गोमती पुस्तक मेले में अवधी पर चर्चा
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बत्तीस जिलों में बोली जाने वाली अवधी को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए हिंदी और अवधी विद्वानों ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से प्रदेश में अवधी अकादमी स्थापित करने की मांग उठाई है। यह मांग रविवार को लखनऊ विश्वविद्यालय में चल रहे गोमती पुस्तक मेले में अवधी पर चर्चा के दौरान हिंदी के प्रख्यात विद्वान डाक्टर सूर्य प्रसाद दीक्षित ने रखी जिसका मंच पर बैठे अन्य विद्वानों ने भी समर्थन किया। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश बहुभाषी राज्य है। प्रदेश में उर्दू, पंजाबी और भोजपुरी की अकादमी है लेकिन अवधी की अकादमी का गठन होना आवश्यक है जिससे अवधी भाषा को और समृद्ध किया जा सके।
‘अवधी की बात’ शीर्षक से आयोजित इस परिचर्चा में लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉक्टर दीक्षित ने कहा कि अवधी के प्रचार-प्रसार की अत्यधिक आवश्यकता है जिससे नई पीढ़ी इससे जुड़ सके। डॉक्टर दीक्षित ने कहा कि अवधी का इतिहास डेढ़ हजार वर्ष पुराना है। उन्होंने कहा कि किसी भी भाषा की दृष्टि से मुख्य रूप से चार बिन्दु होते हैं जिन पर विचार करने की आवश्यकता है। जैसे भाषा का इतिहास, भाषा का व्यवहारिक प्रयोग, साहित्य संपदा यानी उस भाषा में उपलब्ध साहित्य और तकनीक के प्रयोग से भाषा को समृद्ध करना। डॉक्टर दीक्षित ने कहा कि अवधी केवल अवध क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। उत्तर प्रदेश के 32 जिलों के अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के बड़े भूभाग के अलावा नेपाल में भी अवधी बोली जाती है। रामचरित मानस अवधी का सबसे बड़ा ग्रंथ है। इसके अलावा भी अवधी का साहित्य क्षेत्र बहुत विस्तृत है। अवधी के प्रसिद्ध व्यंग्यकार चंद्रभूषण त्रिवेदी ‘रमई काका’ का उल्लेख करते हुए दीक्षित जी ने कहा कि अवधी में हास्य-व्यंग्य भी बहुत लिखा गया है। अवधी जिंदादिली की भाषा। अवधी व हिंदी के प्रख्यात विद्वान डॉक्टर राम बहादुर मिश्र ने बताया कि भारत और नेपाल में कम से कम बीस उपन्यास अवधी में लिखे गए हैं। यह भी गर्व की बात है कि राम और बुद्ध दोनों ही अवतार अवध क्षेत्र में हुए हैं। वरिष्ठ साहित्यकार पद्मश्री डॉक्टर विद्या बिंदु सिंह ने बताया कि अवधी में जीवन की तमाम परिस्थितियों और अवसरों को गीतों के माध्यम से व्यक्त किया गया है। उन्होंने कहा कि लोक यानी जन-मानस अपनी भाषा में अपनी बात को कह देता है ।अवधी संस्कृति को बचाने के लिए लोकसाहित्य का अध्ययन मनन आवश्यक है । अवधी में कवित्त भी भरपूर है। अवधी पर हुई इस महत्वपूर्ण परिचर्चा का संचालन साहित्यकार राकेश पाण्डेय ने किया। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस का घर घर पाठ होता है लेकिन हमारी युवा पीढ़ी नहीं जानती कि यह अवधी भाषा का ग्रंथ है। अवधी को बढ़ाने के लिए अवधी के जानकार लोगों को जुटकर एक मुहिम चलानी होगी। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार पीयूष त्रिपाठी अवधी भइया, मानस मर्मज्ञ ओम मिश्र, पत्रकार ज्योति किरन रतन और शकुन्तला मिश्रा विश्वविद्यालय की अतिथि प्रवक्ता डॉक्टर नूपुर त्रिपाठी भी मौजूद थीं।