रचनात्मक लोगों के लिए रंगों और संस्कृति का संगम

फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी द्वारा सौंदर्यबोध और सांस्कृतिक विकास कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यशालाओं की शुरूआत

  • टाई एंड डाई की पारंपरिक विधियाँ सिखाने पर केंद्रित पांच दिवसीय कार्यशाला का आयोजन
    लखनऊ। लखनऊ पब्लिक कॉलेज, गोमती नगर शाखा के सौंदर्यबोध और सांस्कृतिक विकास कार्यक्रम (2025-26) की शुरूआत फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी, लखनऊ के सहयोग से पांच दिवसीय टाई एंड डाई कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रधानाचार्या अनीता चौधरी ने छात्रों और शिक्षकों को आधुनिक शिक्षा में पारंपरिक शिल्प को शामिल करने के महत्व पर प्रेरक शब्दों में संबोधित किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह के व्यावहारिक अनुभव न केवल रचनात्मकता को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि छात्रों को भारत की समृद्ध वस्त्र विरासत से भी जोड़ते हैं। कार्यशाला की संकल्पना और संरचना फ्लोरेसेंस आर्ट गैलरी की संस्थापक निदेशक और लखनऊ पब्लिक स्कूल्स एंड कॉलेजेस की अकादमिक एवं नवाचार निदेशक सुश्री नेहा सिंह के मार्गदर्शन में की गई है। सुश्री सिंह ने बताया कि इस पहल का उद्देश्य व्यावहारिक कला मॉड्यूल के माध्यम से अनुभवात्मक शिक्षा और सांस्कृतिक जागरूकता को बढ़ावा देना है। सुश्री सरोज सिंह और सुश्री शिवानी यादव, जो दोनों ही अनुभवी कलाकार और शिल्प शिक्षिकाएँ हैं, द्वारा संचालित यह कार्यशाला छात्रों को टाई एंड डाई की पारंपरिक विधियाँ सिखाने पर केंद्रित है—एक प्राचीन भारतीय वस्त्र कला जो साधारण टाई और रंगाई तकनीकों का उपयोग करके सादे कपड़े को जीवंत, पैटर्न वाली उत्कृष्ट कृतियों में बदल देती है। यह कार्यशाला स्कूल समय के दौरान 22 से 26 जुलाई 2025 तक पाँच दिनों तक चलेगी।
    क्यूरेटर भूपेंद्र अस्थाना व राजेश कुमार ( क्यूरेटर, कला विभागाध्यक्ष) ने बताया कि कला और संस्कृति से जुड़ने के लिए बचपन से ही शुरूआत करने की जरूरत होती है। इस लिए ऐसे कार्यशालाओं द्वारा बच्चों में कला और संस्कृति के प्रति समर्पित भावना को बढ़ावा दिया जा रहा है। जो भविष्य में चल कर इसे संवारने और संजोने का कार्य बखूबी निभाने में अपना योगदान देंगे।

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