लखनऊ। क्रिसमस की खुशियां केक से मुंह मीठा किए बिना बिल्कुल अधूरी हैं। रम और प्लम केक के अलावा बाजार में केक की ढेरों वैरायटी है। बेकर्स तैयार हैं क्रिसमस पर लोगों को अलग-अलग स्वाद के केक खिलाने को। खास है कि इस बार सेहत की चिंता में केक देख कर ही मन भर लेने वालों के लिए ढेरों विकल्प मौजूद हैं। जैसे गेहूं के आटे व गुड़, रागी और वेगेन केक। राइमा बताती हैं कि लोगों में सेहत के प्रति जागरूकता बढ़ी है। अब लोग ढेरों क्रीम, चीनी और मोटापा बढ़ाने वाली चीजों को ना कहने लगे हैं, पर क्रि समस पर केक सिर्फ परंपरा ही नहीं, बल्कि खुशी बांटने का एक जरिया भी है।
क्रिसमस की अगवानी के लिए 25 फ्लेवर में केक :
क्रिसमस पर केक काटने की परंपरा बहुत पुरानी है। क्रिसमस की तैयारियां 25 दिसंबर से बहुत पहले ही शुरू हो जाती हैं। केक बनाने की शुरूआत भी करीब एक माह पहले से होने लगती है। इसाई समाज के ज्यादातर लोग केक बनाने का सामान दुकानदार या बेकरी वाले को देते हैं, जिससे केक तैयार किया जाता है। इस बार शहर में क्रिसमस को भव्य तरीके से मनाने के लिए 25 से अधिक प्रकार के केक दुकानों में तैयार किए गए हैं। ज्यादातर बेकरी में 15 से 25 प्रकार के केक बिक रहे हैं। सबसे ज्यादा प्लम और रम केक की मांग है। इस बार आकर्षक पैकिंग में तैयार केक दुकानदार दे रहे हैं। केक की कीमत छह सौ रुपए किलो से शुरू है। गुड बेकरी के उमेश आहूजा ने बताया कि क्रिसमस केक एक रिच केक होता है। कई प्रकार के क्रिसमस केक दो सौ ग्राम से लेकर एक किलो तक के हैं। विशेष आग्रह पर बड़े केक तैयार किए जाते हैं। क्रिसमस से करीब 15 दिन पहले से ही केक की मांग बढ़ जाती है।
टेस्ट में बेस्ट सेहतमंद केक:
अब लोग चाहते हैं कि स्वाद भी मिल जाए और कैलोरी भी ज्यादा न लेनी पड़ेए इसलिए बेकर्स ने क्रिसमस पर आटे और गुड़ से केक बनाने की तैयारी की है। इसकी जबरदस्त बुकिंग है। इसी तरह रागी और बादाम केपाउडर का केक भी मांग पर तैयार किया जा रहा है। इसकी खास बात है कि दाम भी 700 रुपये से 1000 रुपये प्रति किलो के हिसाब से है।
रम और प्लम केक सदाबहार:
बेकर राइमा कहती हैं कि क्रिसमस पर रम व प्लम केक के बिना काम नहीं चलता। आमतौर पर ब्रेड के आकार वाले ब्राउन कलर केकेक होते हैं, लेकिन अब इसमें ऊपर क्रीम की लेयर देकर अलग.अलग डिजाइन में तैयार किया जा रहा है। इसे बनाने के लिए एक महीने से रम और जूस में भीगे मेवों का इस्तेमाल किया जाता है। ये 1200-1500 रुपये प्रति किलो तक उपलब्ध हैं।
सेंटाक्लाज देंगे गिफ्ट में डोम केक:
सेंटाक्लाज बच्चों को क्रिसमस पर उपहार बांटते हैं। इसे देखते हुए कार्टून कैरेक्टर वाले डोम केक तैयार किए जा रहे हैं। इसमें डोरेमान समेत बच्चों के पसंदीदा कई किरदार नजर आएंगे। इसकी कीमत 150 से 200 रुपये तक है।
15-20 दिन का समय लेता है प्लम केक:
एमएंडएच बेकरी मधुरिमा के मैनेजर ने बताया कि क्रिसमस के लिए एगलेस से लेकर प्लम केक तैयार किए गए हैं। क्रिसमस केक का सामान मेवेए फल आदि को वाइन या रम में करीब 15 से 20 दिन पहले भिगो दिया जाता है। जिससे वह उसे पूरी तरह से सोख ले। इसके बाद स्वादिष्ट केक को तैयार किया जाता है।
इस बार आकर्षण पैकिंग:
मधुरिमा के मैनेजर बताते हैं कि इस बार क्रिसमस के लिए विशेष तौर पर आकर्षण पैकिंग तैयार की गई है। आमतौर पर केक को सामान्य से डिब्बों में रखकर दिया जाता था। इस बार रंगीन, डिजाइनर व क्रिसमस सैलीब्रेशन जैसे डिजाइन वाले डिब्बों में केक दिया जा रहा है।
