उमराव जान रेस्टोरेंट एण्ड कैफे, कैसरबाग
लखनऊ। उमराव जान रेस्टोरेंट एण्ड कैफे, कैसरबाग, लखनऊ पर मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी साहब के 100वें जन्म दिन को बड़ी ही धूमधाम से मनाया गया। इस मौके़ पर केक काटकर रफी साहब को याद किया गया। लखनऊ के मशहूर सिंगर प्रदीप अली और आकांक्षा ने रफी साहब के सदाबहार गीतों- मुझको मेरे बाद जमाना ढूंढेगा, याद न आये बीते दिनों की, ये रेशमी जु़ल्फें जैसे अनेक गीतों को सुनाकर महफिल में चार चांद लगा दिये, जिसको उपस्थित जन-समूह द्वारा बेहद सराहा गया।
इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व सांसद दाउद अहमद रहे व अध्यक्षता अन्तर्राष्ट्रीय शायर वासिफ फारूकी ने की। इस अवसर पर अतहर नबी ने रफी साहब की यादें ताजा करते हुए कहा कि उन्हें इस बात पर फख्र है कि रफी साहब को उन्होंने लखनऊ में बुलाया था और उनकी विनम्रता की बात कहते हुए वह काफी भावुक हो गये। वासिफ फारूकी ने कहा कि उन्होंने रफी साहब को रू-ब-रू सुना है और उनकी विनम्रता का आलम ये था कि उन्होंने उस वक्त की महफिल में अपने नगमों से पहले महेन्द्र कपूर के नगमों को गाया था। शायर व पूर्व पुलिस अधिकारी मोहम्मद अली साहिल ने कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि वह आज जहॉं दुनिया भर में हर दिल अजीज सिंगर मोहम्मद रफी साहब का 100वॉं जन्म दिन मनाया जा रहा है, वहीं लखनऊ को भी उनका जन्म दिन मनाने का गौरव प्राप्त हुआ है। मुम्बई से आये असलम खान ने अपने सम्बोधन में कहा कि एक दौर में जब किशोर कुमार का नजराना 50 हजार था, तब मात्र 5 हजार रुपए में रफी साहब लखनऊ में तशरीफ लाये, इससे रफी साहब की शख्सियत और विनम्रता का अन्दाजा लगाया जा सकता है। कार्यक्रम में शायर मलिकजादा जावेद, अहमद जमाल, आमिर मुख्तार, अतहर नबी, कमर अली, अरशद आजमी, वसीम हैदर, परवेज मलिकजादा, एड सलाउददीन, मेराज हैदर, एड0 आरिफ हाशमी, एड0 अनल्प चन्द्रा, अब्दुल कादिर, अरविन्द सिंह, कलीम अहमद, इरशाद अहमद, अजीज सिददीकी, अब्दुल वहीद, जुबैर अहमद, मुर्तजा सिददीकी, नूर आलम, अहसन रईस, शकील सिददीकी, जुबैर खान, मंजू श्रीवास्तव, मारिया आलम, आदि लखनऊ की कई बड़ी हस्तियॉं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम का संचालन आर0जे0 अनवारूल हसन ने किया। कार्यक्रम का आयोजन मशहूर शायर व पूर्व पुलिस अधिकारी मोहम्मद अली साहिल, शायर बिलाल सहारनपुरी और खुर्शीद खान राजू के द्वारा किया गया।