बेगम अख्तर की 50 वीं पुण्यतिथि पर हुआ आयोजन
लखनऊ। मल्लिका ए तरन्नुम के नाम से मशहूर बेगम अख्तर की पसंद बाग स्थित मजार बुधवार को रोशन थी। बेगम अख्तर की 50 वीं पुण्यतिथि के मौके पर लखनऊ बायोस्कोप, तक्षिला एजुकेशन सोसाइटी और सराका की ओर से कब्र पर हाजिरी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जहां लोकप्रिय गजल गायिका डा. राधिका चोपड़ा ने अपनी सुरमयी आवाज से अख्तरी बाई को नमन किया। हाजिरी की महफिल बेहद खास थी, साल 2013 में बेगम अख्तर की कब्र का जीर्णोद्धार होने के बाद निरंतर हाजिरी की बैठक उनके चाहने वालों के साथ लग रही है। ये बैठक भी गीत, गजलों के साथ शुरू हुई बैठक पुराने दौर की यादों के साथ आगे बढ़ती गई। डा. राधिका चोपड़ा ने हमरी अटरिया पे आजा से संवरिया के साथ ही वो जो हम में तुम में करार था, छा गई काली घटा जैसे नायाब गीतों के साथ बेगम अख्तर को श्रद्धांजलि दी। डॉ. राधिका चोपड़ा ने कहा कि बेगम अख्तर से बहुत ही निजी और भावनात्मक रिश्ता और जुड़ाव रहा है। उन्होंने कहा कि भले ही वह अख्तरी से सीधे तौर पर जुड़ी नहीं थीं। उनकी गुरु जो अख्तरी बाई के शिष्या थीं। डा. चोपड़ा ने अपने जीवन का एक मजेदार किस्सा साझा करते हुए बताया कि कैसे उनके पति हमेशा बेगम अख्तर के प्रशंसक रहे हैं और यहां तक कि अपने बटुए में उनकी एक तस्वीर रखते हैं लेकिन पत्नी की नहीं। तबला वादक अमजद अली खां ने कहा कि वह अख्तरी बाई के काम को सुनते और उसका रियाज करते हुए उसे अपने संगीत में आत्मसात करते रहे हैं। उन्होंने बताया कि हमारा बेगम अख्तर साहिबा से काफी पारिवारिक और निजी रिश्ता था क्योंकि वो हमारे घर आती थीं और अचानक से महफिल शुरू हो जाया करती थी। उनके संगीत से ऐसा महसूस हुआ कि हमारे खून में गाना-बजाना है जिसने आज मुझमें एक कलात्मकता विकसित कर दी है।