नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को संकेत दिया कि कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों और सरकार के बीच व्याप्त गतिरोध दूर करने के लिए वह एक समिति गठित कर सकता है क्योंकि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा, आप विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों से बातचीत कर रहे हैं लेकिन अभी तक इसका कोई हल नहीं निकला है। आपकी बातचीत विफल होनी ही है। आप कह रहे कि हम बातचीत के लिए तैयार हैं। केन्द्र की ओर मेहता ने जवाब दिया, हां, हम किसानों से बातचीत के लिए तैयार हैं।
पीठ ने जब मेहता से कहा कि उन किसान संगठनों के नाम दीजिए जो दिल्ली सीमा को अवरूद्घ किए हैं तो उन्होंने कहा कि वह सिर्फ उन लोगों के नाम बता सकते हैं जिनके साथ सरकार की वार्ता चल रही है। मेहता ने कहा, वे भारतीय किसान यूनियन और दूसरे संगठनों के सदस्य हैं जिनके साथ सरकार बात कर रही है। उन्होने कहा कि सरकार विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों के संगठनों से बातचीत कर रही है और उन्होंने न्यायालय को उनके नाम बताए।
मेहता ने कहा, अब, ऐसा लगता है कि दूसरे लोगों ने किसान आन्दोलन पर कब्जा कर लिया है। मेहता ने कहा कि किसान और सरकार बातचीत कर रहे हैं और सरकार उनके साथ बातचीत के लिए तैयार है। सालिसीटर जनरल ने कहा, समस्या उनके (किसानों) इस नजरिए में है कि आप या तो इन कानूनों को खत्म कीजिए अन्यथा हम बात नहीं करेंगे। वे बातचीत के दौरान हा या न के पोस्टर लेकर आए थे। उनके साथ मंत्रीगण बातचीत कर रहे थे और वे किसानों के साथ चर्चा करना चाहते थे लेकिन वे (किसान संगठनों के नेताओं) ने कुर्सियां मोड़कर पीठ दिखाते हुए हां या न के पोस्टरों के साथ बैठ गए।
इन कथन का संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने विभिन्न पक्षकारों की ओर से पेश वकीलों से कहा कि वह क्या करने की सोच रहा है। पीठ ने कहा, हम इस विवाद को हल करने के लिए एक समिति गठित करेंगे। हम समिति में सरकार और किसानों के संगठनों के सदस्यों को शामिल करेंगे। यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है। हम इसमें देश के अन्य किसान संगठनों के सदस्यों को भी शामिल करेंगे। आप समिति के लिए प्रस्तावित सदस्यों की सूची दीजिए।
इस मामले में कई याचिकाएं दायर की गई है जिनमें दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को तुरंत हटाने के लिए न्यायालय में कई याचिकाएं दायर की गई हैं। इनमें कहा गया है कि इन किसानों ने दिल्ली-एनसीआर की सीमाएं अवरूद्घ कर रखी हैं जिसकी वजह से आने जाने वालों को बहुत परेशानी हो रही है और इतने बड़े जमावड़े की वजह से कोविड-19 के मामलों में वृद्घि का भी खतरा उत्पन्न हो रहा है। न्यायालय ने इन याचिकाओं पर केन्द्र और अन्य को नोटिस जारी किए।