लखनऊ। चैत्र नवरात्र के तीसरे दिन भी देवी मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी रही। दिनभर शंखनाद की गूंज से माहौल भक्तिमय बना रहा। श्रद्धालुओं ने शक्ति स्वरुपा मां चंद्रघंटा से सुख-समृद्धि की कामना की। मां के दरबार को फूलों से सजाया गया। देर शाम मंदिरों में महिलाएं भजन-कीर्तन भी करती दिखीं। नवरात्र के चलते क्षेत्र में इन दिनों माहौल भक्तिमय बना हुआ है।
गुरुवार को भी मां के दर्शन के लिए भक्तों की कतार मंदिरों में लगी रही। मां को लाल चुनरी, फल, फूल चढ़ाकर घी के दीपक से आरती की गई। ठाकुरगंज के मां पूर्वी देवी मंदिर में मां का फिरोजी वस्त्रों से दिव्य श्रृंगार किया गया। वहीं, बीकेटी के 51 शक्तिपीठ मंदिर में मां का श्वेतांबर श्रृंगार हुआ। मंदिरों में भंडारा, प्रसाद वितरण हुआ। मेले में भी लोगों ने खूब खरीदारी की।
नवरात्र के तीसरे दिन भोर होते ही देवी मंदिरों में मां शेरावाली के भजन भक्तों का मन मोह रहे हैं। देवी मंदिरों में सुबह से लेकर देर शाम तक दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती के स्वर गूंजे। धूप, अगरबत्ती और फूलों की खुशबू से पूरा परिसर महक उठा। माता को भोग लगाकर पूरे विधि-विधान के साथ आरती उतारी गई। शास्त्रीनगर के श्री दुर्गा मंदिर में मां का भव्य श्रृंगार हुआ। शाम को महिलाओं ने भजन कीर्तन किया। मंदिर के बाहर लगे मेले का बच्चों और महिलाओं ने आनंद लिया। इसके अलावा हुसैनगंज छितवापुर भुईयन देवी, राजाजीपुरम के माता शीतला देवी, गोमती नगर के कामाख्या देवी, त्रिवेणी नगर के योगी नगर स्थित दुर्गा मंदिर, सीतापुर रोड के विंध्यांचल देवी, टिकैत राय तालाब स्थित शीतला देवी, बीकेटी में मां चंद्रिका देवी के दर्शन को भक्त उमड़े।
नीले वस्त्र से हुआ माता का शृंगार:
ठाकुरगंज स्थित मां पूर्वी देवी मंदिर में चन्द्रघण्टा स्वरूप में माता का शृंगार हुआ। माता रानी को नीले वस्त्र पहनाए गए। 101 नारियल भेंट किए गए। माता का दरबार घण्टियां, हरी बेल व गेंदे के फूलों से सजाया गया। भक्तों ने श्री दुर्गा सप्तशती के मंत्रों पर हवन किया। वहीं महिला मंडली ने भवन सतरंगिया मेरो मइया का… अब तो दरश दिखा दो जैसे एक से बढ़कर एक देवी गीतों की प्रस्तुति से सभी का मन मोह लिया। चौक स्थित बड़ी काली जी मंदिर में माता को सफेद वस्त्र पहनाकर गोल्डन चुनरी ओढ़ाई गई। माता को मोगरा व गुलाब के फूलों और मोती की माला पहनाकर शृंगार किया गया। मेवा, सिंघाड़े का हलवा और खीर का भोग लगाया गया। बड़ी संख्या में माता के दरबार में हाजिरी लगाकर भक्तों ने खुशहाली की कामना की। चौपटिया स्थित संदोहन देवी मंदिर में माता ने मयूर पर सवार होकर भक्तों को दर्शन दिए। माता को गुलाबी वस्त्र, मोती और सोने का हार पहनाकर शृंगार हुआ।
पायो है जो कुछ भी मैने तेरे दर से:
