गर्मी से बचने के लिए बाड़े में दुबके रहे चिंपैंजी और भालू

लखनऊ। नवाब वाजिद अली शाह प्राणि उद्यान घूमने पहुंचे दर्शकों में थोड़ी उदासी दिखी। वजह यह रही कि आम दिनों में उछलकदमी करने वाले चिंपैंजी और भालू तपिश में अपने बाड़े में दुबके रहे। जू प्रशासन ने हर बाड़े में जीव-जंतुओं के लिए एक नहीं, दो-दो कूलर लगाए हैं। कुल 55 कूलर बाड़ों में लगाए गए हैं। जानवरों की खुराक भी आधी हो गई है। फिर भी अक्सर स्कूलों में जेड से जेब्रा पढ़ने वाले बच्चे शुक्रवार को जेब्रा को नहीं देख सके। जू प्रशासन ने दावा किया है कि गर्मी को देखते शाम को पशु डॉक्टरों की टीम बाड़े में जाकर जीव-जंतुओं के हरकतों पर नजर रखती है। उदास या हांफने जैसी स्थिति में जीव-जंतुओं का विशेष ध्यान रखा जाता है।

लखनऊ चिड़ियाघर में लगे कूलर


देशभर में बढ़ती गर्मी से हर कोई बेहाल नजर आ रहा है। तेजी से बढ़ रहे टेंपरेचर से बचने के लिए लोग अपने घरों के अंदर एसी, कूलर का सहारा ले रहे हैं। दोपहर के वक्त गर्म हवा के चलते लोग बाहर निकलने से बचते हुए नजर आ रहे हैं। गर्मी से बचने के लिए लोग अपने लिए हर संभव इंतजाम कर रहे हैं। इस समय जानवर भी छांव वाली जगह देखकर आराम फरमाते हुए नजर आ रहे हैं। चिड़ियाघर में रहने वाले जानवरों को गर्मी से बचाने के लिए क्या व्यवस्था की गई है,अदिति शर्मा बताती हैं कि गर्मी के मौसम में चिड़ियाघर में रह रहे जानवरों के लिए खास व्यवस्था करना जरूरी हो जाता है। जानवरों के लिए टेंपरेचर को कंट्रोल करने के लिए हमने स्प्रिंकलर लगाया है। कूलर की व्यवस्था की गई है। 45 से 50 कूलर बाड़ों के अंदर लगाए गए हैं, ताकि उनको ज्यादा गर्मी न लगे। इसके अलावा बाड़ों के बाहर स्प्रिंकलर लगाए गए हैं।

स्प्रिंकलर लगाए गए
दरअसल, स्प्रिंकलर लगाने के पीछे की एक और वजह यह है कि गर्मी में धूल मिट्टी उड़ती है और काफी सूखापन हो जाता है। ड्राइनेस होने की वजह से जानवरों में आपसी संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, इसलिए इन चीजों से निपटने के लिए हमने स्प्रिंकलर लगाए हैं। इसके अलावा खस और बांस की चटाइयां भी लगाई गई हैं, ताकि सूर्य की किरण डायरेक्ट बाड़ों पर न पड़ें, उसका टेम्प्रेचर बहुत ज्यादा न बढ़ जाए।

खानपान में किया गया बदलाव
उन्होंने कहा कि जानवरों के खानपान में भी थोड़ा बदलाव किया गया है। शाकाहारी जानवरों को हम जूसी फ्रूट्स और वेजिटेबल्स दे रहे हैं। इसके अलावा मांसाहारी जानवरों के डाइट में मिलने वाली मीट में थोड़ी बहुत कमी की गई है। इस समय हम भी देखते हैं कि इंसान को भी खाना खाने का कम मन करता है, पानी की क्वांटिटी हम बढ़ा देते हैं, तो यही व्यवस्था जानवरों के लिए की जाती है।

हिरण के बाड़े में लगाये गये छोटे फव्वारे :
भीषण गर्मी के कारण अधिकतर जानवर अपना अधिकांश समय पानी में अठखेलियां करके ही बिता रहे हैं। वहीं, हिरण के बाड़े में लगाए गए छोटे फव्वारे जानवरों को राहत पहुंचा रहे हैं। हाथियों को गर्मी से राहत दिलाने के लिए सुबह.शाम नहलाया जा रहा है। शेर, तेंदुआ व बाघ के पिंजरे में कूलर लगाए गए हैं। खुले में घूमने वाले जानवरों के लिए अस्थायी छप्पर का निर्माण किया गया है, जिससे वन्यजीवों को छाव मिल सके। साथ ही उनके पानी पीने के लिए छोटे छोटे तालाब का निर्माण किया गया है।

मौसमी फलों की दी जा रही है खुराक:
मौसम के बदलते ही जानवरों की खुराक में बदलाव किया गया है। चिड़ियाघर के एक अधिकारी के मुताबिकए मांसाहारी जानवरों को दी जाने वाली मांस की मात्रा कम कर दी गई है। साथ ही अन्य ठोस व पेय पदार्थों में बढ़ोतरी की गई है। जानवरों को तरबूज, खरबूज, ककड़ी व खीरा दिया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि मौसमी फलों के माध्यम से जानवर तरोताजा महसूस करेंगे व उन्हें गर्मी का अहसास भी कम होगा। इसलिए प्रशासन की ओर से इन फलों को खाने में शामिल किया गया है।

बाड़ों में लगे घास और टाट के परदे:
आपको बता दें कि सूरज की गर्मी शांत होने का नाम नहीं ले रही है। इस बीच लखनऊ के प्राणी उद्यान में गर्मी के प्रकोप से बचाने के लिए उद्यान प्रशासन तरह-तरह के इंतजाम कर रहा है। जानवरों को बढ़ती गर्मी और लू से बचाने के लिए चिड़ियों के बाड़ों में घास और टाट के परदे लगाए गए हैं, ताकि उन्हें गर्मी से राहत मिल सके।

डॉक्टर लगातार रहते हैं संपर्क में
उन्होंने बताया कि जंगल में जानवर रहते हैं, तो वह अपने आप को धीरे-धीरे एडजस्ट कर लेते हैं। गर्मी से राहत पाने के लिए तालाब में बैठ जाते हैं, लेकिन कैप्टिव एनिमल्स के लिए आपको विभिन्न व्यवस्था करनी पड़ती है। उन्होंने बताया कि गर्मी के मौसम में इंसानों की तरह जानवरों में कई बीमारियों की शिकायतें भी आती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि हम बोल देते हैं। जानवर बोल नहीं पाता, लेकिन हमारे जो कीपर्स हैं और डॉक्टर हैं, उनके लगातार आॅब्जर्वेशन में ये जानवर रहते हैं। अगर हमें जानवरों के व्यवहार में जरा भी अंतर दिखता है, तो हमारे कीपर डॉक्टर को बताते हैं और फिर डॉक्टर की सलाह पर उन्हें दवाइयां दी जाती हैं।

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