back to top

दुशांबे यात्रा पर रक्षा मंत्री रवाना

एससीओ सम्मेलन में होंगे शामिल, आतंकवाद, सुरक्षा संबंधी मुददों पर करेंगे चर्चा

नयी दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की तीन दिवसीय दुशांबे यात्रा शुरू हो गई है जिसमें वह शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की एक बैठक में शामिल होंगे। इस दौरान उनके द्वारा क्षेत्र में आतंकवाद तथा अन्य सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस प्रयासों की पैरवी किए जाने की उम्मीद है।

 

आठ देशों के समूह एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल होने ताजिकिस्तान की राजधानी गए सिंह की यह यात्रा मंगलवार से शुरू हुई। सिंह के कार्यालय ने एक ट्वीट में कहा कि एससीओ समूह के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की वार्षिक बैठक में शामिल होने के लिए रक्षा मंत्री 27 से 29 जुलाई तक दुशांबे यात्रा पर हैं। इसने कहा, वार्षिक बैठक में, एससीओ समूह के सदस्य देश रक्षा सहयोग के मुद्दों पर चर्चा करते हैं और चर्चा के बाद एक संदेश जारी किए जाने की उम्मीद है। अधिकारियों ने कहा कि सिंह द्वारा अपने संबोधन में आतंकवाद सहित क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों जैसे मुद्दे उठाए जाने और इनसे निपटने के ठोस तरीकों की पैरवी किए जाने की उम्मीद है। रक्षा मंत्री के अपने ताजिक समकक्ष कर्नल जनरल शेरअली मीरजो से मिलने और उनके साथ द्विपक्षीय तथा पारस्परिक हित के अन्य मुद्दों पर चर्चा किए जाने की भी उम्मीद है। चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगहे के भी एससीओ बैठक में शामिल होने की उम्मीद है।

 

हालांकि, सिंह और फेंगहे के बीच किसी द्विपक्षीय चर्चा संबंधी संभावना की तत्काल कोई जानकारी नहीं है। सिंह और फेंगहे के बीच पिछले साल चार सितंबर को मॉस्को में एससीओ देशों के रक्षा मंत्रियों के बीच वार्षिक बैठक से इतर द्विपक्षीय वार्ता हुई थी। पिछले साल मई की शुरुआत में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच शुरू हुए सैन्य गतिरोध के बाद दोनों पक्षों के बीच उच्चतम स्तर की आमने-सामने की यह पहली बैठक थी। ताजिकिस्तान इस साल एससीओ की अध्यक्षता कर रहा है और मंत्री एवं अधिकारी स्तर की कई सिलसिलेवार बैठकों का आयोजन कर रहा है।

 

विदेश मंत्री एस जयशंकर 14 जुलाई को एससीओ देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होने दुशांबे पहुंचे थे। उन्होंने सम्मेलन से इतर अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ द्विपक्षीय बैठक की थी जो एक घंटे चली थी। भारत और पाकिस्तान 2017 में एससीओ के स्थायी सदस्य बने थे। इस समूह की स्थापना 2001 में रूस, चीन, किर्गिस्तान, कजाकिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने शंघाई में एक शिखर सम्मेलन में की थी। भारत को 2005 में समूह का पर्यवेक्षक बनाया गया था।

RELATED ARTICLES

एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह होंगे अगले वायुसेना प्रमुख, रक्षा मंत्री ने दी जानकारी

नयी दिल्ली। एयर मार्शल अमरप्रीत सिंह को भारतीय वायुसेना का अगला प्रमुख नियुक्त किया गया है। उनके पास 5,000 घंटे से अधिक की उड़ान...

10 साल पुराना AADHAAR CARD आज ही करें अपडेट नहीं तो होगी बड़ी समस्या, जानें आखिरी तारीख

टेक न्यूज। आधार कार्ड (AADHAAR CARD) अपडेट: भारत के हर एक नागरिक के पास आधार कार्ड (AADHAAR CARD) का होना बहुत जरुरी है। यह...

आरजी कर मामला : कनिष्ठ चिकित्सकों ने 42 दिन बाद आंशिक रूप से काम शुरू किया

कोलकाता। पश्चिम बंगाल के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कनिष्ठ चिकित्सक 42 दिन बाद शनिवार सुबह आंशिक रूप से काम पर लौट आए। आरजी कर...

Latest Articles