संगीत नाटक अकादमी के बाल्मीकि रंगशाला में हुआ आयोजन
लखनऊ। श्रुतिनाद पं. गणेश प्रसाद मिश्र संगीत साधना केन्द्र व स्वर साधना समूह लखनऊ द्वारा आयोजित अकादमी के कलाकारों द्वारा शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति समर्पण संगीत नाटक अकादमी के बाल्मीकि रंगशाला में 18 नवम्बर, 2024 को किया गया।
कार्यक्रम का शुभारम्भ मुख्य अतिथि पद्मश्री डा. विद्या बिन्दु सिंह द्वारा दीपप्रज्जवलन के साथ किया गया। साथ ही विशिष्ट अतिथिगण श्रीमती ज्योत्सना शर्मा (न्यायमूर्ति, सेनि), प्रकाश गुप्ता (आईएएस) विशेष सचिव राज्यपाल व डा. शोभित नाहर (निदेशक, संगीत नाटक अकादमी, उप्र) ने माँ शारदे की प्रतिमा पर पुष्पाजंलि अर्पित किया। संस्था स्वर साधना समूह की संस्थापक श्रीमती रश्मि उपाध्याय ने बताया कि श्रुतिनाद संस्था के गुरु जी डा. अंजनी कुमार मिश्रा ने अपने सभी शिष्यों को मंचीय प्रदर्शन हेतु विशेष रूप से तैयार किया है। संस्था श्रुतिनाद की संस्थापक मीनाक्षी मिश्रा ने बताया कि कार्यक्रम में 06 वर्ष के बाल कलाकार के साथ 45 से 50 वर्ष की महिलाओं ने भी गर्मजोशी से प्रतिभाग किया। डा० अजनी कुमार मिश्रा ने बताया कि कार्यक्रम में बाल कलाकार के रूप में अथर्व मिश्रा, आराध्य, अंश, पद्मजा, यश, अनन्या, गोबिन्द, विदिका, मनीषी, ईशल, अनाइशा, ने सामूहिक प्रस्तुति में राग यमन गया, साथ ही गणेश वंदना चरणों में नमन तुम्हारें… प्रस्तुत किया। आस्था व प्रियांशी ने राग मधुवंती व भजनों की प्रस्तुति दी। राग भीमपलासी व राग दुर्गा व भजन की प्रस्तुति महिलाओं ने की जिसमें कामिनी, यामिनी, अर्चना, अनुमेहा, कीर्ति, सरिता, रश्मि, बबीता, सुनीता, ज्योति, मोहिनी, अंशु, मनीषा तथा शुभम, नवनीत, डा० धर्मेन्द्र व राजन ने की। विशेष प्रस्तुति संतूर वादन की रही, जिसे दिल्ली के दिव्यांश श्रीवास्तव ने प्रस्तुत किया व डा. गरूण मिश्र व अर्पित मिश्र (आजमगढ़) ने गायन मे विशेष प्रस्तुति दी। संगतकतार्ओं में तबले पर डा. मनोज कुमार मिश्र, आलोक मिश्र, पुष्कर मिश्र व अनुराग मिश्र तथा हारमोनियम पर पं. धर्मनाथ मिश्र, हिमांशु व शुभम श्रीवास्तव ने बखूबी साथ दिया। कार्यक्रम का संचालन 310 सुश्री अलका निवेदन ने बहुत ही सुचारू रूप से किया।
डा. अंजनी कुमार मिश्र ने बताया कि संस्था शास्त्रीय संगीत को आम जन तक पहुंचाने हेतु कार्य कर रही है और कोशिश कर रही है कि जितने भी कलाकार संस्था से जुड़े, वे सुरों के पक्के हो जायें और प्रतिष्ठित व सुरीले कलाकार बन सकें।