गांधीनगर। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर पहली बार विधायक बने भूपेंद्र पटेल ने सोमवार को गुजरात के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। विजय रूपाणी ने दो दिन पहले मुख्यमंत्री पद से अचानक इस्तीफा दे दिया था। राज्य में लगभग सवा साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं। पटेल (59) को रविवार को भाजपा विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से नेता चुन लिया गया था और राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने आज उन्हें यहां राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिलायी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई इस दौरान मौजूद थे। समारोह के बाद देवव्रत और शाह ने पटेल को बधाई दी। पटेल को शपथ लेने के बाद सबसे पहले शाह ने बधाई दी। समारोह में विजय रूपाणी और पूर्व उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल भी मौजूद थे। भाजपा सूत्रों ने बताया कि पार्टी के निर्णय के अनुसार, केवल पटेल ने शपथ ली। सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों के नामों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद अगले कुछ दिनों में मंत्रिपरिषद के अन्य सदस्य शपथ लेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर भूपेंद्र पटेल को बधाई दी।
उन्होंने ट्वीट किया, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने पर भूपेंद्र भाई को बधाई। मैं उन्हें सालों से जानता हूं और उनके शानदार काम को भी मैंने देखा है, वह चाहे भाजपा संगठन में हो या स्थानीय निकाय प्रशासन में हो या फिर सामुदायिक सेवा में हो, वह निश्चित तौर पर गुजरात की विकास गाथा को और आगे बढ़ाएंगे। एक अन्य ट्वीट में उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री के रूप में अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान विजय रूपाणी जी ने कई जन हितैषी कदम उठाए। समाज के सभी वर्गों के लिए उन्होंने अनथक काम किए। मुझे भरोसा है कि वह आने वाले समय में जन सेवा में अपना योगदान जारी रखेंगे। राज्यपाल ने रविवार को भाजपा विधायक दल के नये नेता पटेल को मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के लिए न्योता दिया था।
रविवार को विधायक दल की बैठक में, पटेल के नाम का प्रस्ताव विजय रूपाणी ने रखा था। रूपाणी ने राज्य में विधानसभा चुनाव से लगभग 15 महीने पहले शनिवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, जिससे कई राजनीतिक पर्यवेक्षकों को आश्चर्य हुआ था। कोरोना वायरस महामारी के दौरान भाजपा शासित राज्यों में पद छोड़ने वाले रूपाणी चौथे मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने दिसंबर 2017 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। उन्होंने इस वर्ष सात अगस्त को मुख्यमंत्री के तौर पर पांच वर्ष पूरे किये थे। ऐसे में जब दिसंबर 2022 में राज्य विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है, भाजपा ने चुनाव में जीत के लिए पटेल पर भरोसा जताया है, जो कि एक पाटीदार हैं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य विधानसभा की 182 सीटों में से 99 सीटें जीतीं थी जबकि कांग्रेस को 77 सीटें मिली थीं। गुजरात में पाटीदार एक प्रमुख जाति है। उसकी चुनावी वोटों में से एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण होने के साथ ही शिक्षा, रियल्टी और सहकारी क्षेत्रों पर मजबूत पकड़ है।
मुख्यमंत्री बनने वाले भूपेंद्र पटेल कडवा पाटीदार हैं और यह भाजपा की इस समुदाय को लुभाने की योजना का हिस्सा है, जिनके बारे में कुछ राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि वे पार्टी से दूर हो गए हैं। पटेल उस कार्यक्रम की मेजबानी करने वाले पाटीदार समुदाय के संगठन सरदारधाम के ट्रस्टी भी हैं, जिसमें शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मुख्य अतिथि थे। अहमदाबाद में जन्मे, पटेल घाटलोडिया सीट से विधायक हैं, जहां से पहले पूर्व मुख्यमंत्री और अब उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल विधायक थीं। भूपेंद्र पटेल ने 2017 में 1.17 लाख से अधिक मतों से यह सीट जीती थी, जो उस चुनाव में सबसे अधिक वोटों का अंतर था। घाटलोडिया गांधीनगर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जिसका प्रतिनिधित्व अमित शाह करते हैं।
सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा रखने वाले पटेल ने अहमदाबाद नगर निगम के पार्षद के साथ ही अहमदाबाद नगर निगम की स्थायी समिति और अहमदाबाद शहरी विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष के रूप में काम किया है। वह पाटीदार संगठन विश्व उमिया फाउंडेशन के ट्रस्टी भी हैं। पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह कभी भी मंत्री पद नहीं संभाला है। मोदी भी 20 साल पहले गुजरात का मुख्यमंत्री बनने से पहले कभी मंत्री नहीं रहे थे। मोदी ने 7 अक्टूबर 2001 को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी और 24 फरवरी 2002 को राजकोट सीट से उपचुनाव जीतकर विधायक बने थे।