वेगन केक भी खास
इस केक को बनाने में किसी भी दुग्ध उत्पाद का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इसमें अंडे की जगह केला और मैदे की जगह बादाम का आटा इस्तेमाल करते हैं। यह फैट फ्री है। पार्टी और ग्लैमर पसंद करने वालों को ध्यान में रखते हुए फॉन्डेंट केक तैयार किया जा रहा है। यह होमबेकर्स के पास 2500 रुपये प्रति किलो और बाजार में 3000 से 3500 रुपये किलो तक भी है।
रॉयल आइसिंग केक जल्दी नहीं होता खराब
यदि आप क्रिसमस केक को 15-20 दिन तक चखना चाहते हैं तो रॉयल आइसिंग केक एक अच्छा विकल्प है। इसमें अंदर फल और बाहर चीनी की लेयर लगाई जाती है। यह जल्दी खराब नहीं होते हैं और दो हफ्ते से अधिक इन्हें सहेजा जा सकता है। इसके अलावा शुगरफ्री केक 1500 से 1700 रुपये में तैयार हो जाएंगे।
क्रिसमस के दिन हुआ था यीशू का जन्म
लखनऊ। हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाया जाता है। यह ईसाई धर्म का प्रमुख पर्व है। इस पर्व को भारत समेत पूरी दुनिया में धूमधाम से मनाया जाता है। क्रिसमस का पर्व ईसाई धर्म के संस्थापक प्रभु यीशु के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है।
क्रिसमस के दिन लोग अपने घरों को सुंदर तरीके सजाते हैं और क्रिसमस ट्री लगाते हैं। साथ ही चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं और कैंडल जलाते हैं। इसके अलावा तमाम तरह के व्यंजन बनाकर और पार्टी करते हैं और केक काटकर इस त्योहार को मानते हैं। वहीं छोटे बच्चों को इस दिन अपने सांता क्लॉज का इंतजार रहता है। इस दिन बच्चों को चॉकलेट्स और गिफ्ट्स मिलते हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं कि हर साल 25 दिसंबर को ही क्रिसमस का पर्व क्यों मनाया जाता है और इसके पीछे की मान्यता क्या है।
क्रिसमस क्यों मनाया जाता है?:
ईसाई धर्म की मान्यता के अनुसार प्रभु यीशु मसीह का जन्म 25 दिसंबर को हुआ था, जिसकी वजह से इस दिन को क्रिसमस के तौर पर मनाया जाता है। यीशु मसीह का जन्म मरियम के घर हुआ था। मान्यता है कि मरियम को एक सपना आया था।
इस सपने में उन्हें प्रभु के पुत्र यीशु को जन्म देने की भविष्यवाणी की गई थी। इस सपने के बाद मरियम गर्भवती हुईं और गर्भावस्था के दौरान उनको बेथलहम में रहना पड़ा। कहा जाता है कि एक दिन जब रात ज्यादा हो गई, तो मरियम को रुकने के लिए कोई सही जगह नहीं दिखी। ऐसे में उन्होंने एक ऐसी जगह पर रुकना पड़ा जहां पर लोग पशुपालन किया करते थे। उसी के अगले दिन 25 दिसंबर को मरियम ने यीशु मसीह को जन्म दिया। यीशु मसीह के जन्म स्थल से कुछ दूरी पर कुछ चरवाहे भेड़ चरा रहे थे। कहा जाता है कि भगवान स्वयं देवदूत का रूप धारण कर वहां आए और उन्होंने चरवाहों से कहा कि इस नगर में एक मुक्तिदाता का जन्म हुआ है ये स्वयं भगवान ईसा हैं। देवदूत की बात पर यकीन करके चरवाहे उस बच्चे को देखने गए। देखते ही देखते बच्चे को देखने वालों की भीड़ बढ़ने लगी। लोगों का मानना था कि यीशु ईश्वर का पुत्र है और ये कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया है। मान्यता ये भी है कि प्रभु यीशु मसीह ने ही ईसाई धर्म की स्थापना की थी। यही वजह है कि 25 दिसंबर को क्रिसमस के त्योहार के रूप में मनाया जाता है।





