नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, चीन से आयात किए जाने वाले तकनीकी उपकरणों की सूची तैयार हो रही है। हर विभाग से कहा गया है कि वह चीन से आने वाले सामान पर अंकुश लगाएं। इनमें सरकारी क्षेत्र के अधिकांश मंत्रालय, जैसे ट्रांसपोर्ट, उद्योग, पावर, जल, कृषि एवं दूसरे विभाग शामिल हैं। दोनों देशों के बीच शुरू हुए सीमा विवाद में भारत ने चीन में निर्मित उपकरणों पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों या उद्योगों को चीन के उत्पादों से दूर रहने की हिदायत जारी करने के बाद अब निजी क्षेत्र में भी वैसे ही नियम लागू करने का प्रस्ताव तैयार हो रहा है। प्राइवेट कंपनियों में खासतौर पर सैन्य उत्पाद, दूरसंचार उपकरण (मिलिट्री एवं सिविल), एविएशन एवं रेलवे पावर सप्लाई सेक्टर में भी अब चीनी उत्पादों का विकल्प तलाशने के लिए कहा गया है। शुरूआती तौर पर पहला कदम इन उपकरणों की खरीद के लिए सरकारी मंजूरी लेना रहेगा।
पहले चरण में सुरक्षा उपकरणों पर रहेगा फोकस
अगर कोई कंपनी अपने स्तर पर ये उपकरण खरीद लेती है तो उसे सरकारी अथॉरिटी की अनिवार्य जांच प्रक्रिया से गुजरना पड़ेगा। पहले चरण में सुरक्षा उपकरणों पर फोकस रहेगा। इनमें निजी क्षेत्र की कम्युनिकेशन प्रणाली भी शामिल है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, चीन से आयात किए जाने वाले तकनीकी उपकरणों की सूची तैयार हो रही है। हर विभाग से कहा गया है कि वह चीन से आने वाले सामान पर अंकुश लगाए। इनमें सरकारी क्षेत्र के अधिकांश मंत्रालय, जैसे ट्रांसपोर्ट, उद्योग, पावर, जल, कृषि एवं दूसरे विभाग शामिल हैं।
इन मंत्रालयों में चीन से संबंधित कोई बड़ा निवेश या उपकरणों की खरीद होती है तो उसके लिए गृह मंत्रालय की मंजूरी लेना अनिवार्य कर दिया गया है। अब यह मंजूरी केवल फाइलों के स्तर पर नहीं मिलेगी, बल्कि उपकरण या दूसरे सामान का सैंपल जांच एजेंसी के सामने प्रस्तुत करना होगा। जो प्रस्ताव तैयार हो रहा है, उसमें चीन से आने वाले उपकरणों की जांच रिपोर्ट दो-तीन सप्ताह में आएगी। हर मंत्रालय में चीनी उपकरणों पर नजर रखने के लिए अलग से एक टीम का गठन किया गया है।
दूरसंचार प्रणाली में इस्तेमाल होते हैं चीन में निर्मित उपकरण
इस टीम में वे सदस्य शामिल किए गए हैं, जो पहले से किसी बड़ी खरीद प्रक्रिया का हिस्सा रहे हों। एक अधिकारी के अनुसार, चीन में निर्मित बहुत से उपकरण दूरसंचार प्रणाली में इस्तेमाल होते हैं। इनमें सैन्य एवं सिविल क्षेत्र, दोनों शामिल हैं। सेना एवं इंटेलिजेंस के लिए इन उपकरणों का विकल्प तलाशा जा रहा है। इसके लिए अब पश्चिमी देशों से उपकरण आयात किए जाएंगे। दूरसंचार कंपनियों, जिन पर एकाएक ये प्रतिबंध नहीं लगाए जा सकते, इसलिए शुरूआती कदम के तहत इनके उपकरणों की जांच के मापदंड तैयार किए जा रहे हैं।
चीन में बने दूरसंचार उपकरण खरीदने वाली कंपनियों को अनिवार्य जांच से गुजरना होगा। इसके बाद उन्हें दूरसंचार उपकरण प्रमाणन पत्र जारी होगा। यदि किसी कंपनी से पहले से कोई आॅर्डर दे रखा है तो स्वदेश में आते ही उन उपकरणों की जांच होगी। सौदा तय करते समय तय हुए उनके तकनीकी मापदंडों को जांचा जाएगा। उसके बाद उपकरणों की सुरक्षा जांच की जाएगी। अगर गृह मंत्रालय की मंजूरी मिलती है, तो ही उनके इस्तेमाल की इजाजत मिलेगी। बीआईएस जैसे संस्थान इन उपकरणों की जांच टीम में शामिल रहेंगे।
आयात करना है तो सरकार के पास जमा करानी होगी फाइल
