दशलक्षण पर्व : उत्तम संयम धर्म की हुई पूजा

लखनऊ। गोमतीनगर जैन मन्दिर में चल रहे दशलक्षण महापर्व में शुक्रवार को उत्तम संयम धर्म की पूजा हुई। भगवान का अभिषेक सांगानेर से आए पंडित अनुज शास्त्री एवं संगीतकार सौरभ के सानिध्य में हो रहा है, पंडित जी ने संयम धर्म के बारे में बताया कि मनुष्य को अपने जीवन इसको पालना चाहिए कितनी भी कठिन परिस्थिति आए। मुख्य शांतिधारा सुकांत निकांत एवं अशोक जैन परिवार द्वारा की गई। इस मौके पर मन्दिर अध्यक्ष पीके जैन, मंत्री आलोक जैन, सुकांत, निकांत, संदीप, पीयूष, पीसी जैन, विनय कपूर जैन आदि उपस्थित रहे एवं शाम को जैन महिला मंडल की अनीता, दीपाली, वैशाली, पिंकी, अर्चना, दीपिका आदि द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।

इन्दिरानगर में मनाया गया सुगंध दशमी पर्व
लखनऊ। दशलक्षण पर्व के छठे दिन उत्तम संयम धर्म की पूजा की गई एवं साथ ही साथ सुगंध दशमी पर्व मे जैन धर्म के 10 वें तीर्थंकर भगवान शीतलनाथ की पूजन भक्ति भी की गई । प्रात: काल सर्वप्रथम भक्तों द्वारा भगवान का स्वर्ण कलशों से अभिषेक किया गए। संगीत लहरी के साथ मस्तकाभिषेक जिनेन्द्र भगवान का मस्तकाभिषेक एवं कलशा ढारो रे ढारो रे सब नर नारी…, भजनों के बीच भगवान शीतलनाथ का अभिषेक किया गया। रॉबिन जैन, स्वास्तिक जैन, मनोज जैन, अभिनव जैन द्वारा पूरी भक्ति भाव से भगवान का अभिषेक एवं विश्वशांति की कामना से शांतिधार की गई। उत्तम संयम धर्म का महत्व बताते हुए बाल ब्रह्मचारिणी शुभी दीदी ने बताया की हमे अपनी इंद्रियों पर वाणी पर, अपने मन पर नियंत्रण रखना चाहिए। स्वयं पर नियंत्रण ही उत्तम संयम धर्म है। जैन समाज के मंत्री अभिषेक जैन ने बताया कि कार्यक्रम में ई पीके जैन, धीरज जैन, मनोज जैन, अनुरोध जैन, ऋ षभ जैन, अपर्णा जैन दिव्य जैन उपस्थित रहे।

10 लक्षण धर्म का छठा दिन उत्तम संयम
विश्व शांति की कामना के साथ भगवान शीतल नाथ की पूजा अर्चना के साथ सभी जैन धर्म के श्रद्धालुओं ने अग्नि में धूप की आहुति दी ।
आज दिगंबर जैन मंदिरों में सुगंध दशमी के दिन अहियागंज में विशेष रूप से समीर जैन के निर्देशन में सभी धार्मिक क्रियाएं संपन्न हुई जिसमें सर्वप्रथम भगवान आदिनाथ को पनडु्कशीला पर विराजमान करके जल अभिषेक एवं शांति धारा संपन्न हुई तत्पश्चात अष्ट द्रव्यों से पूजा करते हुए भगवान शीतल नाथ की जयमाला पढ़ने के उपरांत सभी जैन भक्तों ने विश्व शांति की कामना के साथ अग्नि में धूप की आहुति डाली। संयम जीवन को दिशा प्रदान करता है संयम के अभाव में इंद्रियां अनेक प्रकार की अलग-अलग मांग करतीहैं। जैन गुरु ने कहा कि जहां तक इंद्रियों की मांग है , वहां तक मन की दौड़ है, संयम जीवन को पापी बनने से रोकता है संयम हमेशा श्रेष्ठ को पकड़ने की और को आश्रेष्ठ छोड़ने की बात करता है। उक्त प्रवचन काकोरी में स्थित पारस धाम में चल रहे शिविर के दौरान जैन मुनि ने दिए।

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