मां पूर्वी देवी एवं महाकालेश्वर मंदिर बाघम्बरी सिद्ध पीठ, ठाकुरगंज में मां को गुलाबी नीले रंग के वस्त्र पहनाए गए। मां के दरबार को सजाने के लिए तोते, खरगोश, मोर के खिलौने रखे गए। यहां दुर्गा सप्तशती का पाठ किया। इस मौके पर भक्तों ने पायो है जो कुछ भी मैने तेरे दर से… भजन सुनाया। चौक के प्रतिष्ठित बड़ी कालीजी मंदिर में मखाने, फल और गेंदे का श्रंगार हुआ। गोमतीनगर स्थित माता कामाख्या मंदिर के मुख्य पुजारी इशानानंद सरस्वती की अगुआई में माता का भव्य श्रंगार मखाने और हरे वस्त्र से किया गया। चौपटिया रानीकटरा के संतोषी माता मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव हिमांशु जायसवाल की उपस्थिति में दैनिक पूजन के साथ.साथ भजन सुनाये गए। राजाजीपुरम में शीतला देवी माता, कैसरबाग काली बाड़ी, रविन्द्रपल्ली काली बाड़ी, कैसरबाग गुइयन माता मंदिर में पूजन अनुष्ठान हुए।
माता के भजन सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध:
शहर के मंदिरों में माता चंद्रघंटा की पूजा हुई। दुर्गा के इन रूपों की पूजा करने के लिए मंदिरों में सुबह से शाम तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा है। डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर, चौक की संतोषी माता, ठाकुरगंज स्थित पूर्वी देवी मंदिर में माता के जयकारे लगते रहे। ठाकुरगंज स्थित पूर्वी देवी मंदिर में गुरुवार को मां चंद्रघंटा की पूजा अर्चना की गई। यहां पर माता के दरबार को फूलों के बगीचे की तरह सजाया गया।
आज होगी मां कुष्माण्डा की पूजा-अर्चना

लखनऊ। नवरात्र-पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना की जाती है। इस दिन साधक का मन ‘अनाहत’ चक्र में अवस्थित होता है। अत: इस दिन उसे अत्यंत पवित्र और चंचल मन से कूष्माण्डा देवी के स्वरूप को ध्यान में रखकर पूजा-उपासना के कार्य में लगना चाहिए।
जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी। अत: ये ही सृष्टि की आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति हैं। इनका निवास सूर्यमंडल के भीतर के लोक में है। वहाँ निवास कर सकने की क्षमता और शक्ति केवल इन्हीं में है। इनके शरीर की कांति और प्रभा भी सूर्य के समान ही दिव्यमान हैं।
इनके तेज और प्रकाश से दसों दिशाएँ प्रकाशित हो रही हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में अवस्थित तेज इन्हीं की छाया है। माँ की आठ भुजाएँ हैं। अत: ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है। इनका वाहन शेर है। माँ कूष्माण्डा की उपासना से भक्तों के समस्त रोग-शोक मिट जाते हैं। इनकी भक्ति से आयु, यश, बल और आरोग्य की वृद्धि होती है। माँ कूष्माण्डा अत्यल्प सेवा और भक्ति से प्रसन्न होने वाली हैं। यदि मनुष्य सच्चे हृदय से इनका शरणागत बन जाए तो फिर उसे अत्यन्त सुगमता से परम पद की प्राप्ति हो सकती है।
विधि-विधान से माँ के भक्ति-मार्ग पर कुछ ही कदम आगे बढ़ने पर भक्त साधक को उनकी कृपा का सूक्ष्म अनुभव होने लगता है। यह दु:ख स्वरूप संसार उसके लिए अत्यंत सुखद और सुगम बन जाता है। माँ की उपासना मनुष्य को सहज भाव से भवसागर से पार उतारने के लिए सर्वाधिक सुगम और श्रेयस्कर मार्ग है।
माँ कूष्माण्डा की उपासना मनुष्य को आधियों-व्याधियों से सर्वथा विमुक्त करके उसे सुख, समृद्धि और उन्नति की ओर ले जाने वाली है। अत: अपनी लौकिक, पारलौकिक उन्नति चाहने वालों को इनकी उपासना में सदैव तत्पर रहना चाहिए।