 2025, गुरुवार के दिन ही मनाना उचित रहेगा। गोपाष्टमी के दिन सूर्योदय के बाद 10:06 बजे तक गोपाष्टमी की पूजा करना उत्तम रहेगा।
गोपाष्टमी का धार्मिक महत्व
गोपाष्टमी के पावन पर्व को गोसेवा के लिए सबसे उत्तम दिन माना गया है। यही कारण है कि मथुरा, वृन्दावन समेत पूरे ब्रजमंडल में इस दिन लोग पूरे विधि-विधान से गोसेवा और गोपूजा करते हैं। गोपाष्टमी की पूजा से जुड़ी मान्यता है कि जब भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का अभिमान दूर करने के लिए गोवर्धन पर्वत को कनिष्ठिका अंगुली पर उठा लिया था तो इसी दिन इंद्रदेव ने अपनी गलती की माफी मांगते हुए अपने पराजय स्वीकार किया था।
गोपाष्टमी पर कैसे करें गोमाता की पूजा
हिंदू मान्यता के अनुसार गोपाष्टमी के दिन गाय और उसके बछड़े की पूजा करना अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना गया है। ऐसे में गोसेवा करने के लिए व्यक्ति को इस दिन स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले गोमाता को प्रणाम करके आशीर्वाद लेना चाहिए, इसके बाद गोमाता और गोवंश को स्नान कराकर उनकी सफाई करनी चाहिए। इसके बाद गोमाता के शरीर को सुखाकर उनके सींग पर काले रंग का रंग लगाना चाहिए, इसके बाद गोमाता हल्दी, चंदन, रोली आदि से तिलक करें तथा उन्हें फल-फूल, धूप-दीप आदि अर्पित करके उनकी ‘ॐ नमो देव्यै महादेव्यै सुरभ्यै च नमो नम:’ मंत्र आदि से पूजा करें। गोपूजा करने के बाद उनकी आरती करना बिल्कुल न भूलें।





