लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद् में शुक्रवार को बेसिक शिक्षा विभाग में कम्पोजिट ग्रांट में घोटाले का आरोप लगते हुए सरकार से कार्रवाई करने इस मामले में बड़े स्तर पर जांच करने की मांग की। इस पर सरकार की तरफ से कहा गया कि इस मामले की जांच कमिश्नर लखनऊ करेंगे।
कार्यस्थगन की सूचना लगाते हुए सपा सदस्य सुनील सिंह ‘साजन’ ने उन्नाव में सरकार द्वारा बेसिक शिक्षा के अंतर्गत दी जाने वाली कम्पोजिट ग्रांट में घोटाले का आरोप लगते हुए इस मुद्दे पर तत्काल चर्चा की मांग की। साजन ने कहा कि यह मामला सिर्फ उन्नाव तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश से जुड़ा हुआ है।
सपा सदस्य ने आरोप लगाया की प्रदेश के लगभग सभी जिलों में बेसिक शिक्षा अधिकारीयों द्वारा बच्चों के स्वेटर, ड्रेस, जूते, मोजे, लाइब्रेरी के लिए किताबों, स्पोर्ट्स किट, रंगाई पुताई और फर्नीचर खरीद में बड़े पैमाने पर अनियमितिताएं प्रकाश में आ रही हैं। उन्होंने उन्नाव का उदहारण देते हुए कहा कि एक ही सामान, जैसे दो पेंसिल, की कीमत 5000 रुपये से लेकर 26000 रुपये दिखाई गयी है। आरोप लगाया की सप्लाई का काम एक ही फर्म मां वैष्णो को दिया गया जो पहले से ही ब्लैक लिस्टेड है।
साजन ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री और राज्यपाल को पत्र लिख कर इस मामले की जांच कराने का अनुरोध किया, जिसके बाद इस प्रकरण की तहकीकात की गयी। बेसिक शिक्षा के विशेष सचिव और जांच अधिकारी विजय किरण आनंद ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बड़े पैमाने पर धांधली हुई है।
उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा जारी की गयी सूची को जिलाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी ने बदल दिया। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट आने के इतने दिनों बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी और जिलाधिकारी अभी भी जिले में तैनात हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकरण में कई भाजपा नेता या उनके रिश्तेदार शामिल हैं। यह हाल सिर्फ उन्नाव का ही नहीं पूरे प्रदेश में यही स्थिति है।
सदस्य के आरोपों के जवाब में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) सतीश द्वेवदी ने कहा कि सत्ता में आने के बाद से योगी सरकार ने बेसिक शिक्षा को दुरुस्त करने के लिए बहुत सारे कदम उठायें हैं। उन्होंने कहा कि उन्नाव मामले में न सिर्फ बेसिक शिक्षा अधिकारी को निलंबित किया गया, बल्कि उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया गया है।
उन्होंने कहा कि जिलाधिकारी की भूमिका संदिग्ध पाए जाने पर मुख्यमंत्री से अनुमति मांगी गयी थी और अब उनकी जांच के लिए लखनऊ मंडल के कमिश्नर को जांच अधिकारी नामित किया जा चुका है। पीठासीन अधिकारी सुरेश कश्यप ने सूचना स्वीकार करते हुए सरकार से कहा कि मामला गंभीर है और इसमें जो भी लोग हैं उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि जरुरत हो तो इस मामले की दोबारा जांच करा ली जाये।