माया और कपट जैसे पापमय कर्मों का समूल विनाश आर्जव धर्म के पालन से होता है
महिलाओं ने भक्ति गीत व नृत्य प्रस्तुत किए
लखनऊ। इंदिरा नगर और आशियाना जैन मंदिर में गुरुवार को दशलक्षण पर्व का आयोजन किया गया। इंदिरा नगर जैन मंदिर में उत्तम आर्जव धर्म की पूजा हुई। गुरु ब्रह्मचारी ने कहा कि किसी को भी छल-कपट कभी नहीं करना चाहिए, क्योंकि चोरों के गांव कभी नहीं बसते। दुनिया में ऐसा कोई गांव-शहर नहीं हैं, जहां मात्र चोर ही रहते हों, क्योंकि चोरी के काम में भी विश्वास होना जरूरी है। जो जीव सरल स्वभाव के होते हैं, उनके घर में संपदा की अपने आप वृद्धि होती है। इस जगत में भी उत्तम आर्जव की ही रीति अच्छी मानी गई है। मंदिर में सुबह भगवान महावीर स्वामी का स्वर्ण कलशों से अभिषेक व शांतिधारा की गई। यह सौभाग्य सुदीप व वीरेंद्र कुमार जैन, अभय कुमार, अरिंजाय, अमित को प्राप्त हुआ। इंदिरा नगर जैन समाज की महिलाओं ने भक्ति गीत व नृत्य प्रस्तुत किए। सांस्कृतिक संध्या में धार्मिक गेम शो भी हुआ। नवयुवक मंडल की ओर से बच्चों के लिए सांस्कृतिक संध्या का आयोजन हुआ।
आशियाना जैन मंदिर में शांतिधारा का सौभाग्य अखिलेश जैन व समिति अध्यक्ष चंद्र प्रकाश जैन को मिला। विशेष पूजन में अंकित जैन, संजय मोदी, विकास, अनुज जैन ने अर्घ समर्पित किए। मंत्रोच्चारण जयपुर के पीयूष जैन ने किया। डॉ. अभय जैन ने बताया कि मायाचार और कपट का आचरण समाज में अशांति और वैमन्यस्य पैदा करता है। माया और कपट जैसे पापमय कर्मों का समूल विनाश आर्जव धर्म के पालन द्वारा होता है। आर्जव धर्म आत्मा का शुद्ध भाव है। महिला मंडल की अल्पना, ऋतु, संगीता, रिमझिम, स्वीटी, ज्योति, मीनू आदि ने धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए।