नई दिल्ली: अरुण जेटली… एक ऐसा नाम जो राजनीति के एक चमकदार सितारे के रूप में उभर कर सामने आया। जेटली भाजपा के प्रमुख नेता एवं प्रसिद्ध अधिवक्ता के साथ-साथ पूर्व वित्त मंत्री भी रहे। अरुण जेटली राजनीति से लेकर व्यक्तिगत जिदगी तक हर जगह बेहद गंभीर स्वभाव के माने जाते थे। उनका तंज कसने का तरीका भी थोड़ा अलग था। पढ़ने में काफी तेज अरुण जेटली ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई की। इतना ही नहीं उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री भी ली। जेटली जब दिल्ली विवि में पढ़ रहे थे तभी से उनका राजनीतिक सफर शुरू हो गया था। वह सबसे पहले छात्र संघ के अध्यक्ष बने। इसके बाद अखिल भारती विद्यार्थी परिषद में दिल्ली ईकाई और अखिल भारतीय अध्यक्ष भी बने थे। देश में अपातकाल के समय उन्होंने एक खास भूमिका निभाई। उन्हें जेल भी जाना पड़ा था।
नरेंद्र मोदी से दोस्ती
नरेंद्र मोदी से अरुण जेटली की दोस्ती काफी पहले हुई। 2002 के दंगों के बाद नरेंद्र मोदी के पक्ष में खुलकर राजनैतिक और कानूनी रूप से बचाव करने की वजह से जेटली केंद्र बिंदु बन गए। पिछले कुछ दशक में जेटली की देख-रेख में चुनावी राजनीति में कई अहम प्रयोग हुए। उन्होंने कर्नाटक में 2008 में भाजपा को जिताने में मदद की। उन्होंने मोदी की गुजरात में तीन बार चुनावी जीत में मदद की। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी 2005 में गठबंधन के लिए मनाया था, जो आपातकाल के दिनों के उनके पुरानी साथी थे। उस समय ये लोग जयप्रकाश नारायण के अनुयायी थे। अरुण जेटली को शेरो-शायरी का बेहद शौक था और उनका ये अंदाज बजट पेश करते समय देखने को मिला था। कई बार उन्होंने शायरियों के बल पर ही विपक्ष पर काफी अच्छे से तंज कसा।
2015 के बजट पेश के दौरान जेटली की शायरी
कुछ तो फूल खिलाये हमने
और कुछ फूल खिलाने हैं,
मुश्किल ये है बाग में
अब तक कांटें कई पुराने हैं।
साल 2016 में जेटली की शायरी
कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें,
लहर लहर तूफान मिलें और मौज-मौज मझधार हमें,
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको,
इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें
साल 2017 के बजट में जेटली ने पढ़ी ये शेर
इस मोड़ पर घबरा कर न थम जाइए आप,
जो बात नई है अपनाइए आप,
डरते हैं क्यों नई राह पर चलने से आप,
हम आगे आगे चलते हैं आइए आप।