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सपा कृषक आंदोलन के समर्थन में 14 को धरना
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार को कहा कि देश का किसान आंदोलित है। केंद्र सरकार उनके मन की बात सुनने के बजाय उन पर अपनी बात थोपने में लगी है। लोकतांत्रिक व्यवस्था में बहुमत का रोडरोलर चलाकर अन्नदाता समुदाय की आवाज को कुचलने का कोई भी प्रयास उचित नहीं ठहराया जा सकता है। किसान अपने हित अनहित को समझ कर अगर सरकार के कृषि विधेयकों के खिलाफ राय दे रहा है तो उसकी मांगे माने जाने में क्या दिक्कत हो सकती है?
अखिलेश ने यहां जारी अपने एक बयान में कहा है कि भाजपा लोगों को बहकाने और छलने में पारंगत है। किसानों को इसीलिए आतंकवादी, नक्सलवादी भी बताया जा रहा है। सच्चाई यह है कि किसान एकजुट हैं, उनका आंदोलन बढ़ता ही जा रहा है। इसमें किसान परिवारों के बूढ़े-बच्चे-महिलाएं तक शामिल हैं जो इस ठंड के मौसम में आज 18वें दिन भी आंदोलनरत है। कई किसानों की शहादत भी हो चुकी है। सपा किसानों की मांगो का समर्थन करती है। उसकी सहानुभूति किसानों के साथ है। समाजवादी पार्टी की 7 दिसंबर से किसान यात्राएं चल रही है और 14 दिसंबर को वह किसानों के समर्थन में धरना भी देगी।
सपा अध्यक्ष कहा कि यह तो सभी मानते हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। अहंकारी भाजपा याद रखे यहां ‘प्रधान’ शब्द तक ‘कृषि’ के बाद आता है। सत्ताधारी न भूलें कि हमारे देश में किसान ही प्रथम है और प्राथमिक भी। किसान अपना हक मांग रहे है, वे दृढ़ निश्चयी हैं कि वे इसे लेकर रहेंगे।
सपा अध्यक्ष ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी समितियों के अस्तित्व को लेकर सरकार और किसान संगठनों के बीच मतभेद है। सरकार से किसान तीनों कृषि विधयेक वापस लेने की मांग कर रहे हैं। कानून की वापसी का यह कोई पहला मामला नहीं है, पहले के भी ऐसे उदाहरण हैं। इसलिए भाजपा नेतृत्व की इस बारे में हठधर्मी समझ में नहीं आती है। अगर इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया जा रहा है तो यही कहा जा सकता है कि भाजपा का रवैया किसान विरोधी है। उसकी नीयत किसानों की भलाई करने की नहीं, पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने की है।