हैदराबाद: भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के महासचिव डी राजा ने अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को समाप्त करने के राजग सरकार के कदम को असंवैधानिक और अलोकतांत्रिक बताते हुए रविवार को कहा कि कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं। राजा दिल्ली से गए विपक्षी दलों के उस 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा थे जो जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा हटाए जाने के बाद घाटी के हालात का जायजा लेना चाहता था। हालांकि, प्रशासन ने शनिवार को विपक्षी नेताओं को श्रीनगर हवाईअड्डे से बाहर निकलने नहीं दिया। भाकपा नेता ने यहां अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और कश्मीर स्थिति पर पार्टी की एक बैठक में कहा, कश्मीर में हालात सामान्य नहीं हैं। लोगों को यह समझना चाहिए। वहां टेलीफोन नहीं चल रहा है। सरकार कह रही है कि लैंडलाइन चल रहे हैं लेकिन नहीं, हमने कोशिश की थी। न इंटरनेट चल रहा है और न ही टेलीफोन काम कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, स्कूल और कॉलेज खुले हैं लेकिन कोई भी छात्र नहीं आ रहा है। माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए तैयार नहीं हैं। लोग अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं। कश्मीर में कर्फ्यू है। अगर सबकुछ सामान्य है तो इसे क्यों जारी रहना चाहिए। राजा ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने संविधान को ताक पर रखकर जम्मू कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुसार किसी भी राज्य का विभाजन करने के पहले राज्य की विधानसभा से विचार-विमर्श किया जाना होता है। उन्होंने कहा, मोदी सरकार ने जो किया है वह असंवैधानिक है। अनुच्छेद 370 को निरस्त करना असंवैधानिक है। यह अलोकतांत्रिक है। यह भारतीय लोकतंत्र के संघीय सिद्घांतों के विरुद्घ है। भाकपा नेता ने कहा कि कश्मीर आजादी के बाद भारत का हिस्सा बना था जबकि भाजपा और आरएसएस दावा कर रहे हैं कि इस अशांत क्षेत्र को मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद शामिल किया गया।