भविष्य में यदि किसी कंपनी को चीन से इन उपकरणों का आयात करना है तो उसे पहले से ही केंद्र सरकार के पास फाइल जमा करानी होगी। अगर यहां से मंजूरी मिलती है तो ही उपकरणों की खरीद सुनिश्चित होगी। यह अलग बात है कि भारतीय दूरसंचार कंपनियां अभी केंद्र सरकार के इस निर्णय से खुश नहीं हैं। वजह, उनके सामान की त्वरित डिलीवरी एवं कम दाम वाले उपकरण किसी दूसरे देश से एकाएक मिलना संभव नहीं है। अगर यह प्रयास होता है कि उसमें समय पर डिलीवरी और महंगे रेट, ये दोनों समस्या आगे आएंगी।
केंद्र सरकार के ये आदेश 5जी तकनीक को लेकर निजी क्षेत्र के लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं। भारत-चीन संबंधों में आये तनाव के बीच चीन से निर्यात किये जाने वाले 371 कैटेगरी के सामानों की क्वालिटी जांच होगी और उन्हें इंडियन स्टैंडर्ड पर खरा उतरना होगा। यह व्यवस्था अगले साल मार्च महीने से लागू होगी और जिन प्रोडक्ट पर यह व्यवस्था लागू होगी उनमें खिलौने, स्टील ट्यूब, स्टील बार, इलेक्ट्रॉनिक्स के समान, टेलीकॉम आइटम, हैवी मशीनरी, पेपर, रबर और ग्लास के उत्पाद शामिल हैं।
आत्मनिर्भर अभियान को सफल बनाने के लिए उठाया जा रहा कदम
यह कदम उन चीजों के निर्यात पर रोक लगाने के लिए उठाया जा रहा है, जिनकी गुणवत्ता भारतीय मानकों के अनुसार सही नहीं होती है। एक अख़बार में छपी खबर के अनुसार सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए भी यह कदम उठाया जा रहा है। इस पहल के तहत सरकार गैरजरूरी आयात को रोकने और निर्यात को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। ब्यूरो आफ इंडियन स्टैंडर्ड के डायरेक्टर जेनरल प्रमोद कुमार तिवारी ने इस संबंध में बताया कि जिन 371 प्रोडक्ट की इंडियन स्टैंडर्ड पर जांच होगी वे सभी चाइनीज हैं।
इन सभी को भारतीय मानकों पर खतरा उतरना होगा, इसके लिए सरकारी पोर्ट कांडला, जेएनपीटी और कोच्चि में व्यवस्था की जा रही है। प्रमोद कुमार तिवारी ने बताया कि इस काम के लिए समयसीमा दिसंबर तक तय की गयी है जो बचे रह जायेंगे उनके लिए यह समयसीमा मार्च 2021 तक होगी। सरकार यह कदम संभवत: चीन से कम से कम आयात करने के लिए उठाने जा रही है। साथ ही सरकार ने दवा तैयार करने में काम आने वाली रासायनिक सामग्री और चिकित्सा उपकरणों की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा की योजना भी बनायी है।
मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित किये जाने की योजना
इसके लिए देश में बल्क ड्रग उत्पादन और मेडिकल डिवाइस पार्क स्थापित किये जाने की योजना हैं। अभी इसके लिए भारत चीन पर निर्भर है। अगर ऐसा हुआ तो यह चीन के लिए बड़ा झटका होगा। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डीवी सदानंद गौड़ा ने बताया है कि ऐसा प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत अभियान को सफल बनाने के लिए किया जा रहा है। ज्ञात हो कि फार्मा विभाग के इन प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट ने इस वर्ष मार्च में मंजूरी दी थी।
गौड़ा ने कहा कि इनका मकसद भारत को 53 महत्वपूर्ण एपीआइ या मुख्य औषधिक सामग्री (केएसएम) के उत्पादन में और चिकित्सा उपकरणों की मैन्युफैक्चरिंग में आत्मनिर्भर बनाना है, जिनके लिए अभी देश मुख्य रूप से आयात पर निर्भर है। इतना ही नहीं सरकार ने कई चाइनीज एप पर भी लगाम कसी है. सरकार ने पहले टिकटॉक सहित 59 एप को बैन किया था और कल सरकार ने 47 अन्य एप को बैन किया है। ऐसी सूचना है कि सरकार पबजी सहित 250 अन्य एप पर नजर रखे हुई है और अगर जरूरी हुआ तो सरकार इनपर भी बैन लगा देगी।





