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कोरोना : दरें कम हुई, पर जांच अब खटाई में, निजी लैब वालों को लागत से कम कीमत मंजूर नहीं

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने निजी लैब में कोविड जांच दरें कम कर दी हैं। अब निजी लैब वाले अधिकतम 900 रुपये ही वसूल पायेंगे। दरें घटने के साथ ही निजी पैथालॉजी सेन्टरों में कोविड जांच खटाई में पड़ती नजर आ रही है। कारण, निजी लैब वालों को यह दर रास नहीं आ रही है। उनका कहना है कि इन दरों पर जांच करने उनका परता ही नहीं पड़ रहा है। बल्कि जांच करने से उनकी अपनी जेब ही हल्की करनी पड़ेगी।

गौरतलब है कि शुरुआत में निजी लैबों के लिए कोविड जांच दर 2500 रुपये निर्धारित की गयी थी, जिसे सितम्बर माह में घटाकर 1600 रुपये कर दिये गये थे। इसको लेकर भी काफी विरोध हुआ था लेकिन किसी तरह निजी पैथालॉजी जांच को राजी हो गये थे। लेकिन सरकार ने एक बार फिर जांच दरें घटा दी। इसके तहत अब निजी लैब में परीक्षण की दर 1600 रुपये से घटाकर 700 रुपये कर दी गई है, जो देश में सबसे कम है। रोगी के घर से नमूना लेने की स्थिति में ही लैब को आरटीपीसीआर परीक्षण 900 रुपये चार्ज करने की अनुमति दी गई है।

इन दरों में जीएसटी भी शामिल है। अपर मुख्य सचिव अमित मोहन प्रसाद ने मंगलवार को इस सम्बन्ध में एक आदेश जारी कर कहा था कि वर्तमान में आरटीपीसीआर टेस्ट किट रिजेंट्स तथा वीटीएम किट के दामों में गिरावट होने के कारण शुल्क में कमी की गई है। आदेश में कहा गया है कि टूनेट मशीन के जरिये जांच के लिए भी 1600 रुपए शुल्क ही लिया जाएगा। यह आदेश सभी निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं के लिए हैं। शुल्क से अधिक धनराशि वसूली को महामारी रोग अधिनियम 1897 एवं उत्तर प्रदेश महामारी कोविड-19 विनियमावली 2020 के प्रावधानों का उल्लंघन माना जाएगा।

पैथालॉजी एसोसिएशन का कहना है कि वह इतनी कम दरों में जांच नहीं कर पायेंगे। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी उनकी इस मांग को जायज बताते हुए समर्थन किया है। लखनऊ पैथालॉजी एसोसिएशन के सचिव अमित रस्तोगी का कहना है कि एक टेस्ट करने की लागत 2200 रुपये से ज्यादा आ रही है।

जांच की कॉस्ट में इस जांच में प्रयोग की जाने वाली गुणवत्तपूर्ण रीजेंट किट के अलावाए नमूना संग्रह करने में आने वाला खर्च, हॉस्पिटल या घर से नमूना संग्रह करना, इसमें सुरक्षा की दृष्टिकोण से प्रयोग किये जाने वाले डिस्पोजेबुल आइटम, मशीनों की मेंटीनेंस, ई- रिपोर्टिंग, डाटा एंन्ट्री करने के लिए डाटा आपरेटर्स का खर्च, कोविड वेस्ट मैटीरियल के डिस्पोजल का खर्च आदि शामिल हैं। सरकार ने पहले ही जांच मूल्य लागत से लगभग आधे कर दिये थे। अब इतने कम मूल्य पर जांच करना सम्भव नहीं है। यदि सरकार इसी तरह जांच मूल्य घटाती रही तो आने वाले समय में निजी पैथालॉजी सेन्टर जांच करने से कतराने लगेंगे।

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