एसएनए के वाल्मीकि रंगशाला में हुआ मंचन
लखनऊ। संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से मदर सेवा संस्थान के 20 वर्ष पूरे होने पर द्वितीय रंग महोत्सव के अंतिम दिन देवशु थिएटर आर्ट्स सोसइटी की प्रस्तुति नाटक दरोगा जी चोरी का हुआ मंचन एसएनए के वाल्मीकि रंगशालाा में किया गया। सुप्रसिद्ध नाट्य रचनाकार जेपी सिंह उर्फ जयवर्धन द्वारा लिखित नाटक दरोगा जी चोरी हो गई, में लेखक ने समाज की कड़वी सच्चाई को उजागर किया है जिसमें दीपक नाम का लड़का बाबू शर्मा के घर में 20000 की चोरी करता है तथा जाते वक्त मेज पर 500 छोड़ जाता है। बाबू शर्मा जब घर पर आता है तो उसे अपने घर में हुई चोरी का पता चलता है वह चालाकी के मारे अखबार वालों को 50000 की चोरी बता देता है। दीपक जब यह अखबार पढ़ता है तो वह परेशान हो जाता है, क्योंकि उसका पार्टनर करण उसे बाकी के पैसे में से अपना हिस्सा मांगता है। इसलिए दीपक वापस बाबू शर्मा के घर आता है और उसे कहता है कि तुमने झूठ में अखबार में 50000 की रकम क्यों लिखवाई। बातचीत के दौरान वहां दरोगा लोहा सिंह तथा तांबा सिंह आ जाते हैं, तब छानबीन के दौरान पता चलता है कि बाबू शर्मा ने चोरी की रकम बढ़ाकर बताया है। लोहा सिंह भी अपनी पुलिस की ड्यूटी की बदहाली का हाल बताता है बाद में लोहा सिंह को पता चलता है कि दीपक नेचोरी की है, जो की इंजीनियरिंग का छात्र है और मौज मस्ती के लिए चोरी का काम करता है। तभी बाबू शर्मा की पत्नी अपने मायके से अचानक आ जाती है और जब उसे सारा हाल मालूम होता है तो वह अपने पति और दीपक पर गुस्सा करती है लोहा सिंह दीपक को अपने मां-बाप को फोन करने को कहता है तब दीपक बताता है कि उसके पिता नहीं है। मां दूसरों के घरों में काम करके उसे पढाती है दीपक अपने गलती पर बहुत शमिंर्दा होता है तब लोहा सिंह उसे दोबारा ऐसी गलती न करने की हिदायत देकर उसे छोड़ देता है और कहता है तुम्हें पढ़ाई लिखाई के लिए जब भी कोई जरूरत हो मेरे थाने आ जाना अंत में मार्मिक दृश्य के साथ कहानी का अंत होता है। मंच पर तारीख इकबाल अरुण विश्वकर्मा, मोहित यादव, सौरभ सिंह आदि ने निभायी।