कला एवं शिल्प महाविद्यालय में विशेष कार्यशाला आयोजित
लखनऊ। निदेशक धर्मेंद्र मिश्रा द्वारा कला एवं शिल्प महाविद्यालय में विद्यार्थियों के लिए एक विशेष कार्यशाला आयोजित की गई। जिसमें कला महाविद्यालय के कला शिक्षक प्रोफेसर आलोक, रविकांत पांडे, एवं फोटोग्राफी के शिक्षक अतुल, एवं अन्य शिक्षक विद्यार्थियों सहित उपस्थित रहे। इस कार्यशाला में पेंटिंग्स के संरक्षण की बारीकियों पर विस्तृत चर्चा की गई, जिससे छात्रों को यह समझने में मदद मिली कि कला का सृजन जितना महत्वपूर्ण है, उसका संरक्षण उतना ही आवश्यक है। कार्यशाला में प्रिवेंटिव कंजरवेशन यानी पूर्व-रक्षा संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया गया। यह एक ऐसा वैज्ञानिक दृष्टिकोण है, जो कलाकृति को किसी क्षति से बचाने के लिए पहले से ही सावधानियाँ अपनाने की बात करता है। किसी भी चित्रकला की उम्र तभी लंबी हो सकती है जब उसे उसके शत्रुओं से जैसे कि तेज रोशनी, नमी, अत्यधिक तापमान, धूल, कीट और प्रदूषण से बचाया जाए। इन सभी कारणों से पेंटिंग्स में दरारें, रंगों का फीका पड़ना, पेंट लेयर का उखड़ना और यहाँ तक कि फफूंद व कीड़ों का हमला भी हो सकता है। कैनवास पेंटिंग का भंडारण सावधानीपूर्वक और नियंत्रित वातावरण में किया जाना चाहिए। बिना फ्रेम वाली पेंटिंग्स को क्षति से बचाने के लिए उपयुक्त बक्सों या दराजों में क्षैतिज रूप से रखा जाना चाहिए। संग्रह भंडारण कक्ष हमेशा बंद और केवल अधिकृत व्यक्तियों के लिए ही सुलभ होने चाहिए। यहाँ तापमान और आर्द्रता को नियंत्रित करने के लिए उचित हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडीशनिंग सिस्टम होना अनिवार्य है। अटारी या तहखाने जैसे स्थानों में भंडारण से बचना चाहिए क्योंकि वहाँ अत्यधिक गर्मी, नमी या जलभराव की संभावना रहती है। पेंटिंग्स के लिए वर्टिकल रैक पारंपरिक और सुरक्षित विकल्प हैं। पुल-आउट रैक और मोबाइल रैक स्थान की बचत करते हैं और संग्रह को व्यवस्थित तथा आसानी से देखने योग्य बनाते हैं। संग्रह कक्ष से प्रदर्शनी क्षेत्र तक पेंटिंग के स्थानांतरण का मार्ग सीधा और बिना तीखे मोड़ों वाला होना चाहिए। पेंटिंग्स को उठाते या स्थानांतरित करते समय अधिकतर क्षति होती है। कार्यशाला में यह सिखाया गया कि कैसे दास्ताने पहनकर, सही उपकरणों जैसे ट्रॉली का उपयोग कर और योजना बनाकर मूवमेंट करके हम पेंटिंग को नुकसान से बचा सकते हैं। सतह पर घर्षण, दाग, फ्रेम का टूटना, या चित्र का उखड़ना — ये सभी गलत संचालन के सामान्य परिणाम हैं जिन्हें सही प्रशिक्षण और सावधानी से टाला जा सकता है। पेंटिंग्स को ऐसे स्थान पर नहीं लगाना चाहिए जहाँ उन्हें बार-बार छुआ जाए या वे आसानी से टकरा सकें। सीढ़ियों, संकरी गलियों या भीड़-भाड़ वाले स्थान इसके लिए अनुपयुक्त हैं। दीवार से थोड़ा हटाकर लगाना, फिल्टर लाइट का प्रयोग, और नियमित धूल सफाई से पेंटिंग की आयु लंबी होती है। कार्यशाला में बताया गया कि संग्रहण का सही तरीका पेंटिंग की उम्र बढ़ा सकता है। वर्टिकल रैक, पुल-आउट सिस्टम और नमी रहित संग्रहण कक्ष पेंटिंग्स के दीर्घकालिक संरक्षण में सहायक होते हैं।