नयी दिल्ली। संसद में बृहस्पतिवार को अदाणी समूह से जुड़े आरोपों तथा संभल हिंसा सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण लगातार तीसरे दिन गतिरोध बना रहा तथा लोकसभा एवं राज्यसभा को एक-एक बार के स्थगन के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया गया। हंगामे के कारण दोनों ही सदनों में प्रश्नकाल एवं शून्यकाल सामान्य ढंग से नहीं चल पाए।
सोमवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन से अदाणी समूह से जुड़े आरोपों एवं संभल हिंसा सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर विपक्ष सरकार पर दबाव बनाए हुए है जिसके कारण दोनों सदनों में गतिरोध कायम है। लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने हंगामा और नारेबाजी कर रहे विपक्ष के सदस्यों को इंगित करते हुए कहा, जनता ने आपको अनेक आकांक्षाओं के साथ यहां भेजा है, आपको उनकी चिंताएं और क्षेत्र की समस्याएं उठानी चाहिए।
बिरला ने यह भी कहा, जिन मुद्दों का देश से कोई संबंध नहीं है, आप उन्हें यहां उठा रहे हैं….. चर्चा के लिए नियम प्रक्रियाओं को अपनाया जाता है। राज्यसभा में सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही में डाले जा रहे व्यवधान पर चिंता जताते हुए कहा कि संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं है बल्कि यह एक रोग है जो देश की नींव को कमजोर करता है और संसद को अप्रासंगिकता की ओर ले जाता है।लोकसभा में बृहस्पतिवार को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) समेत विपक्षी दलों के सदस्यों ने अदाणी समूह से जुड़े मामले तथा उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के मुद्दे को लेकर हंगामा किया, जिस वजह से सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद शुक्रवार सुबह 11 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच ही, सदन ने वक्फ (संशोधन) विधेयक संबंधी संसद की संयुक्त समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का समय बजट सत्र, 2025 के आखिरी दिन तक बढ़ाने को मंजूरी दी। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने सदन में हंगामे को लेकर कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में सभी ने मिलकर फैसला किया था कि कौन सा विधेयक आएगा और कब आएगा… जो बाकी मुद्दे हैं उन पर चर्चा का अलग अलग नियम बना हुआ है।
रीजीजू ने कहा, यहां कांग्रेस और उसके सहयोगियों ने बिना किसी नियम के और तय नियमों को तोड़ते हुए हंगामा करने की कोशिश की है। हम इसकी निंदा करते हैं। यह ठीक नहीं हैं। इससे पहले आज निचले सदन की कार्यवाही आरंभ होने के साथ ही केरल की वायनाड सीट से सदन की सदस्य निर्वाचित हुर्इं कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा और महाराष्ट्र की नांदेड़ सीट से सदस्य निर्वाचित हुए इसी पार्टी के रवींद्र चव्हाण ने लोकसभा की सदस्यता की शपथ ली।
राज्यसभा में सभापति धनखड़ ने सदन की बैठक शुरू होने पर आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए और फिर बताया कि उन्हें अदाणी, मणिपुर और संभल हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नियम 267 के तहत कुल 16 नोटिस मिले हैं। उन्होंने सभी नोटिस अस्वीकार कर दिए। कांग्रेस के प्रमोद तिवारी, रणदीप सिंह सुरजेवाला, अखिलेश प्रताप सिंह, सैयद नासिर हुसैन और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित कुछ अन्य सदस्यों ने अदाणी समूह के कथित भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी और वित्तीय अनियमितताओं सहित अन्य कदाचारों के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे।
समाजवादी पार्टी के रामजी लाल सुमन और रामगोपाल यादव, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के जॉन ब्रिटास और ए ए रहीम सहित कुछ अन्य सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के संभल में हुई हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए थे जबकि द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के तिरूचि शिवा और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के पी संदोष कुमार सहित कुछ अन्य सदस्यों ने मणिपुर में जारी हिंसा के मुद्दे पर चर्चा के लिए नोटिस दिए। सभापति धनखड़ ने सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए कहा कि सदस्य इन मुद्दों को अन्य प्रावधानों के तहत उठा सकते हैं।
इसी दौरान कांग्रेस के जयराम रमेश ने सवाल उठाया कि सभापति को कैसे मनाया जाए ताकि विपक्ष के नोटिस स्वीकार किए जा सकें। इसके जवाब में धनखड़ ने कहा कि नियम इतने व्यापक हैं कि वे प्रत्येक सदस्य को योगदान देने में सक्षम बनाते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले सत्र के दौरान एक अवसर आया था जब समय का आवंटन किया गया था लेकिन वक्ताओं की कमी के कारण उस समय का उपयोग नहीं हो सका था। सभापति ने कहा कि सदस्य अपने मुद्दे उठा सकते हैं लेकिन यह नियमों के अनुसार होना चाहिए।
विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच तिवारी अपनी बात रख ही रहे थे कि धनखड़ ने 11 बजकर 12 मिनट पर सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। दोपहर 12 बजे सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही कांग्रेस के सदस्य अपने स्थानों पर खड़े होकर अदाणी मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग करते नजर आए। सभापति धनखड़ ने सदस्यों से आग्रह किया वे प्रश्नकाल का सुचारू संचालन होने दें क्योंकि यह बेहद महत्वपूर्ण होता है। उनके आग्रह का जब सदस्यों पर कोई असर नहीं हुआ तो उन्होंने बारह बज कर करीब सात मिनट पर सदन की कार्यवाही दिन भर के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले सभापति ने उच्च सदन में हंगामा कर रहे विपक्षी सदस्यों से कहा, संसदीय अवरोध कोई समाधान नहीं है, यह एक रोग है। यह हमारी नींव को कमजोर करता है। यह संसद को अप्रासंगिकता की ओर ले जाता है। हमें अपनी प्रासंगिकता बनाए रखनी होगी। जब हम इस तरह के आचरण में संलग्न होते हैं तो हम संवैधानिक व्यवस्था से भटक जाते हैं। हम अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ लेते हैं। उन्होंने कहा, यदि संसद लोगों की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करने के अपने संवैधानिक कर्तव्य से भटकती है तो हमें राष्ट्रवाद को पोषित करना और लोकतंत्र को आगे बढ़ाना चाहिए।