खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यह पुरानी कहावत है, इसलिए यह बहुत संभव है कि इस लॉकडाउन में खाली बैठे हुए लड़के अपनी वीभत्स यौन कल्पनाओं को उड़ान दे रहे हों और इसके अतिरिक्त कुछ न हो, लेकिन जब दिल्ली की महिला आयोग प्रमुख स्वाति मालीवाल यह कहती हैं, मैंने इन्स्टाग्राम पर ‘बॉयज लॉकर रूम’ ग्रुप के स्क्रीनशॉट्स देखे हैं। यह भयानक अपराधिक व बलात्कारी मानसिकता का स्पष्ट उदहारण है, तो मामला चिंता का विषय बन जाता है कि आखिर हम किस प्रकार का समाज बना रहे हैं जिसमें महिलाओं पर खतरे के बादल निरंतर घने होते जा रहे हैं।
दिल्ली के महिला आयोग ने इंस्टाग्राम व दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किये हैं और साथ ही पुलिस से कहा है कि ग्रुप के सभी लड़कों को गिरफ्तार किया जाये। इंस्टाग्राम को दिए गये नोटिस में कहा गया है कि ग्रुप के संदर्भ में सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी जाये- एडमिन, सदस्य, यूजर नेम/ हैंडल नेम, ईमेल आईडी, आईपी एड्रेस, लोकेशन आदि। इस फोटो शेयरिंग प्लेटफार्म से आयोग ने यह भी जानना चाहा है कि इस मामले में उसने क्या एक्शन लिया है, पुलिस को मामला सौंपा गया है या नहीं और अगर एक्शन नहीं लिया है तो उसका कारण बताया जाये। दिल्ली पुलिस को दिए गये नोटिस में एफआईआर की कॉपी सहित की गई कार्यवाही की विस्तृत रिपोर्ट मांगी गई है। इंस्टाग्राम व दिल्ली पुलिस को अपना जवाब 8 मई तक देना है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने अज्ञात लोगों के खिलाफ आईटी एक्ट की धाराओं 66 व 67ए के तहत केस दर्ज कर लिया है और जांच शुरू कर दी है। जबकि डीसीपी, साइबर क्राइम, अनीश रॉय का कहना है, हमें सोशल मीडिया मॉनिटरिंग के जरिये इसके बारे में मालूम हुआ है। इस संदर्भ में हमें अब तक कोई शिकायत नहीं मिली है, लेकिन हम सोशल मीडिया पोस्ट्स की समीक्षा कर रहे हैं और इस मामले को गहराई से देख रहे हैं। गौरतलब है कि एक प्राइवेट इंस्टाग्राम चैट ग्रुप बॉयजलॉकररूम के जो स्क्रीनशॉट्स लीक हुए हैं उससे भारत में बढ़ती बलात्कार संस्कृति पर जबरदस्त विवाद खड़ा हो गया है।
इस ग्रुप में लड़के कम आयु की लड़कियों के फोटो शेयर कर रहे थे और उनकी भोग की वस्तु के रूप में व्याख्या करते हुए ‘सामूहिक बलात्कार’ की योजना बना रहे थे। जरूरी नहीं है कि देश में ऐसा यह इकलौता ग्रुप हो, लेकिन इस ग्रुप के विचारों (पढ़ें मानसिकता) से यह अंदाजा सहज ही हो जाता है कि बलात्कार मामलों में निरंतर वृद्धि क्यों हो रही है। ध्यान रहे कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा के अनुसार 2018 में बलात्कार के 33,356 मामले दर्ज किये गये, यानी एक दिन में लगभग 91 और यह चिंताजनक आंकड़ा उस सूरत में है जब बलात्कार की घटनाएं अंडर-रिपोर्ट की जाती हैं। यह मामला अनेक कारणों से अति चिंताजनक है।
ग्रुप में चैट करने वाले लड़के 17-18 वर्ष आयु वर्ग के हैं, राजधानी के पॉश समझे जाने वाले साउथ देहली क्षेत्र से हैं यानी सभी रईसजादे हैं। शायद इसलिए उन्हें लॉकडाउन में भी उन्हें कोरोना वायरस का डर नहीं है। उन्हें लगता है कि वे अपनी महलनुमा कोठियों में सुरक्षित हैं। इन्हें रोटी और अपने घर पहुंचने की भी चिंता नहीं है। अपनी ‘प्रभावी पृष्ठभूमि’ के कारण इन्हें यह गुमान भी हो सकता है कि पुलिस-प्रशासन उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकता।