यूपी की चुनावी तैयारियों पर दिल्ली में हुई मंत्रणा

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत के लिए भारतीय जनता पार्टी ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इसी को लेकर एक महत्वपूर्ण बैठक गुरुवार रात को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के आवास पर हुई। करीब साढ़े तीन घंटे चली इस बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन मंत्री सुनील बंसल भी मौजूद थे। भाजपा की सहयोगी निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद भी इस बैठक में शामिल थे। वे लगातार भाजपा पर एमएलसी बनने पर दबाव बनाने के साथ ही राज्य में मल्लाह (निषाद) समुदाय के आरक्षण की मांग भी उठा रहे हैं। इस बैठक में उत्तर प्रदेश चुनाव से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई। इसके अलावा बैठक में उत्तर प्रदेश में पीएम मोदी के आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा भी तय की गई। गृह मंत्री अमित शाह ने सीएम योगी, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और संगठन मंत्री सुनील बंसल से विधानसभा चुनाव की तैयारियां शुरू करने के निर्देश भी दिए। बैठक में योगी सरकार के मंत्रिमंडल के विस्तार, विधान परिषद के उम्मीदवार तथा संगठन से जुड़े विषयों पर चर्चा की गई। साथ ही चुनाव में सहयोगी दलों को साथ लेने पर भी जोर दिया गया।

 

सूत्रों के अनुसार, इस अहम बैठक में मंत्रिमंडल विस्तार और एमएलसी बनाए जाने के नामों पर सहमति बन गई है। आगामी कुछ दिनों में कैबिनेट विस्तार और एमएलसी के नामों की घोषणा की जा सकती है। बैठक में केंद्र सरकार से राज्यों को मिले अधिकार के तहत प्रदेश की कुछ सामान्य वर्ग में शामिल जातियों को पिछड़े में शामिल किया करने और १७ अतिपिछड़ों को अनुसूचित जाति वर्ग में शामिल करने के बारे में चर्चा की गई है।

 

इसके अलावा इस बैठक में राज्यपाल कोटे से मनोनीत होने वाले एमएलसी के नामों पर भी चर्चा की गई। मंत्रिमंडल विस्तार के साथ ही एमएलसी मनोनयन की प्रक्रिया भी अभी तक रूकी है। एमएलसी के लिए जिन लोगों की उम्मीदवारी सबसे मजबूत मानी जा रही है उसमें निषाद पार्टी के संजय निषाद, जितिन प्रसाद, लक्ष्मीकांत बाजपेयी और अति पिछड़ी जाति से भी एक व्यक्ति को शामिल किया जा सकता है। इनमें से एक या दो को मंत्रिमंडल में भी शामिल किया जा सकता है। सत्ताधारी भाजपा राज्य में पिछड़ों और ब्राह्मणों को साधने की रणनीति अपना सकती है, क्योंकि विपक्ष इन्हीं दोनों पर घेरने में जुटा है।

 

उत्तर प्रदेश सरकार में अभी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कुल ५३ मंत्री हैं। इनमें २३ कैबिनेट, नौ राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और २१ राज्यमंत्री हैं। राज्य में अधिकतम ६० मंत्री बनाए जा सकते है। फिल्हाल सात और मंत्री बनाए जाने की गुंजाइश कैबिनेट में है।

 

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अगले साल की शुरूआत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके लिए समाजवादी पार्टी, बसपा, कांग्रेस समेत कई दल मैदान में हैं। प्रदेश चुनाव में पहली बार ओवैसी की पार्टी भी चुनाव लड़ेगी। ऐसे में भाजपा सरकार और संगठन, दोनों ही जातीय और क्षेत्रीय संतुलन बनाने की नीति-रणनीति पर काम कर रहे हैं।

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