- कोरोना के चलते 22 साल में पहली बार बढ़ सकती है गरीबी की दर
- वायरस जाने के बाद भी कायम रहेगा आर्थिक संकट
मारिया अबि हबीब। कोरोना वायरस ने महज कुछ महीनों में दुनिया की 2 दशक की उपलब्धियों पर पानी फेर दिया है। एक अनुमान के मुताबिक दुनिया में करीब 200 करोड़ लोगों पर गरीबी का खतरा मंडरा रहा है। वायरस का सबसे ज्यादा असर कमजोर कम्युनिटी पर पड़ा है। वर्ल्ड बैंक के मुताबिक 1998 के बाद पहली बार गरीबी दर बढ़ सकती है।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र ने अनुमान लगाया है कि महामारी के कारण इस साल के अंत तक दुनियाभर में 50 करोड़ लोग और गरीब हो सकते हैं। ऐसे में दुनिया की 8 फीसदी आबादी गरीब हो सकती है। महामारी का सबसे बुरा प्रभाव विकासशील देशों पर पड़ा है। वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक सब-सहारा अफ्रीकन देश 25 साल में पहली मंदी से गुजरेंगे।
वहीं, दक्षिण एशियाई देश 40 साल में सबसे खराब आर्थिक प्रदर्शन करेंगे। सबसे ज्यादा खतरे में इनफॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले कर्मचारी हैं। करीब 200 करोड़ लोगों के पास हेल्थ केयर, बेरोजगारी सहायता जैसी कोई सुविधा नहीं है। बांग्लादेश में गार्मेंट इंडस्ट्री में 10 लाख लोग अनौपचारिक रूप से काम करते हैं।
लेकिन लॉकडाउन की वजह से देश का 7 फीसदी कामगार बेरोजगार हो चुके हैं। बांग्लादेश की 22 साल की शाहिदा खातून ने 12 की उम्र में पढ़ाई छोड़कर गार्मेंट फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था। लगातार 10 साल मेहनत करने के बाद शाहिदा अब अपने बच्चे को बेहतर जीवन दे पा रही थीं। कम वेतन पर काम करने वाली खातून बताती हैं कि गार्मेंट फैक्ट्री ने मुझे और मेरे परिवार को गरीबी से बाहर निकलने में मदद की थी, लेकिन कोरोनावायरस ने मुझे फिर पीछे धकेल दिया। दक्षिण एशिया में खातून जैसी हजारों महिलाएं फैक्ट्रियों में काम करती हैं।