लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि प्रतीकात्मक कर्मकांडों से कोरोना का इलाज नहीं होगा और सरकार को भुखमरी तथा बेरोजगारी की आशंकाएं दूर करने के लिए दीर्घकालीन व्यवस्थाएं बनानी होंगी।
अखिलेश ने रविवार को यहां एक बयान में कहा, “कोरोना वायरस का संक्रमण तमाम प्रयासों के बावजूद अभी फैलता ही जा रहा है। ऐसे में अब दीर्घकालीन व्यवस्थाएं करनी होगी। ताली-थाली के शोर या दिया-टार्च जलाकर रोशनी जैसे प्रतीकात्मक कर्मकाण्डों से मनोरंजन भले हो, मगर वह कोरोना का उपचार नहीं है।”
उन्होंने कहा कि गरीबों के घरों में चूल्हों की आग ठंडी न हो, बच्चे दूध के बिना भूखे न सोएं और नौजवानों की आंखो में भविष्य का धुंध न पनपे, इस ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को तत्काल ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस समय स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान देना होगा तथा देश-प्रदेश की विशाल आबादी के जीवनयापन के लिए विशेष प्रबन्ध करने होंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हम विशेष रूप से सरकार का ध्यान कोरोना आपदा के बाद पैदा होने वाले प्रभावों के बारे में भी सावधान करना चाहेंगे। देश में नोटबंदी-जीएसटी से कुप्रभावित उद्योग-धंधे अब लॉकडाउन के बाद पूरी तरह बंद हो चुके हैं। बेरोजगारी का संकट गहरा रहा है। श्रमिक पलायन से उत्पन्न स्थितियां भी चिंताजनक होंगी। निर्यात तो पूरी तरह बंद हो गया है। मंदी का प्रकोप बढ़ भी सकता है।”