लखनऊ। चार दिवसीय सूर्य उपासना का छठ पर्व का नहाय-खाय परम्परा के साथ शुभारम्भ हो गया। मंगलवार को राजधानी के अलग अलग इलाकों में लोगों ने घरों की साफ-सफाई, स्नान-ध्यान और दिन में एक समय चावल और लौकी की सब्जी खाकर व्रत की शुरूआत की। वहीं गोमती तटों पर सफाई के साथ पूजा की वेदी बनाने का कार्य भी जारी रहा। इस बार छठ पूजा को लेकर लोगों की आस्था चरम पर है। लखनऊ में छठ पर्व बड़े स्तर पर तैयारियां व पूजन शुरू हो चुके हैं। मंगलवार को नहाय खाय के साथ चार दिवसीय लोक आस्था के महापर्व छठ की शुरूआत हो गई है। इस दिन घर में शुद्धता का पूरा ख्याल रखते हुए घर व पूजा स्थल की सफाई, स्नान के बाद शुद्ध शाकाहारी भोजन से व्रत की शुरूआत हुई।
छठ महापर्व के पहले दिन नहाय खाय में सूर्योदय से पहले उठकर महिलाओं ने आम की लकड़ी से दातून किया। फिर नहाकर व्रती लौकी, कद्दू की सब्जी, चने की दाल, चावल, सेंधा नमक, मूली आदि का प्रसाद भोजन के रूप में ग्रहण किया। संतान देने वाली छठी मैया और आरोग्य देने वाले भगवान भास्कर सूर्य की प्रार्थना की।
घाटों पर वेदियां सजाई गईं:
लक्ष्मण मेला मैदान, झूलेलाल घाट, कुड़ियाघाट समेत शहर के तमाम घाटों व अस्थायी तौर पर बनाए गए जलाशयों के पास महिलाओं व पुरुषों ने पहुंचकर सुशोभिता वेदियां बनाईं। उनकी सफाई रंगाई पुताई करके उसके आगे अपना व परिवार का नाम लिखकर आरक्षित किया। मंगलवार शाम तक अधिक संख्या में घाटों व जलाशयों, अपार्टमेंटों में महिलाओं, बच्चों ने पूजन की तैयारियां कीं। छठ मैया और भगवान सूर्य की आराधना की।
नदियां किनारे वर्तिनिया…:
लक्ष्मण मेला मैदान स्थित छठ घाट पर लोक कलाकारों ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं। बलेश्वर एंड संस संस्कृति दल लखनऊ के गायक अवधेश बालेश्वर, अंगद राम ओझा, रितिका उपाध्याय, प्रिया तिवारी ने नदियां किनारे वर्तिनिया बेदिया बनावे ली समेत कई गीतों की प्रस्तुति ढोलक, मंजीरे आदि यंत्रों से देकर माहौल को भक्तिमय बना दिया।
नहाय खाय पर बनाया सात्विक भोजन :
अयोध्या रोड स्थित स्प्रिंग ग्रीन अपार्टमेंट निवासी अल्पना सिन्हा बताती हैं कि नहाय खाय वाले दिन सिर्फ एक समय सही से भोजन किया जाता है। शाम को फलाहार करते हैं। किसी भी प्रकार का तामसिक भोजन नहीं ग्रहण किया जाता है।
तकरोही निवासी प्रियंका श्रीवास्तव ने बताया कि इस दिन नारंगी सिंदूर लगाने के बाद छठ का प्रसाद बनाया जाता है। इसमें प्याज, लहसुन का प्रयोग नहीं किया जाता है। छठ मैया और सूर्यदेव को भोग लगाने के बाद ही भोजन ग्रहण किया जाता है। व्रती के प्रसाद को सभी सदस्य बांटकर खाते हैं। इसी दिन अगले दिन खरना की तैयारी की जाती है।
खरना में बनेगी खीर:
खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। छठ माता का प्रसाद तैयार किया जाता है। इस दिन गुड़ की खीर बनती है। खास बात यह है कि वह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है। बुधवार को खरना होगा। उसके बाद गुरुवार को अस्ताचल गामी और शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा।
यहां भी होगी पूजा:
मनकामेश्वर उपवन घाट पर छठ पूजा होगी। महंत देव्या गिरि के सानिध्य में सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। ओम ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष धनंजय द्विवेदी के संयोजन में खदरा के शिव मंदिर घाट पर पूजन होगा। पक्कापुल स्थित छठ घाट, श्री खाटू श्याम मंदिर घाट, पंचमुखी हनुमान मंदिर घाट के अलावा महानगर पीएसी 35वीं बटालियन, मवैया रेलवे कॉलोनी, कृष्णानगर के मानसनगर स्थित संकट मोचन हनुमान मंदिर परिसर के साथ ही छोटी व बड़ी नहर के अलावा हर इलाके में घरों में पूजा होगी।