लखनऊ। सपा के राज्यसभा सदस्य बेनी वर्मा के निधन से खाली हुई सीट पर 24 अगस्त को होने वाले उप चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को जयप्रकाश निषाद को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। विधानसभा में भाजपा का बहुमत होने से उनके निर्विरोध जितने का रास्ता लगभग साफ़ है।
जयप्रकाश निषाद इस समय भाजपा की प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष हैं और गोरखपुर उनका कार्यक्षेत्र है। निषाद पहले बहुजन समाज पार्टी में थे। 2008-09 में वह
बसपा सरकार में राज्य मंत्री रहे थे।
पूर्वांचल के दिग्गज नेताओं में उनका नाम है। वह बसपा के टिकट पर 2012 में चौरीचौरा सीट से विधायक निर्वाचित हुए थे। बसपा छोडऩे के बाद निषाद थोड़े समय के लिए सपा में भी रहे।
भाजपा ने जयप्रकाश निषाद को राज्यसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाकर पिछड़ों पर दांव लगाया है। जयप्रकाश निषाद का कार्यकाल पांच मई 2022 तक रहेगा। निषाद फरवरी 2018 में भाजपा में शामिल हो गये थे।
उनके साथ लोकदल के गोरख सिंह सहित कई नेताओं कैम्पियरगंज के पीपीगंज में आयोजित बूथ समिति कार्यकर्ता सम्मेलन में भाजपा की सदस्यता ली थी। इसके बाद 11 मार्च 2018 को होने वाले गोरखपुर लोकसभा के उपचुनाव में पार्टी प्रत्याशी उपेन्द्र शुक्ल के प्रचार में लगे।
निषाद मल्लाह समुदाय से हैं। उनको राज्यसभा भेजने की वजह ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की भाजपा की नीति मानी जा रही है। कहा जा रहा है कि बिहार चुनाव में भी भाजपा इसका फायदा उठा सकती है। बिहार में ओबीसी की अच्छी खासी आबादी है।
साथ ही, विरोधी खेमे (महागठबंधन) में भी मल्लाह बिरादरी के एक नेता (विकासशील इंसान पार्टी के मुकेश सहनी) की मौजूदगी है। निषाद मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के भी करीबी माने जाते हैं। उनके क्षेत्र (गोरखपुर) में भाजपा का काम वही देखते हैं।