भातखंडे : प्रमाण पत्र वितरण समारोह में प्रतिभागियों नें दी मनमोहक प्रस्तुति
लखनऊ। भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ मे चल रहे ग्रीष्मकालीन संगीत एवं कला अभिरुचि कार्यशाला मंच प्रस्तुति एवं प्रमाण पत्र वितरण समारोह में विश्वविद्यालय के कला मंडप सभागार में प्रतिभागीयों नें अपना आकर्षक प्रदर्शन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो० मांडवी सिंह ने दीप प्रज्वलन कर किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉ० सृष्टि धवन समेत प्रो कुमकुम धर एवं पंडित धर्मनाथ मिश्र, किरीट राठौड़ (आइ० पी० एस) एवं शिक्षक, अधिकारी, शिक्षार्थी एवं कर्मचारी गण उपस्थित रहे।
इस वर्ष ग्रीष्म कालीन मासिक कार्यशाला में प्रतिभागियों का विशेष उत्साह देखने को। इस वर्ष की ग्रीष्म कालीन कार्यशाला में लगभग 600 विद्यार्थियों ने भाग लिया, जिनकी आयु 5 वर्ष से लेकर 80 वर्ष तक है। इन विद्यार्थियों ने शास्त्रीय गायन, बांसुरी, कथक, भरतनाट्यम, सितार, पखावज, तबला, पेंटिंग, क्ले मॉडलिंग, ढोलक, लोकनृत्य और लाइट म्यूजिÞक जैसे विषयों में प्रशिक्षण प्राप्त किया। ये प्रतिभागी ही भविष्य के वे सांस्कृतिक पथ प्रदर्शक हैं जो उत्तर प्रदेश की कला-संपदा को देश-दुनिया में फैलाएँगे।
समस्त प्रतिभागियों नें संगीत, नृत्य एवं कला की विभिन्न विधाओं में अपनी अभिरुचि के अनुसार कुशल एवं पारंगत प्रशिक्षक के निर्देशन में प्रशिक्षण प्राप्त किया तथा प्रशिक्षकों के दिशा निर्देशन में ही समापन दिवस के अवसर पर कार्यशाला में प्राप्त प्रशिक्षण का प्रदर्शन सभी आगंतुकों के समक्ष किया।
आज कार्यशाला के समापन प्रथम दिवस के मंच प्रस्तुति कार्यक्रम में सर्वप्रथम कथक नृत्य में सुश्री एकता मिश्रा के निर्देशन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रतिभागियों ने गुरु वंदना, तीन ताल मध्यलय में प्रतिभागियों नें अपनी प्रस्तुति दी। शास्त्रीय गायन में श्री अभिषेक त्रिपाठी के निर्देशन में प्रतिभागियों ने राग यमन में एकताल, मध्यताल और तराना की आकर्षक प्रस्तुतियाँ दीं।
वायलिन वादन में श्री शगुन शुक्ला के निर्देशन में राग भूपाली की सुंदर प्रस्तुति दी गई। सितार वादन में श्री मनोज कुमार के निर्देशन में प्रतिभागियों ने राग बिलावल का भावपूर्ण वादन प्रस्तुत किया। हारमोनियम वादन में श्री कृष्ण कुमार मौर्य के निर्देशन में राग भूपाली की प्रस्तुति दी गई। पखावज वादन में श्री अभिषेक शुक्ल के निर्देशन में चौताल तथा भजन ठेका की सजीव प्रस्तुति हुई। तबला वादन में श्री तुषार सहाय के निर्देशन में तीन ताल की लयबद्ध प्रस्तुति दी गई। बाँसुरी वादन में श्री लक्ष्मी नारायण अवस्थी के निर्देशन में राग यमन की मधुर प्रस्तुति दी गई। ढोलक वादन में श्री आशीष मिश्र के निर्देशन में प्रतिभागियों ने कहरवा एवं दादरा ताल में मनमोहक प्रस्तुति दी। लोकगीत वर्ग में श्री संजय श्रीवास्तव के निर्देशन में पारंपरिक छठ गीत की सजीव प्रस्तुति हुई।
कीबोर्ड वादन में श्री शिवम पाण्डेय के निर्देशन में ‘मधुवन में राधिका नाचे रे’ की भावनात्मक प्रस्तुति दी गई। गिटार (वेस्टर्न) वर्ग में श्री निहाल मिश्र के निर्देशन में ‘अजीब दास्तान है ये’ की प्रस्तुति प्रतिभागियों द्वारा दी गई। कथक नृत्य में सुश्री कनक कुलश्रेष्ठ के निर्देशन में ‘श्रीरामचंद्र’ विषय पर तीन ताल में पारस्परिक प्रस्तुति हुई। कथक नृत्य में सुश्री जयशिका सिंह के निर्देशन में गणेश वंदना की भावपूर्ण प्रस्तुति दी गई। कथक नृत्य में श्री राम मोहन महाराज के निर्देशन में ‘ॐ नम: शिवाय’ की प्रस्तुति अत्यंत प्रभावशाली रही। लोकनृत्य वर्ग में श्री मोहित कपूर के निर्देशन में ‘महारास’ का जीवंत प्रदर्शन किया गया। कार्यशाला के समन्वयक डॉ मनोज कुमार मिश्र एवं ज्ञानेन्द्र दत्त बाजपेयी रहे। कार्यक्रम में मंच का संचालन डॉ सीमा भारद्वाज एवं कृतिका त्रिपाठी ने किया। मंच कार्यक्रम में संगतकर्ता गायन में आरिफ खान सारंगी में ध्रुव त्रिपाठी एवं तबला में इलियास हुसैन खान आमिर हुसैन खान शुभम भारती, मनीष मिश्रा एवं देवी प्रसाद तालुकदार उपस्थित रहे।